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Ratan Tata Passes Away: पद्म विभूषण रतन टाटा का देहांत

Ratan Tata Passes Away: पद्म विभूषण और दिग्गज उद्योगपति Ratan Tata का बुधवार देर रात देहांत हो गया। वह रक्तचाप में अचानक गिरावट के कारण सोमवार से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे। उनका स्वास्थ्य लगातार गंभीर बना हुआ था।

Ratan Tata Passes Away: टाटा ग्रुप की भूमिका

Ratan Tata देश के सबसे बड़े कारोबारी घराने टाटा ग्रुप के चेयरमैन थे। उन्होंने टाटा ग्रुप के कारोबार को लगभग सभी सेक्टरों और 6 महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में फैलाया। उनके देहांत के बाद टाटा ग्रुप के प्रमुख शेयरों में हलचल देखने को मिल रही है।

Tata Elxsi में भारी उछाल

टाटा ग्रुप की टाटा एलेक्सी ऑटोमोटिव, मीडिया, संचार और स्वास्थ्य सेवा सहित विभिन्न उद्योगों में डिजाइन और टेक्नोलॉजी सेवाएं प्रदान करती है। इस कंपनी के शेयरों में आज शानदार तेजी देखने को मिली। शुरुआती कारोबार में, टाटा एलेक्सी के शेयर 4.84 फीसदी उछाल के साथ 7,982.60 पर कारोबार कर रहे थे। इस कंपनी को देश में सेमीकंडक्टर क्रांति का भी फायदा मिलने की उम्मीद है।

Tata Motors की स्थिति

टाटा मोटर्स के शेयरों में पिछले कुछ दिनों से गिरावट आई है। इसकी मुख्य वजह ऑटो सेक्टर की सुस्ती है। अधिकांश बड़ी कंपनियों के पास इन्वेंट्री की भरमार है और बिक्री में कमी आ रही है। आज भी, टाटा मोटर्स के स्टॉक मामूली गिरावट के साथ खुले, लेकिन कुछ समय बाद यह हरे निशान में पहुंच गए। सुबह लगभग 10 बजे, टाटा मोटर्स के शेयर मामूली उछाल के साथ 940 रुपये के आसपास कारोबार कर रहे थे।

Tata Power Company में तेजी

टाटा पावर कंपनी, जो मुख्यतः इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन के कारोबार में लगी हुई है, में भी गुरुवार को अच्छी तेजी देखने को मिली। शुरुआती कारोबार में, टाटा पावर के शेयर 2.68 फीसदी उछाल के साथ 473.20 रुपये पर कारोबार कर रहे थे।

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Tata Chemicals में उछाल

टाटा केमिकल्स का बेसिक केमिस्ट्री और स्पेशियलिटी प्रोडक्ट्स में बड़ा नाम है। इसके आईपीओ ने निवेशकों को रिकॉर्ड तोड़ लिस्टिंग गेन दिया था। हालांकि, आईपीओ के बाद टाटा केमिकल्स के शेयर लंबे समय तक सुस्त रहे। आज, टाटा केमिकल्स के शेयर शुरुआती कारोबार में 5.35 फीसदी उछाल के साथ 1,164.45 रुपये पर पहुंच गए।

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Railway News: अब ऑनलाइन बुक हो सकेंगे ‘हाल्ट’ स्टेशनों के भी टिकट

Railway News: हाल्ट स्टेशनों से यात्रा करने वाले रेल यात्रियों के लिए अब घर बैठे ऑनलाइन जनरल टिकट बुक करना संभव हो गया है। यात्रियों को टिकट के लिए काउंटरों पर लंबी लाइनों में नहीं लगना पड़ेगा। Railway बोर्ड ने ग्रामीण यात्रियों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए हाल्ट स्टेशनों को ‘मोबाइल यूटीएस एप’ से जोड़ने का निर्णय लिया है।

एप से जुड़ने की प्रक्रिया

हाल्ट स्टेशनों को एप से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। दीपावली से पहले, देशभर के 191 हाल्ट स्टेशनों पर ‘मोबाइल यूटीएस एप’ की सुविधा उपलब्ध होगी।

Railway News: टिकट बुकिंग में सुधार

सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम ने ‘मोबाइल यूटीएस एप’ पर टिकट बुकिंग की निर्धारित दूरी 50 किमी को समाप्त कर दिया है। अब यात्री किसी भी स्टेशन के लिए ऑनलाइन जनरल और प्लेटफार्म टिकट बुक कर सकते हैं।

मासिक सीजन टिकट की सुविधा

एप पर मासिक सीजन टिकट (एमएसटी) के नवीनीकरण की सुविधा भी मिलेगी। यात्री विभिन्न प्रकार की ट्रेनों के पेपरलेस और पेपरयुक्त जनरल टिकट बुक कर सकेंगे।

ट्रेन की जानकारी

जनरल टिकट बुक करते समय यात्रियों को तीन घंटे के अंदर निर्धारित रूट पर चलने वाली ट्रेनों की जानकारी मिलेगी, जिसमें ट्रेन का प्लेटफार्म और रवाना होने का समय शामिल होगा। बुकिंग के बाद तीन घंटे के अंदर यात्रा करना होगा।

टिकट की वैधता

यदि यात्री निर्धारित समय में कोई ट्रेन नहीं पकड़ पाते, तो उन्हें चौथे घंटे में चलने वाली पहली ट्रेन में यात्रा करनी होगी। टिकट की वैधता इसके बाद स्वतः समाप्त हो जाएगी। ‘मोबाइल यूटीएस एप’ पर बुक किए गए टिकट वापस नहीं होते और ना ही स्थानांतरित किए जा सकते हैं।

भुगतान के विकल्प

यात्री आर-वालेट, यूपीआई, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और नेट बैंकिंग के माध्यम से किराए का भुगतान कर सकते हैं। आर-वालेट से भुगतान करने पर तीन प्रतिशत का बोनस भी मिलेगा, जो कि 24 अगस्त 2025 तक जारी रहेगा।

समय की बचत और सुरक्षा

‘मोबाइल यूटीएस एप’ के माध्यम से ऑनलाइन टिकट बुकिंग से काउंटरों पर लाइन में लगने की परेशानी खत्म हो जाएगी। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि सुरक्षा भी बढ़ेगी।

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यूटीएस मोबाइल टिकटिंग की उपयोगिता

पूर्वोत्तर Railway के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने कहा कि यूटीएस टिकटिंग व्यवस्था सभी स्टेशनों पर शुरू है और अब हाल्ट स्टेशनों पर भी इसे लागू किया जा रहा है। यह सुविधा Railway यात्रियों के लिए यूजर फ्रेंडली है।

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LPG Connection: LPG उपभोक्ताओं के लिए अलर्ट! e-KYC कराना हुआ जरूरी

LPG Connection: LPG (लिक्वीफाइड पेट्रोलियम गैस) उपभोक्ताओं को अब ई-केवाईसी (इलेक्ट्रानिक नो योर कस्टमर) कराना होगा। हालांकि, यह नियम केवल 2019 से पहले जिनका कनेक्शन है, उन्हीं पर लागू होगा।

LPG Connection: घर-घर जांच

एजेंसियों के कर्मचारी घर-घर जाकर चूल्हा और पाइप की भी जांच करेंगे। यदि 31 दिसंबर तक किसी उपभोक्ता का e-KYC नहीं हुआ, तो उनके गैस कनेक्शन को निरस्त कर दिया जाएगा। पेट्रोलियम कंपनियों ने घरेलू गैस कनेक्शन के लिए अपने असली उपभोक्ताओं की पहचान करना शुरू कर दिया है।

ग्राहकों को जागरूक करना

वितरक एजेंसियों को उपभोक्ताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए घर-घर जांच करने का निर्देश दिया गया है। इसके माध्यम से एजेंसियां ग्राहकों को जागरूक कर रही हैं। जिले में इंडेन, भारत गैस और एचपी गैस के लगभग पौने पांच लाख उपभोक्ता हैं।

घरेलू सिलिंडर की कीमत

इस समय घरेलू सिलिंडर की कीमत 903 रुपये है, जिसमें भारत सरकार की ओर से 48 रुपये और उज्ज्वला के लाभार्थियों को 300 रुपये सब्सिडी मिल रही है। इस प्रकार सामान्य सिलेंडर 855 रुपये और उज्ज्वला सिलेंडर 550 रुपये में मिल रहा है। हालांकि, लंबे समय से उपभोक्ताओं के सर्वे न होने के कारण सब्सिडी में भी समस्याएँ आ रही हैं।

ई-केवाईसी का अभियान

इन समस्याओं को देखते हुए, हाल ही में सरकार के निर्देश पर पेट्रोलियम कंपनियों ने ग्राहकों की e-KYC कराने के लिए एक अभियान चलाया है। इसके लिए दिसंबर तक का समय निर्धारित किया गया है।

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सिलिंडर और चूल्हे की जांच

घरेलू गैस कनेक्शन धारकों के लिए चूल्हा और सिलिंडर की जांच कराना अनिवार्य है। गैस एजेंसियों के कर्मी उपभोक्ताओं के घर जाकर जांच करेंगे, और जरूरत पड़ने पर पाइप आदि भी बदले जाएंगे। ई-केवाईसी के साथ-साथ यह कार्य भी किया जा रहा है। परतावल स्थित राज गैस सर्विस के प्रोपराइटर राजनारायण ने बताया कि वे प्रतिदिन अधिक से अधिक ग्राहकों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं।

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अमेरिका में कोविड-19 के बाद बच्चों को निशाना बना रहा पोलियो जैसा वायरस

कोविड-19 के बाद अमेरिका में एक और भयानक वायरस ने दस्तक दी है। यह वायरस बच्चों को विशेष रूप से निशाना बना रहा है और इसके लक्षण पोलियो जैसी गंभीर बीमारी से मिलते-जुलते हैं। वैज्ञानिक अभी भी इस वायरस के बारे में अधिक जानने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए कोई प्रभावी वैक्सीन भी नहीं है। इस वजह से सावधानी और बचाव ही इस वायरस से बचने का एकमात्र तरीका है।

कोविड-19 महामारी के बाद अमेरिका में एक नया सांस संबंधी वायरस तेजी से फैल रहा है। फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह वायरस मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित कर रहा है और इसके कारण कई बच्चों में पोलियो जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। वैज्ञानिक अभी भी इस वायरस के बारे में अधिक जानने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए कोई प्रभावी इलाज भी नहीं मिला है।

दरअसल, हाल के पानी के नमूनों में एंटरोवायरस डी68 नामक एक वायरस की मात्रा में काफी वृद्धि देखी गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वायरस एक्यूट फ्लेसिड मायलाइटिस (एएफएम) नामक एक गंभीर बीमारी से जुड़ा हो सकता है। एएफएम एक ऐसी स्थिति है जिसमें तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है और इससे बच्चों के हाथ और पैरों में गंभीर कमजोरी हो सकती है। छोटे बच्चे इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं

लक्षण

आमतौर पर एंटरोवायरस हल्के लक्षण जैसे नाक बहना, खांसी और सिरदर्द पैदा करते हैं। लेकिन साल 2014 में, एंटरोवायरस डी68 के एक नए स्ट्रेन ने गंभीर समस्याएं पैदा कर दीं। इस स्ट्रेन के कारण 120 से अधिक बच्चों में एक्यूट फ्लेसिड मायलाइटिस (एएफएम) नामक बीमारी देखी गई। यह पहली बार था जब अमेरिका में बच्चों में एएफएम के मामलों में इतनी तेजी से वृद्धि हुई थी।

अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने 3 सितंबर, 2024 तक एएफएम के मामलों की जांच पूरी की है। इस जांच में 22 संभावित रोगियों की जांच की गई, जिनमें से 13 में एएफएम की पुष्टि हुई है। यह पिछले साल, 2023 में हुए 40 संभावित मामलों में से 18 की पुष्टि के मुकाबले है।

इलाज

अभी तक EV-D68 वायरस के लिए कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनी है। डॉक्टर इस वायरस के बारे में बहुत से सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, खासकर यह जानने के लिए कि यह वायरस लंबे समय तक शरीर पर क्या असर डालता है। इस वायरस के बारे में अभी और बहुत कुछ जानने की ज़रूरत है.

बचाव

चूंकि EV-D68 वायरस के लिए अभी कोई विशिष्ट चिकित्सा या टीका उपलब्ध नहीं है, अतः रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाना ही एकमात्र रणनीति है। कुछ बुनियादी स्वच्छता उपायों को अपनाकर हम इस वायरस के प्रसार को रोक सकते हैं, उदाहरण के लिए…

  • बार-बार हाथ धोएं: साबुन और पानी से नियमित रूप से हाथ धोना सबसे महत्वपूर्ण बात है। खासकर खाना खाने से पहले, बाहर से आने के बाद और किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद।
  • बीमार लोगों से दूरी बनाएं: अगर कोई व्यक्ति सर्दी, जुकाम या फ्लू से पीड़ित है तो उससे संपर्क से बचें।
  • बाहरी भोजन और पानी से बचें: जहाँ तक हो सके, बाहर का खाना या पानी पीने से बचें। अगर आपको बाहर खाना पड़े तो साफ-सुथरे स्थानों को चुनें।
  • बच्चों पर विशेष ध्यान दें: अगर आपके बच्चे को सांस लेने में दिक्कत या श्वसन संबंधी कोई समस्या है तो विशेष ध्यान रखें।
  • सर्दी-जुकाम को न करें नज़रअंदाज: अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को सर्दी-जुकाम हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

निष्कर्ष

क्योंकि अभी तक इस वायरस का इलाज नहीं मिल पाया है, इसलिए हमें खुद को बचाने की कोशिश करनी चाहिए। खासकर बच्चों का बहुत ध्यान रखना चाहिए क्योंकि वे जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। बड़े लोगों को भी सावधान रहना चाहिए। अभी बस सावधानी ही हमारा सबसे अच्छा हथियार है।

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सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को मेडिकल एडमिशन में NRI कोटे के दुरुपयोग पर फटकार लगाई।

Supreme Court ने पंजाब सरकार को झटका देते हुए एनआरआई कोटे का विस्तार करने की उसकी याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने साफ कर दिया है कि एनआरआई के दूर के रिश्तेदारों को इस कोटे का लाभ नहीं मिलेगा। वहीं, कर्नाटक सरकार अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 15% एनआरआई कोटा शुरू करने पर विचार कर रही है

पंजाब सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) के दूर के रिश्तेदारों को आरक्षण देने को धोखाधड़ी करार देते हुए उच्चतम न्यायालय की फटकार का सामना किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे फर्जीवाड़ा बताते हुए तत्काल समाप्त करने का आदेश दिया। आम आदमी पार्टी की सरकार, जो मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में है, ने एनआरआई कोटा बढ़ाने की याचिका उच्च न्यायालय से खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उनकी अपील भी अस्वीकार कर दी गई। अदालत ने स्पष्ट किया कि एनआरआई के दूर के रिश्तेदारों को एडमिशन में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता। यह निर्णय उस समय आया है जब कर्नाटक सरकार 2025-26 शैक्षणिक वर्ष से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 15% एनआरआई कोटा लागू करने की योजना बना रही है।

हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था नोटिफिकेशन

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए उसके उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे के लिए पात्रता के नियमों में बदलाव किए गए थे। न्यायालय ने कहा कि 20 अगस्त की अधिसूचना,जो सरकार ने दूर के रिश्तेदारों को भी इस कोटे में शामिल करने का जो फैसला लिया था, वह गलत था।

एनआरआई कोटे की आड़ में धांधली की कोशिश!

अदालत ने कहा कि एनआरआई कोटा का मूल उद्देश्य वास्तविक एनआरआई और उनके बच्चों को लाभ पहुंचाना था। हालांकि, सरकार द्वारा परिभाषा को व्यापक बनाकर चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाई-बहनों जैसे रिश्तेदारों को शामिल करना नीति के मूल उद्देश्य के विपरीत है। अदालत ने चेतावनी दी कि परिभाषा को व्यापक बनाने से संभावित दुरुपयोग का द्वार खुल जाता है, जिससे नीति के उद्देश्य से बाहर के व्यक्ति इन सीटों का लाभ उठा सकते हैं।अदालत ने 28 अगस्त को गीता वर्मा और अन्य उम्मीदवारों की याचिका के बाद पहले ही नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी, जो संभावित रूप से अधिक योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर सकती थी।

योग्य छात्रों की हकमारी का प्रयास

अदालत ने पाया कि सरकार द्वारा 20 अगस्त को जारी अधिसूचना में किए गए संशोधन, जो मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे के लिए पात्रता मानदंडों में बदलाव करते हैं, अस्पष्ट और संभावित रूप से दुरुपयोग के लिए खुले हैं। अदालत ने कहा कि नए प्रावधान, जो दूर के रिश्तेदारों को केवल यह दावा करके अभिभावक के रूप में अर्हता प्राप्त करने की अनुमति देते हैं कि उन्होंने एक छात्र की देखभाल की है, योग्यता आधारित प्रवेश प्रक्रिया को कमजोर करते हैं।


कर्नाटक सरकार की तैयारियों का क्या होगा?

कर्नाटक सरकार ने विदेशी छात्रों को आकर्षित करने के लिए एक कदम उठाया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने केंद्र सरकार से राज्य के 22 मेडिकल कॉलेजों में 508 अतिरिक्त एमबीबीएस सीटें मंजूर करने का अनुरोध किया है। इस कदम का उद्देश्य विदेशी छात्रों (एनआरआई) को भारतीय मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश का अवसर प्रदान करना है। मंत्री ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए यूजीसी के दिशानिर्देशों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का हवाला दिया।

कर्नाटक सरकार की लालच

अभी कर्नाटक में सिर्फ निजी मेडिकल कॉलेज ही विदेशी छात्रों को दाखिला देते हैं, जहां फीस बहुत ज्यादा, करीब 1 से 2.5 करोड़ रुपये तक होती है। लेकिन राजस्थान, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में सरकारी मेडिकल कॉलेज भी विदेशी छात्रों को दाखिला देते हैं और उनसे कम फीस लेते हैं। कर्नाटक के मंत्री का मानना है कि अगर कर्नाटक में भी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में विदेशी छात्रों के लिए सीटें आरक्षित की जाएं तो सरकार को ज्यादा पैसा मिलेगा। इस पैसे से मेडिकल कॉलेजों में सुविधाएं और शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर की जा सकती है।

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री शरण प्रकाश पाटिल ने विदेशी छात्रों (एनआरआई) से 25 लाख रुपये सालाना फीस लेने का प्रस्ताव रखा है। उनका अनुमान है कि इससे राज्य सरकार को पहले साल में ही 127 करोड़ रुपये से अधिक की आय होगी। पाटिल को उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देगी और 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से कर्नाटक के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में विदेशी छात्रों के लिए सीटें आरक्षित कर दी जाएंगी।

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मंकीपॉक्स का खतरा भारत में! ⚠️ केरल में मिला नया मामला, सावधान रहें!

मंकीपॉक्स का खतरा भारत में फिलहाल देखने को मिला केरल में 30 वर्षीय यूएई से लौटे व्यक्ति में क्लेड-1 स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। डब्ल्यूएचओ पहले ही इस वायरस को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर चुका है। दिल्ली में पहले ही क्लेड-2 स्ट्रेन का मामला सामने आ चुका है, जिससे चिंता बढ़ गई है

अफ्रीका से भारत पहुंचा मंकीपॉक्स का खतरा! केरल में 30 वर्षीय यूएई से लौटे व्यक्ति में क्लेड-1 स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। डब्ल्यूएचओ पहले ही इस वायरस को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर चुका है। दिल्ली में पहले ही क्लेड-2 स्ट्रेन का मामला सामने आ चुका है, जिससे चिंता बढ़ गई है।

केरल के मल्लपुरम में मिला मरीज

केरल के मल्लापुरम में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आने से देश में दहशत फैल गई है। यह वह ही खतरनाक स्ट्रेन है जिसने अफ्रीका को हिलाकर रख दिया था। डब्ल्यूएचओ ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है।”

स्वास्थ्य विभाग ने की पुष्टि

स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि केरल के मल्लापुरम में मिला मंकीपॉक्स का मामला क्लेड-1 स्ट्रेन का है। मंत्रालय की प्रवक्ता मनीषा वर्मा के अनुसार, यह वह ही खतरनाक स्ट्रेन है जिसने अफ्रीका में तबाही मचाई थी।

दिल्ली में मिला था क्लेड 2 स्ट्रेन का मरीज

इससे पहले दिल्ली में सामने आया मंकीपॉक्स का मामला पश्चिमी अफ्रीकी क्लेड 2 स्ट्रेन का था। हरियाणा के हिसार के 26 वर्षीय व्यक्ति में इस महीने की शुरुआत में इस स्ट्रेन की पुष्टि हुई थी। 2022 में WHO द्वारा मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के बाद से भारत में अब तक 30 मामले दर्ज किए गए हैं।

मध्य अफ्रीका में मंकीपॉक्स क्लेड 1b पाया जाता है और गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। डब्ल्यूएचओ ने इस साल अब तक अफ्रीका में मंकीपॉक्स के 30,000 से अधिक संदिग्ध मामले बताए हैं, जिनमें से अधिकांश कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में हैं, जहां परीक्षणों को रोक दिया गया है। यूएन की हेल्थ एजेंसी ने एक रिपोर्ट में कहा कि मंकीपॉक्स ने इस दौरान महाद्वीप में 800 से अधिक लोगों की जान ले दी है।

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Chandrayaan 3: Pragyan Rover ने चांद पर फिर किया कमाल

भारत का Chandrayaan 3 मिशन, सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद भी नए-नए चमत्कार कर रहा है। इस मिशन के Pragyan Rover ने चांद पर एक नई खोज की है, जो विज्ञान की दुनिया में काफी खास मानी जा रही है। दरअसल, रोवर ने अपने लैंडिंग स्टेशन के पास चांद पर 160 किलोमीटर चौड़ा एक गड्ढा खोजा है, जो महत्वपूर्ण वैज्ञानिक जानकारी प्रदान कर सकता है।

Chandrayaan 3: चांद पर नई खोज: 160 किलोमीटर चौड़ा गड्ढा

Pragyan Rover द्वारा चांद की सतह पर की गई इस नई खोज को अहमदाबाद की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने साइंस डायरेक्ट के नवीनतम अंक में प्रकाशित किया है। चंद्रमा पर रोवर द्वारा भेजे गए डेटा के आधार पर यह गड्ढा खोजा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रज्ञान रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में लगातार सतह की खोज कर रहा है और इस दौरान यह महत्वपूर्ण खोज सामने आई है।

यह खोज क्यों है खास?

Pragyan Rover के डेटा ने चांद पर एक नई साइट की पहचान की है। जब रोवर ऐटकेन बेसिन से लगभग 350 किलोमीटर दूर एक ऊंचाई वाले क्षेत्र से गुजरा, तब उसे चांद पर यह विशाल और पुराना प्रभाव गड्ढा मिला। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस गड्ढे पर धूल और चट्टानों की परत चांद के शुरुआती भूवैज्ञानिक विकास को समझने में मदद करेगी। यही कारण है कि यह खोज बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास पर पड़ेगा असर

प्रज्ञान रोवर ने अपने ऑप्टिकल कैमरों से इस प्राचीन गड्ढे की हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें ली हैं। इन तस्वीरों से इस गड्ढे की संरचना और इसके निर्माण के बारे में अहम जानकारी मिल सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस गड्ढे की उम्र और संरचना से चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण संकेत मिलेंगे।

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चांद पर पिछले प्रभावों की जानकारी

यह गड्ढा चांद पर हुए पिछले कई प्रभावों की एकत्रित सामग्री को समेटे हुए है। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि यह गड्ढा ऐटकेन बेसिन के निर्माण से पहले बना था। इसकी उम्र के कारण यह गड्ढा बाद के प्रभावों से बने मलबे के नीचे दब गया है और समय के साथ इसका क्षरण हो गया है।

यह खोज चंद्रमा की सतह पर सबसे पुरानी भूवैज्ञानिक संरचनाओं में से एक मानी जा रही है और इससे चांद के भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।

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CJI चंद्रचूड़ ने की जीन थेरेपी का समर्थन, कहा – दुर्लभ बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना जरूरी

Cji चंद्रचूड़ ने जो भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं उन्होंने कहा कि दुर्लभ बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। उच्च लागत के कारण अधिकांश भारतीयों को यह उपचार उपलब्ध नहीं है, इसलिए स्वदेशी तकनीक का विकास करना चाहिए ताकि इसे अधिक लोगों के लिए उपलब्ध कराया जा सके।

सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने जीन थेरेपी को आनुवंशिक विकारों के उपचार में अहम बताया। उन्होंने कहा कि दुर्लभ बीमारियों के बारे में समाज में जागरूकता फैलाना आवश्यक है, क्योंकि आनुवंशिक विकार हमें रोक नहीं सकते। मुख्य न्यायाधीश ने हजारों माता-पिता से संवाद किया, जो अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए प्रयासरत हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ ने 24 सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में 40 से अधिक वर्षों का समृद्ध कानूनी अनुभव प्राप्त किया है।उस समय, डी वाई चंद्रचूड़ ने अपनी गोद ली हुई बेटियों के साथ एक दशक लंबे भावनात्मक संबंध की बात साझा की, जो आनुवंशिक विकार से पीड़ित थीं।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने बेंगलुरु में ‘जीन थेरेपी और प्रेसिजन मेडिसिन सम्मेलन’ के उद्घाटन भाषण में कहा कि दुर्लभ बीमारियों के उपचार की खोज तब तक व्यर्थ है जब तक इन उपचारों तक पहुंच एक चुनौती बनी रहती है, खासकर बड़े शहरी क्षेत्रों के बाहर। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य प्रणाली के बाहर के कारक, जैसे वर्ग, जाति, लिंग और क्षेत्रीय स्थिति, अक्सर किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति को प्रभावित करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जीवन के अधिकार के तहत गारंटीकृत स्वास्थ्य के अधिकार में आवश्यक उपचारों तक पहुंच सुनिश्चित करना भी शामिल है।

भारत में जीन थैरेपी का उपचार सबके बस की बात नहीं

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जीन थेरेपी तक सार्वभौमिक पहुंच में सबसे बड़ी बाधा इसकी अत्यधिक महंगाई है। पश्चिमी देशों में जीन थेरेपी का एक उपचार 7 से 30 करोड़ रुपये तक का होता है, जो भारत के अधिकांश लोगों के लिए संभव नहीं है। इस कारण कई परिवार इस आवश्यक उपचार तक पहुंचने के लिए क्राउडफंडिंग का सहारा लेते हैं। मुख्य न्यायाधीश ने सरकार द्वारा ऐसे उपचारों के लिए बीमा कवर प्रदान करने के प्रयासों की सराहना की, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारी रोगी जनसंख्या के लिए उपयुक्त स्वदेशी तकनीकों का विकास ही इस समस्या का स्थायी और प्रभावी समाधान हो सकता है।

उद्योग भागीदारी क्यों जरूरी

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे रोगियों के लिए सामाजिक-सांस्कृतिक समर्थन का आधार सामाजिक जागरूकता है। उन्होंने कहा कि लागत-प्रभावी जीन थेरेपी बनाने के लिए उद्योग को स्टार्टअप्स में प्रत्यक्ष निवेश या कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहल में अधिक सहयोग देना चाहिए। चूंकि दुर्लभ रोग उपचारों का बाजार अपेक्षाकृत छोटा है, अधिक उद्योग भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए कर प्रोत्साहन और लाभों की पेशकश की जानी चाहिए।

अंत में, उन्होंने कहा कि आनुवंशिक चिकित्सा में क्लिनिकल ट्रायल्स के संदर्भ में व्यक्ति के निर्णय लेने के मौलिक अधिकार को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। रोगियों को सभी संभावित परिणामों, जोखिमों और विकल्पों की पूरी जानकारी दी जानी चाहिए। स्वायत्तता का सम्मान करते हुए, उन्हें अपने स्वास्थ्य के बारे में निर्णय लेने की पूर्ण स्वतंत्रता मिलनी चाहिए

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Chandrayaan-4 Mission की क्या है सबसे बड़ी चुनौती ? ISRO चीफ ने किया खुलासा

चंद्रयान-4 मिशन (Chandrayaan-4 Mission) को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। इस मिशन को पूरा होने में कम से कम 36 महीने लगेंगे। मिशन के लिए सरकार ने 2104.06 करोड़ रुपये का फंड प्रदान किया है। इसरो के चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने चंद्रयान-4 और गगनयान मिशन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की हैं।

Chandrayaan-4 Mission: सैटेलाइट का आकार होगा दोगुना

डॉ. सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-4 की इंजीनियरिंग प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इस प्रक्रिया को कई परतों से गुजरना होगा। चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य सिर्फ चंद्रमा तक पहुंचकर लैंड करना था, जबकि चंद्रयान-4 का उद्देश्य चंद्रमा से वापस लौटना भी है, जो एक नई चुनौती होगी। चंद्रयान-4 मिशन में सैटेलाइट का आकार लगभग दोगुना होगा और इसमें पांच मॉड्यूल्स होंगे।

गगनयान मिशन की जानकारी

इसरो चीफ ने गगनयान मिशन पर भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, “गगनयान लॉन्च के लिए तैयार है और हम इसे इस साल के अंत तक लॉन्च करने की कोशिश कर रहे हैं।”

Chandrayaan-4: दो हिस्सों में होगा लॉन्च

Chandrayaan-4 को एक बार में नहीं बल्कि दो हिस्सों में लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद अंतरिक्ष में इन मॉड्यूल्स को आपस में जोड़ा जाएगा, जिसे डॉकिंग कहा जाता है।

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Chandrayaan-4 के 5 मॉड्यूल्स

Chandrayaan-4 मिशन में निम्नलिखित पांच मॉड्यूल्स शामिल होंगे:

  1. प्रोपल्शन मॉड्यूल
  2. डिसेंडर मॉड्यूल
  3. एसेंडर मॉड्यूल
  4. ट्रांसफर मॉड्यूल
  5. री-एंट्री मॉड्यूल

यह मिशन इसरो के अंतरिक्ष अभियानों में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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Monkeypox cases: सावधान! देश में सामने आया दूसरा केस

Monkeypox cases: देश में Monkeypox का दूसरा मामला सामने आ चुका है। दुबई से केरल लौटा एक व्यक्ति मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया है। 38 वर्षीय इस व्यक्ति का मलप्पुरम जिले में इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, उसकी रिपोर्ट में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई है।

Monkeypox cases: पहले मामले की पुष्टि

इससे पहले 9 सितंबर को Monkeypox का पहला मामला सामने आया था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि विदेश से लौटे एक व्यक्ति को 8 सितंबर को मंकीपॉक्स के संदेह में आइसोलेशन में रखा गया था, जिसके बाद उसमें संक्रमण की पुष्टि हुई।

केंद्र का अलर्ट: सभी राज्य सतर्क रहें

मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को सतर्क रहने की सलाह दी है। केंद्र ने कहा है कि राज्यों को अपनी स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारियों की समीक्षा करनी चाहिए और संक्रमण को रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।

WHO ने किया ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी का ऐलान

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। यह दूसरी बार है जब WHO ने मंकीपॉक्स के लिए हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की है।

कोविड-19 के पहले मामले की याद

गौरतलब है कि भारत में कोविड-19 का पहला मामला भी केरल में ही सामने आया था। 30 जनवरी 2020 को केरल के तीन शहरों में कोविड के तीन मामले दर्ज हुए थे। तीनों मरीज चीन के वुहान से लौटे मेडिकल छात्र थे। हालाँकि, मंकीपॉक्स और कोरोना दोनों अलग-अलग वायरस से होते हैं और इनके लक्षण भी अलग होते हैं।

Covid-19 और Mpox (Monkeypox) में अंतर

वायरस का प्रकार

  • Covid-19: यह SARS-COV-2 वायरस के कारण होता है।
  • Mpox: मंकीपॉक्स ऑर्थोपॉक्स वायरस से होता है, जो Poxviridae फैमिली का हिस्सा है।

लक्षणों की गंभीरता

  • Covid-19: इसके लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं और यह तेजी से फैलता है।
  • Mpox: इसके मुकाबले Monkeypox के लक्षण कम गंभीर होते हैं, हालांकि शरीर पर चकत्ते और फफोले उभरते हैं।

शरीर पर असर

  • Covid-19: यह वायरस मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करता है।
  • Mpox: इसके कारण त्वचा पर चकत्ते, फफोले और घाव होते हैं।

लक्षण दिखने का समय

  • Covid-19: संक्रमित होने के 14 दिन के भीतर लक्षण दिखाई देते हैं।
  • Mpox: संक्रमण के 21 दिनों के भीतर लक्षण सामने आते हैं।

ठीक होने का समय

  • Covid-19: मरीज 4 से 5 दिनों में ठीक हो सकते हैं।
  • Mpox: मरीज को ठीक होने में 2 से 4 सप्ताह लग सकते हैं।

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मंकीपॉक्स के लक्षण

  • बुखार
  • शरीर में गांठ बनना
  • सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान
  • ठंड लगना और पसीना आना
  • गले में खराश और खांसी
  • त्वचा पर लाल चकत्ते, फफोले, खुजली और जख्म

मंकीपॉक्स कितना खतरनाक है?

मंकीपॉक्स एक पीड़ादायक बीमारी है, लेकिन यह कोरोना की तरह तेजी से फैलने वाली नहीं है। जिन लोगों को चेचक का टीका लगा है या जिन्हें पहले चेचक हुआ है, उनमें इसका संक्रमण होने का खतरा कम होता है। मंकीपॉक्स की मृत्यु दर भी चेचक जैसी ज्यादा नहीं है, और ज्यादातर मरीज 2 से 4 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।

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