Supreme Court ने पंजाब सरकार को झटका देते हुए एनआरआई कोटे का विस्तार करने की उसकी याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने साफ कर दिया है कि एनआरआई के दूर के रिश्तेदारों को इस कोटे का लाभ नहीं मिलेगा। वहीं, कर्नाटक सरकार अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 15% एनआरआई कोटा शुरू करने पर विचार कर रही है।
पंजाब सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) के दूर के रिश्तेदारों को आरक्षण देने को धोखाधड़ी करार देते हुए उच्चतम न्यायालय की फटकार का सामना किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे फर्जीवाड़ा बताते हुए तत्काल समाप्त करने का आदेश दिया। आम आदमी पार्टी की सरकार, जो मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में है, ने एनआरआई कोटा बढ़ाने की याचिका उच्च न्यायालय से खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उनकी अपील भी अस्वीकार कर दी गई। अदालत ने स्पष्ट किया कि एनआरआई के दूर के रिश्तेदारों को एडमिशन में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता। यह निर्णय उस समय आया है जब कर्नाटक सरकार 2025-26 शैक्षणिक वर्ष से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 15% एनआरआई कोटा लागू करने की योजना बना रही है।
हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था नोटिफिकेशन
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए उसके उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे के लिए पात्रता के नियमों में बदलाव किए गए थे। न्यायालय ने कहा कि 20 अगस्त की अधिसूचना,जो सरकार ने दूर के रिश्तेदारों को भी इस कोटे में शामिल करने का जो फैसला लिया था, वह गलत था।
एनआरआई कोटे की आड़ में धांधली की कोशिश!
अदालत ने कहा कि एनआरआई कोटा का मूल उद्देश्य वास्तविक एनआरआई और उनके बच्चों को लाभ पहुंचाना था। हालांकि, सरकार द्वारा परिभाषा को व्यापक बनाकर चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाई-बहनों जैसे रिश्तेदारों को शामिल करना नीति के मूल उद्देश्य के विपरीत है। अदालत ने चेतावनी दी कि परिभाषा को व्यापक बनाने से संभावित दुरुपयोग का द्वार खुल जाता है, जिससे नीति के उद्देश्य से बाहर के व्यक्ति इन सीटों का लाभ उठा सकते हैं।अदालत ने 28 अगस्त को गीता वर्मा और अन्य उम्मीदवारों की याचिका के बाद पहले ही नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी, जो संभावित रूप से अधिक योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर सकती थी।
योग्य छात्रों की हकमारी का प्रयास
अदालत ने पाया कि सरकार द्वारा 20 अगस्त को जारी अधिसूचना में किए गए संशोधन, जो मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे के लिए पात्रता मानदंडों में बदलाव करते हैं, अस्पष्ट और संभावित रूप से दुरुपयोग के लिए खुले हैं। अदालत ने कहा कि नए प्रावधान, जो दूर के रिश्तेदारों को केवल यह दावा करके अभिभावक के रूप में अर्हता प्राप्त करने की अनुमति देते हैं कि उन्होंने एक छात्र की देखभाल की है, योग्यता आधारित प्रवेश प्रक्रिया को कमजोर करते हैं।
कर्नाटक सरकार की तैयारियों का क्या होगा?
कर्नाटक सरकार ने विदेशी छात्रों को आकर्षित करने के लिए एक कदम उठाया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने केंद्र सरकार से राज्य के 22 मेडिकल कॉलेजों में 508 अतिरिक्त एमबीबीएस सीटें मंजूर करने का अनुरोध किया है। इस कदम का उद्देश्य विदेशी छात्रों (एनआरआई) को भारतीय मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश का अवसर प्रदान करना है। मंत्री ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए यूजीसी के दिशानिर्देशों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का हवाला दिया।
कर्नाटक सरकार की लालच
अभी कर्नाटक में सिर्फ निजी मेडिकल कॉलेज ही विदेशी छात्रों को दाखिला देते हैं, जहां फीस बहुत ज्यादा, करीब 1 से 2.5 करोड़ रुपये तक होती है। लेकिन राजस्थान, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में सरकारी मेडिकल कॉलेज भी विदेशी छात्रों को दाखिला देते हैं और उनसे कम फीस लेते हैं। कर्नाटक के मंत्री का मानना है कि अगर कर्नाटक में भी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में विदेशी छात्रों के लिए सीटें आरक्षित की जाएं तो सरकार को ज्यादा पैसा मिलेगा। इस पैसे से मेडिकल कॉलेजों में सुविधाएं और शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर की जा सकती है।
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री शरण प्रकाश पाटिल ने विदेशी छात्रों (एनआरआई) से 25 लाख रुपये सालाना फीस लेने का प्रस्ताव रखा है। उनका अनुमान है कि इससे राज्य सरकार को पहले साल में ही 127 करोड़ रुपये से अधिक की आय होगी। पाटिल को उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देगी और 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से कर्नाटक के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में विदेशी छात्रों के लिए सीटें आरक्षित कर दी जाएंगी।