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Chandrayaan-4 Mission की क्या है सबसे बड़ी चुनौती ? ISRO चीफ ने किया खुलासा

चंद्रयान-4 मिशन (Chandrayaan-4 Mission) को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। इस मिशन को पूरा होने में कम से कम 36 महीने लगेंगे। मिशन के लिए सरकार ने 2104.06 करोड़ रुपये का फंड प्रदान किया है। इसरो के चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने चंद्रयान-4 और गगनयान मिशन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की हैं।

Chandrayaan-4 Mission: सैटेलाइट का आकार होगा दोगुना

डॉ. सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-4 की इंजीनियरिंग प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इस प्रक्रिया को कई परतों से गुजरना होगा। चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य सिर्फ चंद्रमा तक पहुंचकर लैंड करना था, जबकि चंद्रयान-4 का उद्देश्य चंद्रमा से वापस लौटना भी है, जो एक नई चुनौती होगी। चंद्रयान-4 मिशन में सैटेलाइट का आकार लगभग दोगुना होगा और इसमें पांच मॉड्यूल्स होंगे।

गगनयान मिशन की जानकारी

इसरो चीफ ने गगनयान मिशन पर भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, “गगनयान लॉन्च के लिए तैयार है और हम इसे इस साल के अंत तक लॉन्च करने की कोशिश कर रहे हैं।”

Chandrayaan-4: दो हिस्सों में होगा लॉन्च

Chandrayaan-4 को एक बार में नहीं बल्कि दो हिस्सों में लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद अंतरिक्ष में इन मॉड्यूल्स को आपस में जोड़ा जाएगा, जिसे डॉकिंग कहा जाता है।

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Chandrayaan-4 के 5 मॉड्यूल्स

Chandrayaan-4 मिशन में निम्नलिखित पांच मॉड्यूल्स शामिल होंगे:

  1. प्रोपल्शन मॉड्यूल
  2. डिसेंडर मॉड्यूल
  3. एसेंडर मॉड्यूल
  4. ट्रांसफर मॉड्यूल
  5. री-एंट्री मॉड्यूल

यह मिशन इसरो के अंतरिक्ष अभियानों में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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