Categories
टेक

YouTube Premium के लिए नहीं खर्च करना होगा पैसा!

YouTube Premium: गूगल के पॉपुलर वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म यूट्यूब (YouTube) का इस्तेमाल करोड़ों लोग कर रहे हैं। हर इंटरनेट यूजर की यूट्यूब एक बड़ी जरूरत है। अगर आप भी यूट्यूब का इस्तेमाल करते हैं और ऐड-फ्री कंटेंट (YouTube Premium) का मजा लेना चाहते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद काम की साबित होने वाली है। आपको यूट्यूब प्रीमियम के लिए अलग से पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं होगी। आपका काम फ्री में बन जाएगा।

YouTube Premium: प्राइवेट वेब ब्राउजर का करें इस्तेमाल

आप अपने फोन में एक प्राइवेट वेब ब्राउजर डाउनलोड कर सकते हैं। हम यहां ब्रेव इन्कॉग्निटो (Brave Incognito) वेब ब्राउजर की बात कर रहे हैं। ब्रेव एआई के साथ फास्ट इंटरनेट, एडब्लॉक और वीपीएन है। इस वेब ब्राउजर के साथ आप इंटरनेट का सुरक्षित रूप से इस्तेमाल कर सकते हैं।

Brave Private Web Browser कैसे करता है काम

  1. आप इस ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।
  2. जैसे ही ऐप फोन में डाउनलोड हो जाता है, इसे ओपन करें।
  3. ओपन करने के बाद, इसे क्रोम ब्राउजर की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।
  4. सर्च बॉक्स पर YouTube टाइप करें।
  5. ऐसा करने पर आप यूट्यूब होम पेज पर आ जाएंगे। यहां किसी भी वीडियो को बिना ऐड्स के प्ले कर सकते हैं।

यह भी पढ़े: DEVARA WORLDWIDE COLLECTION: 400 करोड़ के नजदीक पहुंची ‘देवरा,

एक टैप में लें ऐड-फ्री कंटेंट का मजा

यदि आप इस वेब ब्राउजर को अपना डिफॉल्ट ब्राउजर नहीं बनाना चाहते हैं, तो नीचे दायीं ओर मेन्यू बटन पर क्लिक करें। मेन्यू बटन पर क्लिक करने के बाद “Add To Home Screen” पर टैप करें। इस सेटिंग के बाद आपका यूट्यूब आपको एक टैप में ऐड-फ्री एक्सपीरियंस देने के लिए होम पेज पर तैयार रहेगा।

For Tech & Business Updates Click Here

Categories
टेक

SearchGPT: Google सर्च इंजन को चुनौती देगा OpenAI का नया AI

SearchGPT: पिछले कुछ सालों में एआई ने बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। टेक कंपनियां लगातार खुद को नई तकनीकों के साथ अपडेट करने में जुटी रहती हैं। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए, OpenAI ने गूगल के सर्च इंजन को टक्कर देने की तैयारी कर ली है।

कंपनी ने पिछले गुरुवार को बताया कि वह अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजन को बाजार में प्रमुख गूगल सर्च इंजन को प्रतियोगिता देने के लिए तैयार कर रही है और इसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है। आइए इसके बारे में जानते हैं।

गूगल को टक्कर देगा OpenAI

ओपन एआई ने बताया कि वह एक नए एआई प्रोटोटाइप ‘सर्चजीपीटी’ की टेस्टिंग कर रहा है। इसे कंपनी के एआई मॉडल की ताकत को वेब की जानकारी के साथ जोड़ने के लिए डिजाइन किया गया है। इससे ऑनलाइन पूछे गए सभी प्रश्नों के त्वरित उत्तर मिलने के साथ-साथ सही स्रोत की भी जानकारी दी जाएगी। कंपनी ने अपने ब्लॉग पोस्ट में बताया कि सर्चजीपीटी को फीडबैक पाने के लिए यूजर्स और पब्लिकेशन के एक छोटे समूह को उपलब्ध कराया जा रहा है। कंपनी ने बताया कि आने वाले समय में इसे ChatGPT में शामिल किया जाएगा।

यह भी पढ़े: RENAULT KWID के बेस वेरिएंट को सिर्फ 3661 रुपये की EMI पर ले लाएं घर

SearchGPT: यूजर्स को कैसे होगा फायदा

OpenAI ने कहा कि यूजर्स कन्वर्सेशनल क्वेरी के जरिए सर्चजीपीटी के साथ बातचीत कर सकेंगे। इसके अलावा वे सर्च एआई से फॉलो-अप भी कर सकते हैं। Google ने हाल ही में अपने सर्च इंजन में एआई-जनरेटेड क्वेरी रिजल्ट समरी का विकल्प जोड़ा है। इसे ‘ओवरव्यू’ कहा जाता है। यह नई सुविधा Google सर्च के परिणामों में सबसे ऊपर लिखे हुए टेक्स्ट का विकल्प प्रदान करती है। इसमें उस साइट के लिंक को जोड़ा जाता है और टॉपिक की एक समरी होती है। OpenAI का SearchGPT का विवरण Google के ओवरव्यू के समान लग रहा है।

For Tech & Business Updates Click Here

Categories
टेक

Google Vids: Google ने लॉन्च किया AI वीडियो टूल

लंबे इंतजार के बाद गूगल ने अपने एआई वीडियो टूल Google Vids को लॉन्च कर दिया है। फिलहाल Google Vids को Google Workspace के लिए पेश किया गया है, हालांकि यह पब्लिक वर्जन नहीं है, बल्कि बीटा वर्जन है। गूगल Vids को इसी साल अप्रैल में गूगल के Google Cloud Next इवेंट में लॉन्च किया गया था।

Google ने लॉन्च किया Google Vids AI वीडियो टूल

गूगल Vids एक एआई वीडियो जेनरेटर टूल है जो स्टोरीबोर्ड भी बनाता है। इसके अलावा, Google Vids की मदद से आप प्रेजेंटेशन भी बना सकते हैं। फिलहाल गूगल Vids वही लोग इस्तेमाल कर सकते हैं जिन्होंने Workspace Labs के लिए साइनअप किया है। वैश्विक लॉन्चिंग को लेकर फिलहाल कोई खबर नहीं है।

यह भी पढ़े: WHATSAPP पर आ रहा एक कमाल का फीचर! अलग-अलग भाषाओं में खुद ही ट्रांसलेट होगा अब मैसेज

गूगल Vids के बीटा वर्जन की जानकारी गूगल डॉक्स के कम्युनिटी मैनेजर करन एस ने दी है। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, “हम Google Vids को वर्कस्पेस लैब्स में लाने के लिए उत्साहित हैं। Vids एक AI-आधारित वीडियो जेनरेटर एप है। इसके साथ गूगल जेमिनी का सपोर्ट है।”

वीडियो के लिए यूजर्स के टेंपलेट को चुनने का भी ऑप्शन होगा। इसके अलावा इसमें गूगल डॉक्स, स्लाइड, वीडियोज और ऑडियो रिकॉर्डिंग को भी मैन्युअली शामिल किया जा सकेगा। इसका मुकाबला ओपनएआई के सोरा से होगा।

For Tech & Business Updates Click Here

Categories
टेक

DeepFake पर एक्शन मोड में अश्विनी वैष्णव , बैठक में Google और Meta जैसी बड़ी कंपनियां शामिल होंगी

DeepFake: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कल कहा कि डीपडेक वीडियो के बढ़ते मामलों को देखते हुए अगले 3 से 4 दिनों में सरकारी अधिकारियों और प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बीच एक बैठक होगी. इस बैठक में सभी लोग डीपफेक वीडियो के नियमों और उन्हें कैसे नियंत्रित किया जा सकता है, इस पर चर्चा करेंगे। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि अगर प्लेटफॉर्म डीपफेक के प्रसार को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने में विफल रहता है तो सेफ हार्बर इम्युनिटी की सुरक्षा रद्द कर दी जाएगी। यानी सोशल मीडिया कंपनियों को दी गई छूट खत्म हो जाएगी.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार ने सभी प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों को नोटिस भेजकर प्लेटफॉर्म पर डीपफेक वीडियो पर कार्रवाई करने और उन्हें हटाने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा है। उन्होंने कहा कि कंपनियों ने नोटिस का जवाब दे दिया है और हर कोई इस पर काम कर रहा है। हाल ही में पीएम मोदी ने भी एआई के दुरुपयोग पर प्रकाश डाला था और मीडिया संगठनों से लोगों को इसके बारे में जागरूक करने को कहा था। उन्होंने कहा कि सरकार एआई पर कानून बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और इस विषय पर ओपन एआई के साथ बातचीत भी चल रही है।

बैठक में Google और Meta जैसी बड़ी कंपनियां शामिल होंगी

पत्रकारों को दिए एक बयान में अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कंपनियां सरकार द्वारा भेजे गए नोटिस पर कार्रवाई कर रही हैं। लेकिन हमें लगता है कि अभी कई कदम उठाए जाने बाकी हैं और हम जल्द ही सभी मंचों की बैठक करने जा रहे हैं…हो सकता है कि सरकार अगले 3-4 दिनों में बैठक करे. इस बैठक में सभी विचारों पर मंथन होगा और एआई के दुरुपयोग को कैसे कम किया जाए इस पर चर्चा होगी। इस बात पर भी चर्चा होगी कि एआई इंसानों के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है।

*सेफ हार्बर इम्युनिटी के तहत, किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को उपयोगकर्ताओं द्वारा उस पर पोस्ट की गई सामग्री के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। लेकिन अगर कंपनियां डीपफेक पर कोई कार्रवाई नहीं करती हैं तो उनसे यह रियायत वापस ले ली जाएगी और फिर कंपनी को भी जिम्मेदार माना जाएगा।

यह भी पढ़ें: आप घर बैठे AMAZON से खरीद सकते हैं कार, इस कंपनी से ऑर्डर करें कार

देशदुनियाबिजनेस अपडेटबॉलीवुड न्यूजटेक & ऑटोक्रिकेट और राजनीति से लेकर राशिफल तक की ताजा खबरें पढ़ें। ट्रेंडिंग और लेटेस्ट न्यूज के लिए Buzztidings Hindi को अभी सब्सक्राइब करे।
Categories
टेक

AI की रेस में Apple हुआ शामिल, ऐप्पल ला रहा Apple GPT, ChatGPT और Google Bard को देगा टक्कर

जैसा की आप जानते है एप्पल अपने प्रीमियम प्रोडक्ट के लिए जाना जाता है। इसमें कोई दोराइये नहीं है कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार पता चलता है कि ऐप्पल जल्द ही AI की दुनिया में कुछ तूफानी करने वाला है। जी हाँ ऐप्पल ChatGPT से भी बेहतर अपना खुद का Apple GPT लॉच करने वाला है।आइये जानते है सब कुछ क्या खास है इसमें

ऐप्पल पहले से ही कई सेवाओं के लिए AI का उपयोग करता है। लेकिन ऐसा लगता है कि कंपनी चैटजीपीटी और अन्य प्लेटफॉर्म से प्रतिस्पर्धा करना चाहती है और इसके लिए तैयारी कर रही है।

कि Apple एक बड़े लैंग्वेज मॉडल पर काम कर रहा है। जल्द ही Apple अपना GPT एआई चैटबॉट ला सकता है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, एप्पल एलएलएम । निर्माण के लिए फ्रेमवर्क तैयार कर लिया गया है। आपको बता दें कि चैटजीपीटी, बार्ड और बिंग जैसे जेनेरिक एआई टूल भी इसी पर बने हैं। हालाँकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ऐप्पल इसे अपने यूजर्स के लिए जारी करेगा या नहीं। ऐसी भी अफवाहें हैं कि अगले साल कुछ घोषणाएं हो सकती हैं। आपको बता दें कि iPhone निर्माता कंपनी Apple ने अपने कर्मचारियों को ChatGPT जैसे LMM मॉडल का इस्तेमाल करने से रोक दिया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐप्पल AI के क्षेत्र में पिछड़ने को लेकर काफी चिंतित है और इसीलिए वह जेनरेटिव एआई चैटबॉट टूल्स बनाने पर काम कर रहा है। हालाँकि वह पहले से ही कई सेवाओं के लिए AI का उपयोग कर रहा है, अब वह एलएलएम फ्रेमवर्क पर काम कर रहा है, जिसे उसने Ajax नाम दिया है। यह बिल्कुल ChatGPT जैसा हो सकता है. इसका मतलब है कि आप इससे सवाल पूछ सकेंगे और जवाब पा सकेंगे.

रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि अजाक्स ढांचा संभवतः Google Jax पर आधारित है। ऐप्पल पहले ही अपनी Google क्लाउड सेवा के लिए Google के साथ काम कर चुका है, जो उसे ऐप्पल क्लाउड नेटवर्क में मदद करती है। इसके अलावा ऐप्पल अपने खुद के इंफ्रास्ट्रक्चर और Amazon Web Service (AWS) का भी इस्तेमाल कर रहा है। आपको बता दें कि हाल ही में आईफोन निर्माता कंपनी एप्पल ने हाल ही में जॉब ओपनिंग के लिए पोस्ट किया था। विवरण में कहा गया है कि उम्मीदवार को बड़े भाषा मॉडल और जेनरेटिव एआई का ज्ञान होना चाहिए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एप्पल अब इस क्षेत्र की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

अफवाहों की मानें तो कंपनी ने Ajax फ्रेमवर्क पर पिछले साल ही काम करना शुरू कर दिया था। कंपनी ने एक चैटबॉट भी विकसित किया है। लेकिन यह सभी के लिए उपलब्ध नहीं है. इसका उपयोग करने के लिए अनुमति आवश्यक है। इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि ऐप्पल अपने एआई चैटबॉट सिस्टम को कैसे प्रशिक्षित कर रहा है।

यह भी पढ़े: ELON MUSK ने लॉन्च की नई XAI कंपनी, CHATGPT पर मंडराया खतरा

Exit mobile version