नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी का ये पहला अमेरिकी दौरा है.जिसमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अमेरिका के दौरे पर गए
Rahul Gandhi ने टेक्सास में भारतीय समयानुसार नौ सितंबर की सुबह दो कार्यक्रमों में गए . वही राहुल गांधी ने भारतीय समुदाय के लोगों से भी मुलाक़ात की और यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के एक कार्यक्रम में आपने विचार रखे,इस दौरान पर राहुल गांधी बीजेपी और RSS पर भारी पड़े .
इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस के चेयरपर्सन सैम पित्रोदा ने बीते सप्ताह समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था कि विपक्ष के नेता अमेरिका किसी आधिकारिक हैसियत से नहीं बल्कि ‘व्यक्तिगत तौर’ पर आ रहे हैं|
- राहुल गांधी ने कहा है,”चुनाव के नतीजे आने के कुछ मिनट के अंदर ही लोगों के मन से बीजेपी और भारत के प्रधानमंत्री मोदी का डर समाप्त हो जाऊंगा ”
- बीजेपी 240 सीटें ही जीत सकी थी बीते लोकसभा चुनावों में, हालांकि एनडीए के घटक दलों की मदद से नरेंद्र मोदी सरकार बनाने में सफल रहे थे.
- साथ ही चुनावों के बाद से कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन साल 2024 के चुनावी नतीजों सेअपनी बड़ी जीत बताकर पेश कर रहा है.
राहुल गांधी वॉशिंगटन डीसी में भी कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे जैसे :
राहुल गांधी ने टेक्सास में एक कार्यक्रम में कहा है, कि ”RSS मानता है कि भारत ‘एक विचार’ है, जबकि हम मानते हैं कि भारत ‘कई विचारों’ से बना है. हम अमेरिका की तरह मानते हैं कि हर किसी को सपने देखने का अधिकार है,और सबको भागीदारी का मौक़ा मिलना चाहिए और यही लड़ाई है.?
राहुल गांधी ने अमेरिका में बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) पर हमला बोला है
बीजेपी की प्रतिक्रिया राहुल गांधी के अमेरिकी दौरे में,
राहुल के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने कहा कि “Rahul Gandhi को आरएसएस को समझने के लिए कई जन्मों की आवश्यकता होगी। कोई भी देशद्रोही RSS को नहीं समझ सकता। जो लोग विदेश में जाकर देश की निंदा करते हैं, वे RSS के मूल को नहीं समझ सकते। ऐसा लगता है कि राहुल गांधी विदेशों में सिर्फ भारत को बदनाम करने के लिए जाते हैं।”
गिरिराज सिंह ने आगे कहा कि “मैं यह कह रहा हूं कि इस जन्म में राहुल गांधी RSS को नहीं समझ पाएंगे, क्योंकि यह संगठन भारतीय संस्कार और संस्कृति की नींव पर आधारित है।”
राहुल गांधी ने कई बार अमेरिका का दौरा किया है, और इनके विदेश दौरों पर बीजेपी ने आक्रामक रुख अपनाया है।
साथ ही, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा ने टेक्सास में राहुल गांधी का परिचय देते हुए कहा, “Rahul Gandhi के पास एक स्पष्ट दृष्टिकोण है। यह उस बात के विपरीत है जिसके लिए बीजेपी ने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। वो बेवकूफ नहीं हैं। वह एक ज्ञानवर्धक व्यक्ति हैं और उन्होंने बहुत कुछ पढ़ा है। वह एक रणनीतिकार हैं जिनके पास किसी भी मुद्दे पर गहन विचार है।”
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इसी बयान का एक अंश साझा कर तंज़ कसा है।
अमित मालवीय ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि यदि कोई Rahul Gandhi का परिचय इस तरह से कर रहा है कि वे बेवकूफ नहीं हैं, तो सैम पित्रोदा ने यह साबित कर दिया है।
सैम पित्रोदा लोकसभा के एक महत्वपूर्ण चुनाव के दौरान अपनी एक टिप्पणी के कारण प्रसिद्ध हुए। इसके चलते उन्हें अपनी नौकरी से हटना पड़ा, लेकिन चुनाव के बाद उन्हें दोबारा नौकरी मिल गई।
मई 2024 में सैम ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहाँ विभिन्न प्रकार के लोग निवास करते हैं। पूर्व में कुछ लोग चीनी जैसे, पश्चिम में कुछ लोग अरब जैसे, उत्तर में कुछ लोग गोरे जैसे और दक्षिण में कुछ लोग अफ्रीकी जैसे दिखते हैं। लेकिन चाहे हम जैसे भी दिखें, हम सब भाई-बहन के समान हैं और खुशी-खुशी एक साथ रह सकते हैं।
नौ सितंबर को अमेरिका में हुए कार्यक्रम में Rahul Gandhi ने दावा किया- बीजेपी भारत के संविधान पर हमला कर रही है.
अमेरिका में भारतीय समुदाय के लोगों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का स्वागत किया है
Rahul Gandhi ने और क्या कुछ कहा
राहुल गांधी ने दावा किया है कि चुनाव के दौरान लाखों लोग इस बात को स्पष्ट तौर पर समझ रहे थे भारत के प्रधानमंत्री संविधान के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं,
राहुल गांधी ने कहा, कि भारत का संविधान नियमों के एक बड़े समूह की तरह है जो कहता है कि हमें सभी भाषाओं, धर्मों, परंपराओं और लोगों के समूहों का सम्मान करना चाहिए। संविधान आधुनिक भारत की बुनियाद है. चुनाव के दौरान मैंने एहसास क्या की बीजेपी हमारी परंपरा, भाषा, राज्य और इतिहास पर हमला कर रही है.”
पिछले बड़े लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन ने ‘संविधान को ख़तरे में होने की बात कही थी
विपक्षी दलों ने चुनावी रैलियों में दावा किया था कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो संविधान को बदल देगी
हालांकि विपक्षी दलों के ऐसे दावों को बीजेपी ख़ारिज करती रही थी.
इंडिया गठबंधन का आरोप था कि बीजेपी संविधान में कमज़ोर तबकों को दिए गए आरक्षण को ख़त्म करना चाहती है.
Rahul Gandhi ने कहा, ”बीजेपी का डर समाप्त हो गया है. यह भारत के लोगों की उपलब्धि है जिन्होंने बताया कि हम भारत के संविधान पर किसी हमले को स्वीकार नहीं करेंगे.”
भारतीय समुदाय से जुड़े एक कार्यक्रम में राहुल गांधी बोले, ”आप यहां मन में घृणा नहीं, सम्मान लेकर आए हैं और आप यहां हमारे दूत हैं. इसलिए आपकी एक बहुत बड़ी भूमिका है. भारत को अमेरिका की ज़रूरत है और अमेरिका को भारत की. आप अपने पुराने घर और नए घर अमेरिका के बीच पुल हैं.”
Rahul Gandhi बेरोज़गारी पर क्या बोले
- राहुल ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सास के छात्रों के बीच दुनियाभर में बेरोज़गारी और अन्य मुद्दों पर बात की.
- राहुल गांधी ने छात्रों के बीच कहा कि आज भारत में ‘मेड इन चाइना’ फ़ोन, फ़र्नीचर और कपड़े हर चीज़ के पीछे लिखा होता है.
- छात्रों के बीच राहुल गांधी ने अपनी 4 हज़ार किलोमीटर की भारत जोड़ो यात्रा पर भी बात की है.
Rahul Gandhi ने कहा, ”पहला सवाल जो आपने पूछा, कि मैं चार हजार किलोमीटर पैदल क्यों चला, हमें ऐसा करने की ज़रूरत क्यों पड़ी?”
“ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत में संचार की सभी लाइनें बंद थीं।” हमने संसद में बात की लेकिन उन्हें टेलीविजन पर प्रसारित नहीं किया गया।’ हम मीडिया के पास गए, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी. हमने कानूनी व्यवस्था के दस्तावेज भी पेश किये, लेकिन कुछ नहीं हुआ. सारे रास्ते बंद हो गए और काफी देर तक हमें समझ नहीं आया कि कैसे बातचीत करें।’
राहुल ने कहा, “फिर अचानक हमें यह विचार आया कि अगर मीडिया आम लोगों तक नहीं पहुंच रहा है और संस्थाएं हमसे नहीं जुड़ रही हैं, तो हम सीधे उनके पास जाएं.
राहुल गांधी ने कहा, “इस यात्रा ने मेरे काम के प्रति सोचने का तरीका पूरी तरह से बदल दिया। इस यात्रा में कई लोग शामिल थे, और बिना किसी योजना के जो सबसे अच्छी बात स्वाभाविक रूप से उभरी, वह थी राजनीति में प्रेम के विचार का आगमन। यह अजीब है क्योंकि अधिकांश देशों में राजनीतिक चर्चा में आपको ‘प्रेम’ शब्द सुनने को नहीं मिलता। वहाँ आपको नफरत, गुस्सा, अन्याय, भ्रष्टाचार जैसे शब्द ही सुनने को मिलते हैं।”
चीन का दुनिया के उत्पादन पर कब्ज़ा
राहुल गांधी ने कहा है कि दुनिया में हर जगह रोज़गार की समस्या नहीं है। पश्चिमी देशों और भारत में रोज़गार की समस्या है, लेकिन चीन और वियतनाम में ऐसा नहीं है।
राहुल गांधी ने बताया कि 1940, 50 और 60 के दशकों में अमेरिका वैश्विक उत्पादन का केंद्र था। उस समय अमेरिका में कार, वाशिंग मशीन, टीवी जैसी चीज़ें बनाई जाती थीं, लेकिन धीरे-धीरे यह उत्पादन कोरिया, जापान और अब चीन में चला गया है।
राहुल ने कहा, “अगर आप आज देखें, तो चीन वैश्विक उत्पादन पर हावी है। भारत में आप फोन, फर्नीचर, कपड़े देखें तो उनमें ‘मेड इन चाइना’ लिखा होता है। यह एक सच्चाई है।”
“तो क्या हुआ है? पश्चिमी देशों, अमेरिका, यूरोप और भारत ने उत्पादन के विचार को छोड़ दिया है और इसे चीन को सौंप दिया है,” राहुल गांधी ने कहा।
राहुल गांधी ने रोज़गार के संकट पर विशेष रूप से बात की और कहा, “उत्पादन का काम रोज़गार पैदा करता है। हम जो करते हैं, या जो अमेरिका और पश्चिमी देश करते हैं, वह उपभोग को व्यवस्थित करना है।”
राहुल गांधी के अनुसार, भारत को उत्पादन के काम और उसे व्यवस्थित करने के बारे में गंभीरता से सोचना होगा। विनिर्माण या उत्पादन का काम अब चीनी, वियतनामी या बांग्लादेशियों द्वारा किया जा रहा है।
राहुल गांधी ने कहा, “बांग्लादेश अभी समस्याओं का सामना कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद उसने वस्त्र उद्योग में हमसे पूरी तरह प्रतिस्पर्धा की है। उन्होंने वस्त्र उद्योग में हमारा सफाया कर दिया है।”
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर यह कहते रहे हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ रही है।
नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीति का प्रमुख हिस्सा नई सड़कों, हवाई अड्डों, बंदरगाहों और मेट्रो लाइनों का निर्माण रहा है। उनकी सरकार पिछले तीन सालों से हर साल 100 अरब डॉलर की राशि बुनियादी ढांचे के विकास में (पूंजीगत व्यय) खर्च कर रही है।
2014 से 2024 के बीच भारत में लगभग 54,000 किलोमीटर (33,553 मील) लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग बनाए गए हैं, जो इससे पहले के दस वर्षों में बने राजमार्गों से दोगुना हैं।
जीडीपी के अनुपात में देखें तो 2020-21 में निजी निवेश महज 19.6 प्रतिशत था, जबकि 2007-08 में यह 27.5 प्रतिशत के साथ अपने शिखर पर था।
हालांकि, बेरोज़गारी के मुद्दे पर पीएम मोदी की अकसर आलोचना होती रही है।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 2000 में देश के बेरोज़गारों में पढ़े-लिखे नौजवानों की संख्या 54.2 प्रतिशत थी, जो 2022 में बढ़कर 65.7 प्रतिशत हो गई है।
Rahul Gandhi ने कहा, “भारत को लोकतांत्रिक माहौल में उत्पादन करने के तरीकों पर पुनर्विचार करना होगा। जब तक ऐसा नहीं होता, हमें बड़ी बेरोज़गारी का सामना करना पड़ेगा।”