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Lok Sabha Election 2024: कैसे तीन सीट से तीन अंकों तक पहुंची भाजपा

Lok Sabha Election 2024: BJP की पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ ने पहले लोकसभा चुनाव में तीन सीटें जीती थीं। इनमें से दो बंगाल में और एक राजस्थान में थीं। जनसंघ ने सबसे अधिक 35 सीटें 1967 के चुनाव में हासिल कीं। उस समय दीनदयाल उपाध्याय पार्टी के अध्यक्ष थे।

Lok Sabha Election 2024: सीटों के हिसाब से सबसे बड़ी पार्टी भाजपा

2014 से पहले, BJP के नेतृत्व में राजग 1998 से 2004 तक छह वर्षों तक केंद्र में सत्ता में रहा। इस सरकार का नेतृत्व अटल बिहारी वाजपेयी ने किया। नरेंद्र मोदी की अगुआई में भाजपा ने 2014 और 2019 में अकेले दम पर बहुमत हासिल किया, लेकिन इस बार पार्टी बहुमत से दूर रह गई। हालांकि, भाजपा अब भी सबसे बड़ी पार्टी है।

पहले चुनाव में हिंदू महासभा ने जीती थीं चार सीटें

1977 और 1980 में जनसंघ की सीटें शून्य थीं, क्योंकि इस अवधि में पार्टी ने जनता पार्टी के साथ विलय कर लिया था। हिंदू महासभा ने 1951-52 में हुए लोकसभा चुनाव में चार सीटें जीती थीं।

सबसे पुरानी पार्टी के सामने नई चुनौतियां

लगातार पांच चुनाव जीतने के बाद, कांग्रेस को 1977 में संयुक्त विपक्ष ने सत्ता से बाहर कर दिया। इसके बाद पार्टी को गिरावट के दो चरणों का सामना करना पड़ा। गिरावट का एक लंबा दौर 2014 में शुरू हुआ। हालांकि, पार्टी 2024 के नतीजों को सकारात्मक बदलाव के तौर पर देख सकती है।

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अल्पमत की सरकार में हुआ बड़ा आर्थिक सुधार

1989 में, 197 सीटों और 40 प्रतिशत वोट शेयर के साथ, कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पड़ा। 1991 में कांग्रेस सत्ता में लौटी। 1991 की सरकार अल्पमत की सरकार थी, जिसने देश में बड़े आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया।

2014 में BJP ने की सत्ता में वापसी

1996 के बाद, संयुक्त मोर्चा और राजग गठबंधन ने कांग्रेस को करीब एक दशक तक सत्ता से बाहर रखा। संप्रग का कार्यकाल 10 वर्ष रहा। 2014 में भाजपा ने सत्ता में वापसी की और कांग्रेस इतिहास में सबसे कम सीटों पर सिमट गई।

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Lok Sabha Election 2024: चुनाव में पिता की हार से सदमे में Neha Sharma

Lok Sabha Election 2024: चुनाव में पिता की हार से सदमे में Neha Sharma मंगलवार को घोषित हुए लोकसभा चुनाव (लोकसभा चुनाव 2024) के नतीजों पर पूरे देश की नजर बनी रही। इस चुनाव में कंगना रनौत और अरुण गोविल जैसे कुछ उम्मीदवार मौजूद रहे। बॉलीवुड अभिनेत्री नेहा शर्मा के पिता अजीत शर्मा ने भी यह चुनाव लड़ा। वे कांग्रेस के टिकट पर भागलपुर सीट से मैदान में थे।

Neha Sharma ने पिता की हार पर किया प्रतिक्रिया

नेहा शर्मा के पिता को चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार अजय मंडल से हार का सामना करना पड़ा। अपने पिता की हार से दुखी नेहा शर्मा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है, जो तेजी से वायरल हो रहा है।

“तुम निडर डरो नहीं”

पिता की हार पर एक्ट्रेस ने नेहा शर्मा ने शायराना अंदाज में पोस्ट किया है। उन्होंने कुछ लाइनें लिखने के साथ ही फैंस को बताया कि वह और उनका परिवार जिंदगी के अगले चैप्टर के लिए तैयार है। एक्ट्रेस ने लिखा “यह हमारे लिए कठिन दिन था, लेकिन हमने अच्छा लड़ा और मैं उन लोगों की आभारी हूं, जिन्होंने मेरे पिता पर यकीन किया और उन्हें वोट दिया। हम अगले पड़ाव के लिए तैयार हैं। सभी याद रखें कि हमारी जीत कभी न हारने में नहीं है, बल्कि हमेशा आगे बढ़ते रहने में है।”

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एक्ट्रेस ने आगे लिखा, ‘सामने पहाड़ हो, सिंह की दहाड़ हो। तुम निडर डरो नहीं, तुम निडर डटो वहीं। वीर तुम बढ़े चलो! धीर तुम बढ़े चलो! #BhagalpurLoksabha’

Lok Sabha Election 2024: अजीत शर्मा ने कितने वोटों से हारा?

नेहा शर्मा ने भागलपुर लोकसभा सीट पर अपने पिता के लिए खूब प्रचार किया। अजीत शर्मा के सामने खड़े जेडीयू कैंडिडेट को 2 लाख 79 हजार 323 मत प्राप्त हुए थे। जबकि, अजीत शर्मा को 2 लाख 13 हजार 383 वोट मिले थे।

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UP Lok Sabha Chunav Result 2024: फ्लाप कहे गए ‘लड़कों’ का हिट शो

UP Lok Sabha Chunav Result 2024: पूर्वांचल की नौ सीटों पर पिछले दस साल से अजेय भाजपा का किला इस बार हिल गया है। बस्ती, संतकबीरनगर और सलेमपुर की हार से भाजपाई स्तब्ध हैं। महराजगंज और बांसगांव में नजदीकी जीत से भी वे चिंतित हैं। गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर में पिछले चुनावों के मुकाबले तीन गुना कम मतों से मिली विजय भी सोचने पर विवश कर रही है। एक्जिट पोल के विपरीत आए परिणाम से सभी हैरान हैं।

UP Lok Sabha Chunav Result 2024

सपा की आंधी वाराणसी, प्रयागराज और आजमगढ़ मंडल की कई सीटें भले ही उड़ा ले गई हो, लेकिन गोरक्षपीठ के प्रभाव वाले गोरखपुर मंडल में नुकसान कम हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में भाजपा अपना दुर्ग ढहने से बचाने में कामयाब रही। अब बात करते हैं हारी सीटों की। बस्ती में भाजपा प्रत्याशी हरीश द्विवेदी को लेकर असंतोष, मोदी की जनसभा और योगी की रैलियों के बावजूद, शांत नहीं हो सका। इसका फायदा गठबंधन ने उठाया।

यादव-मुस्लिम समीकरण में कुर्मी नेता राम प्रसाद को उतारकर हरीश को उलझा दिया गया। कुछ ऐसा ही संतकबीरनगर में भी हुआ। भाजपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद की क्षेत्र में निष्क्रियता विरोध का कारण बनी। पिछली बार निषाद वोटों की बदौलत जीतने वाले प्रवीण को घेरने के लिए गठबंधन ने स्थानीय प्रत्याशी लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद को उतारकर उनके वोटबैंक में सेंध लगा दी।

सलेमपुर से सांसद रविंदर कुशवाहा के विरुद्ध गठबंधन ने रमाशंकर राजभर को उतारा। बसपा ने भीम राजभर को उतारकर घेराबंदी की, लेकिन रमाशंकर की विजय को रोक नहीं सके। रविंदर से सवर्ण मतदाताओं की नाराजगी भी हार का कारण बनी। रविंदर के समर्थकों के ऑडियो भी उनके विरुद्ध हवा बना गए।

भाजपा की जीती हुई सीटों में सर्वाधिक चर्चा महराजगंज की रही। पिछले चुनाव में 3.40 लाख मतों के भारी अंतर से जीतने वाले पंकज चौधरी को कांग्रेस के वीरेंद्र चौधरी ने मतगणना के पहले चरण से ही चुनौती दी, जो अंत तक बनी रही। 35 हजार वोटों से जीतने वाले पंकज की चौधराहट भले बरकरार रही, लेकिन वीरेंद्र ने किला हिला दिया।

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गोरक्षपीठ के प्रभाव वाली बांसगांव सीट से तीन बार के सांसद कमलेश पासवान को जनता की नाराजगी के कारण जीत के लिए अंत तक संघर्ष करना पड़ा। कांग्रेस प्रत्याशी सदल प्रसाद ने उन्हें कांटे की टक्कर दी। देवरिया में स्थानीय ब्राह्मण प्रत्याशी शशांक मणि को टिकट देकर सुरक्षित मान रही भाजपा कांग्रेस प्रत्याशी अखिलेश सिंह की चुनौती में फंसती नजर आई।

भाजपा ने 34 हजार मतों से जीत भले दर्ज की हो, लेकिन उम्मीद के मुताबिक विजय नहीं मिली। जातीय घेराबंदी के बावजूद गोरक्षपीठ की परंपरागत गोरखपुर सीट पर रवि किशन शुक्ल ने आसान जीत दर्ज की। अंतर जरूर कम हुआ, लेकिन एक लाख मतों से जीतने वाले वह इकलौते प्रत्याशी बने।

कुशीनगर में भाजपा के विजय दुबे भी सम्मानजनक अंतर से जीते। सारथी आरपीएन बने। कुर्मी मतों को सहेजकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि वह पूर्वांचल में कुर्मियों के प्रभावशाली नेता हैं।

डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल सबसे बड़े लड़ैया बनकर उभरे। मुस्लिम बहुल सीट पर सपा प्रत्याशी भीष्म शंकर तिवारी के पक्ष में बनी हवा को धता बताते हुए पाल ने चौथी बार जीत दर्ज की। उन्होंने पार्टी के उन नेताओं को चुप करा दिया जो उम्र के आधार पर टिकट को लेकर सवाल उठा रहे थे।

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Delhi Election Results: दिल्ली की राजनीति बदलेगा यह परिणाम

Delhi Election Results: दिल्ली में बीजेपी ने लगभग 54 प्रतिशत से अधिक वोट लेकर फिर साबित कर दिया है कि राजधानी में उसका मजबूत जनाधार है। यह चुनाव परिणाम दिल्ली की भविष्य की राजनीति भी तय करेगा, क्योंकि आप और कांग्रेस इस समय आंतरिक कलह से जूझ रहे हैं। वहीं, इन दोनों पार्टियों के गठबंधन को परास्त करने से भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है। अगले कुछ महीनों में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव पर इस बदले हुए राजनीतिक वातावरण का प्रभाव भी देखने को मिलेगा।

Delhi Election Results: दिल्ली में भाजपा को मिले 54.35 प्रतिशत वोट

इस लोकसभा चुनाव में दिल्ली में भाजपा को 54.35 प्रतिशत वोट मिले, जो पिछले चुनाव की तुलना में करीब ढाई प्रतिशत कम है। नई दिल्ली से दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज, चांदनी चौक से व्यापारी नेता प्रवीण खंडेलवाल, और पूर्वी दिल्ली से भाजपा प्रत्याशी हर्ष मल्होत्रा ने एक लाख से कम मतों से जीत हासिल की। अन्य प्रत्याशी बड़े अंतर से चुनाव जीते।

2019 के चुनाव में भाजपा को मिले थे 56.85 प्रतिशत वोट

नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज ने आप प्रत्याशी सोमनाथ भारती को दिल्ली में सबसे कम 78,370 मतों से हराया, जबकि उत्तर पश्चिमी दिल्ली से योगेंद्र चांदोलिया ने कांग्रेस प्रत्याशी उदित राज को सर्वाधिक दो लाख 90 हजार 849 मतों से पराजित किया। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा को 56.85 प्रतिशत वोट मिले थे। तब कांग्रेस और आप अलग-अलग चुनाव लड़ रहे थे।

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मनोज तिवारी ने शीला दीक्षित को दी थी शिकस्त

उस समय भाजपा ने दो लोकसभा सीटों पर साढ़े पांच लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में उत्तर पूर्वी दिल्ली से भाजपा प्रत्याशी मनोज तिवारी ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को तीन लाख 66 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। इस बार तिवारी ने कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैया कुमार को एक लाख 38 हजार 778 वोटों से हराकर जीत की हैट-ट्रिक लगाई। मनोज तिवारी इस बार एकमात्र सांसद थे, जिन्हें पार्टी ने दिल्ली में फिर से टिकट दिया था।

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Loksabha Election Result 2024: कहीं चंद्रबाबू नायडू ना कर दें खेला!

Loksabha Election Result 2024: कहीं चंद्रबाबू नायडू ना कर दें खेला!लोकसभा चुनाव में 400 पार का नारा देने वाली बीजेपी को झटका लगा है। 400 सीटें तो दूर, रुझानों के अनुसार बीजेपी अकेले दम पर सरकार बनाती नहीं दिख रही है। अब तक के रुझानों में एनडीए 295 सीटों पर आगे है, जबकि बीजेपी 239 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। वहीं, इंडी गठबंधन 225 सीटों पर आगे चल रहा है।

Loksabha Election Result 2024: कहीं चंद्रबाबू नायडू ना कर दें खेला!

इस बीच, बीजेपी नेताओं ने टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को फोन किया है और उनसे बातचीत की है। बता दें कि टीडीपी ने लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है। फिलहाल, टीडीपी 16 सीटों पर आगे चल रही है।

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टीडीपी प्रमुख से क्या बात हुई?

प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू से बातचीत की है। दोनों नेताओं ने नायडू को फोन पर बधाई दी है।

गौरतलब है कि टीडीपी एनडीए की सहयोगी पार्टी है और एनडीए सरकार बनाने में किंगमेकर की भूमिका निभा सकती है।

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Chirag Paswan: आ गया चिराग पासवान का ‘रिपोर्ट कार्ड’! 5 सीटों पर चल रहा ये बड़ा ‘खेल’

Chirag Paswan: बिहार लोकसभा चुनाव के रुझान आने लगे हैं। एनडीए बिहार में 33 सीटों पर लीड कर रही है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि चिराग पासवान, जो एनडीए के साथी हैं, उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने शानदार प्रदर्शन किया है। लोजपा (रा) 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और पांचों सीटों पर अग्रणी है। स्पष्ट है कि चिराग पासवान का स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत है।

Chirag Paswan: 5 सीटों पर चल रहा ये बड़ा ‘खेल’

जमुई लोकसभा सीट

जमुई लोकसभा सीट पर लोजपा (रा) के अरुण भारती 52 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं। राजद की अर्चना कुमारी दूसरे नंबर पर हैं। उन्हें अभी तक 1.55 लाख वोट मिले हैं।

हाजीपुर लोकसभा सीट

हाजीपुर लोकसभा सीट पर चिराग पासवान ने बड़ी बढ़त दर्ज की है। उन्हें 39 हजार वोटों की अग्रता है। इसी के विपरीत, राजद के शिव चंद्र राम पीछे हैं।

खगड़िया लोकसभा सीट

खगड़िया लोकसभा सीट पर रुझान उभर रहे हैं। लोजपा (रा) के राजेश वर्मा को 28 हजार वोटों का फ़र्क़ मिला है। दूसरे स्थान पर सीपीआई-एम के संजय कुमार हैं।

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समस्तीपुर लोकसभा सीट

समस्तीपुर लोकसभा सीट पर भी लोजपा (रा) की शांभवी चौधरी ने बड़ी बढ़त दर्ज की है। उन्हें 59 हजार वोटों की अग्रता है। इसके विपरीत, दूसरे स्थान पर कांग्रेस के सन्नी हजारी हैं।

वैशाली लोकसभा सीट

वैशाली लोकसभा सीट पर लोजपा (रा) की वीणा देवी 15 हजार वोटों से आगे चल रही हैं। दूसरे स्थान पर राजद के विजय कुमार शुक्ला हैं।

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Lok Sabha Election Result: मैनपुरी में सपा की डिंपल यादव ने बनाई बड़ी बढ़त

Lok Sabha Election Result: यूपी की सबसे बड़ी हॉट सीट माने जाने वाली मैनपुरी में एक बार फिर भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। भाजपा के प्रत्याशी जयवीर सिंह यहां से चुनाव मैदान में हैं। क्या इस बार सपा अपना कब्जा बरकरार रखेगी या भाजपा नया इतिहास रचने में सफल होगी? इस बार भी डिंपल यादव यह सीट जीतकर फिर से इतिहास बनाएंगी, इसका फैसला बस कुछ ही देर में हो जाएगा। पोस्टल बैलेट की गिनती में डिंपल यादव आगे चल रही हैं। मैनपुरी में डिंपल यादव पहले राउंड में 8,034 वोटों से आगे चल रही हैं।

Lok Sabha Election Result: भाजपा के जयवीर सिंह पीछे

उपचुनाव में डिंपल यादव ने मैनपुरी सीट जीती थी। सपा से सांसद डिंपल यादव उम्मीदवार थीं और वर्ष 2022 में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हुए उपचुनाव में सांसद बनी थीं। भाजपा ने स्थानीय विधायक और पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह को उम्मीदवार बनाया था, जबकि बसपा ने पूर्व विधायक शिवप्रसाद यादव को मैदान में उतारा था।

इनके अलावा पांच अन्य प्रत्याशी भी चुनाव में थे। चुनाव में सपा, भाजपा और बसपा, तीनों दलों ने प्रचार के लिए पूरी ताकत झोंकी थी। बड़े नेताओं के दौरे और सभाओं का भी क्रम जारी रहा था। पिछले उपचुनाव में डिंपल यादव 2.88 लाख वोटों के बड़े अंतर से जीती थीं।

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मैनपुरी में खूब वोट पड़े। इस बार 58.60 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2022 के उपचुनाव में 54.75 प्रतिशत और 2019 के लोकसभा चुनाव में 56.67 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबर्दस्त गर्मी के बावजूद सुबह से ही मतदाताओं में उत्साह नजर आया।

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Himachal Lok Sabha Election 2024: मतदान से पहले सुरक्षा व्‍यवस्‍था चाक चौबंद

Himachal Lok Sabha Election 2024: Lok Sabha चुनावों के लिए कल यानी 1 जून को होने वाले मतदान के मद्देनजर, पुलिस ने चंबा की सीमाओं सहित अन्य स्थानों पर सुरक्षा बढ़ा दी है। सुरक्षा के लिहाज से, जिला चंबा की अन्य राज्यों के साथ लगती सीमाएं और कुछ अन्य क्षेत्र अति संवेदनशील हैं। इसलिए, मतदान से पहले पुलिस ने जम्मू-कश्मीर और Himachal को जोड़ने वाले सेवा नदी पर बने पुल से लेकर खैरी के चूहन सिंधारा, खुंडी मराल और लंगेरा से होकर चुराह घाटी की सीमाएं पूरी तरह से सील कर दी हैं।

Himachal Lok Sabha Election 2024: पंजाब से लगती सीमाओं पर भी कड़ी नजर

खैरी सेक्टर के साथ-साथ पंजाब से लगती सीमाओं पर भी हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है। मतदान से पहले, जिले के हर क्षेत्र में चौकसी बढ़ाते हुए दिन-रात पेट्रोलिंग की जा रही है। पड़ोसी राज्यों से जिले में प्रवेश करने वाले वाहनों की गहन चेकिंग और निगरानी के साथ ही एंट्री दी जा रही है।

पड़ोसी राज्यों से होकर गुजरने वाली बसों और निजी वाहनों की भी जांच की जा रही है, साथ ही गाड़ियों में रखे सामान की प्रमुखता से जांच की जा रही है ताकि शांत प्रदेश में संदिग्ध गतिविधियों से किसी तरह की अशांति न फैल सके और चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सके। उधर, मिलिट्री फोर्स के जवान भी सुरक्षा के मद्देनजर विभिन्न स्थानों पर नजर बनाए हुए हैं।

आतंकी घटनाओं से अछूता नहीं है चंबा

1993 में चंबा के किहार क्षेत्र के गांव जलाड़ी में घटी आतंकी घटना ने सबको भयभीत कर दिया था। आतंकवादी एक घर में घुसकर दो लोगों को गोली मारकर भाग निकले थे। सलूणी के लंगेरा क्षेत्र में, जम्मू के साथ लगते पधरी जोत से दो चरवाहों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई थी। इसके बाद, चंबा पुलिस ने दो आतंकवादियों को मार गिराया था। 1995 में मनसा धार में आतंकियों ने दो पुलिस जवानों को गोली मारकर हत्या कर दी थी। 1996 में आतंकवादियों ने किहार सेक्टर में दो भेड़पालकों को लूट लिया था।

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आतंकियों ने दिल दहला देने वाली घटनाओं को अंजाम दिया था।

1998 में चुराह के कालाबन में आतंकियों ने दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम दिया था। चंबा-पांगी सड़क मार्ग के कार्य में लगे निर्दोष मजदूर, जो अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए काम कर रहे थे, कार्य से लौटकर अपने टेंट में चुराह (कालाबन सतरूंडी) में आराम कर रहे थे। उसी वक्त जम्मू-कश्मीर की सीमा पार कर आतंकी कालाबन पहुंच गए और आराम कर रहे 35 मजदूरों को मौत के घाट उतार दिया।

यह घटना 3 अगस्त 1998 की है। बताया जाता है कि पहले आतंकियों ने मजदूरों को एक लाइन में खड़ा किया और उनके हाथ बांध दिए। फिर एक-एक करके सभी पर गोलियां बरसाईं। इसके अलावा लंगेरा, पांगी, खैरी और तीसा क्षेत्रों में भी इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं।

जिले में लगभग 20 मतदान केंद्र अति संवेदनशील हैं

जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में कुल 631 मतदान केंद्र हैं। इनमें से 20 अति संवेदनशील हैं। इसके अलावा 611 सामान्य मतदान केंद्र हैं। इनमें 593 केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में और 28 केंद्र शहरी क्षेत्रों में बनाए गए हैं। इन केंद्रों में चार लाख से अधिक मतदाता हैं, जो दो संसदीय क्षेत्रों के प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।

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CM Yogi in Himachal: ‘औरंगजेब की आत्मा कांग्रेस में आ गई…

CM Yogi in Himachal: हिमाचल प्रदेश में आज लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के अंतिम दिन बीजेपी नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम पिछले तीन महीने से मैदान में डटे हुए हैं। अब कुल्लू पहुंचने पर राहत महसूस हो रही है। मेरा जन्म पहाड़ों में हुआ है। चलते-चलते हम कहीं और निकल जाते हैं।

कुल्लू में CM Yogi बोले- राम भक्त ही राज करेगा

मंडी से बीजेपी प्रत्याशी कंगना रनौत की तारीफ करते हुए योगी ने कहा, ‘हिमाचल की इस बेटी में महारानी लक्ष्मीबाई का शौर्य है। मुंबई में उनकी आवाज गूंजी है। पूरे हिंदुस्तान में एक बार फिर मोदी का स्वर गूंज रहा है। कांग्रेस चारों खाने चित है। जो राम को लाए, हम उनको लाएंगे। दिल्ली में राम भक्त ही राज करेगा।

सीएम योगी ने कहा कि राम भक्त वही है जो भारत की अस्मिता को पहचानता है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो चुका है। कुल्लू में आप विजय दशमी का आयोजन करते हैं। आज नई अयोध्या नजर आएगी। काशी विश्वनाथ धाम, अयोध्या में राम लला, और अब तैयारी मथुरा की तरफ है। बदलते भारत को बदलते हुए देखा है।

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इंडी गठबंधन पर CM Yogi का वार

कांग्रेस और इंडी गठबंधन पर निशाना साधते हुए योगी ने कहा, ‘भारत भीमराव अंबेडकर के आदर्शों पर चलेगा। कांग्रेस संपत्ति का सर्वे करवाएगी, ये लोग आपकी पैतृक संपत्ति पर टैक्स लगाएंगे और फिर आधी संपत्ति सरकार ले लेगी। ऐसा लगता है जैसे औरंगजेब की आत्मा कांग्रेस में आ गई है।’

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Lok Sabha Election 2024: क्या जातीय समीकरण में फंसी अनुप्रिया पटेल की सीट

Lok Sabha Election 2024: मां विंध्यवासिनी देवी के प्राचीन मंदिर से महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटन स्थल माने जाने वाले विंध्य क्षेत्र के मिर्जापुर में कई सवाल हैं, और इन्हीं सवालों पर चुनावी गणित भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए बड़ा सवाल यही है कि ब्राह्मण किस ओर जाएगा? भाजपा के प्रति उनका लगाव रहा है, लेकिन बसपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा है। मिर्जापुर के मुहकोचवा चौराहे पर मिले लवकुश मालवीय कहते हैं, ‘कोई फर्क नहीं पड़ना है, ब्राह्मण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही रहेंगे। अलग बात यह है कि लड़ाई त्रिकोणीय हो सकती है।’

दूसरा सवाल यह है कि संविधान बदलने का मुद्दा कितना गहराई तक पहुंचा है? जवाब देवरी कलां के सुरेन्द्र कोल से मिलता है – पहले हम सब बसपा और फिर भाजपा के साथ थे। इस बार भाजपा को वोट देकर उन्हें संविधान बदलने का मौका ही नहीं देंगे। यानी कि यह मुद्दा बसपा के कोर वोट बैंक तक असर कर रहा है।

Lok Sabha Election 2024: लीड घटेगी लेकिन…

मड़िहान के राजगढ़ बाजार में दवा कारोबारी अजय कुमार को लगता है कि लीड घटेगी, लेकिन अनुप्रिया पटेल जीतेंगी। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मीरजापुर लोकसभा सीट से हैट्रिक लगाने को चुनावी रण में पसीना बहा रही हैं। एनडीए में भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) से चुनाव लड़ रहीं अनुप्रिया को टक्कर देने के लिए आईएनडीआईए में शामिल सपा ने भदोही से भाजपा सांसद रमेश चंद्र बिंद को टिकट दिया है।

यह है मीरजापुर का जातीय समीकरण

मनीष त्रिपाठी पर दांव लगाकर बसपा भी मैदान में है। तकरीबन 19 लाख मतदाताओं वाली मीरजापुर Lok Sabha सीट के जातीय समीकरण देखे जाएं तो यहां लगभग 22 प्रतिशत वंचित समाज के अलावा पिछड़े वर्ग में कुर्मी-पटेल बिरादरी का दबदबा है। बिंद, मल्लाह, मौर्य की आबादी भी ठीकठाक है। राजभर, यादव, कुशवाहा, विश्वकर्मा, चौरसिया, बारी आदि जातियां भी चुनावी नतीजों पर कुछ हद तक असर डालती हैं। सवर्णों में सर्वाधिक ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों की संख्या है।

किस ओर है ब्राह्मणों का झुकाव?

मुस्लिम आबादी लगभग आठ प्रतिशत है। मीरजापुर की मझवां सीट से तीन बार बसपा से विधायक रहे सपा प्रत्याशी रमेश बिंद के साथ बिंद बिरादरी तो है ही, क्षेत्रवासियों के लिए जाना-पहचाना चेहरा होने से वंचित व अन्य पिछड़ी जातियों में भी उनका प्रभाव है।

सपा से होने के कारण मुस्लिम-यादव भी उन्हीं के साथ दिखाई देते हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी चुनावी सभा कर रहे हैं। ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव लगाने से क्षेत्र के ब्राह्मणों का कुछ हद तक बसपा की ओर झुकाव दिखाई देता है, लेकिन ज्यादातर मोदी-योगी के साथ ही हैं।

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पल्लवी ने दौलत सिंह पटेल को उतारा

बसपा के कोर वोट वंचित समाज के साथ ब्राह्मणों के दम पर जीत के लिए बसपा प्रमुख मायावती यहां चुनावी सभा कर चुकी हैं। अनुप्रिया की विधायक बहन पल्लवी पटेल ने अपना दल (कमेरावादी) से दौलत सिंह पटेल को मैदान में उतारा है। दौलत सिंह, पटेल वोटों में कुछ हद तक सेंध लगा सकते हैं। हालांकि, पिछले 10 वर्षों के दौरान मोदी-योगी सरकार द्वारा क्षेत्र में कराए गए काम के साथ अनुप्रिया की सक्रियता से लोग कम प्रभावित नहीं हैं।

विकास कार्यों का दिख रहा प्रभाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित मुख्यमंत्री, मंत्री व भाजपा के दूसरे नेता अनुप्रिया के लिए खूब प्रचार कर रहे हैं। मां विंध्यवासिनी कॉरिडोर से लेकर मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यालय, गंगा पुल, हाईवे, हर-घर नल, मुफ्त राशन, प्रधानमंत्री आवास आदि का क्षेत्रवासियों पर प्रभाव देखने को मिल रहा है। जो अनुप्रिया से खुश नहीं हैं वे भी मोदी के लिए ‘कप-प्लेट’ का बटन दबाने की बात कह रहे हैं। इस बार ललितेश के यहां से चुनाव न लड़ने से ब्राह्मणों के वोटों का बड़ा हिस्सा भी भाजपा को मिलने की उम्मीद है।

कहीं दिखी नाराजगी तो कहीं लोग संतुष्ट

कांग्रेस से विधायक रहे ललितेश इस बार टीएमसी के टिकट पर भदोही से चुनाव लड़ रहे हैं। चुनार के डंवक बबुरी के मुन्ना पटेल, गंगा सरन मौर्य व बोदल सिंह कहते हैं कि उनके विधायक नहीं दिखाई देते हैं, लेकिन अनुप्रिया ने काम किया है, इसलिए कोई दिक्कत नहीं है। दरवान के नागेश्वर नाराजगी जताते हुए कहते हैं कि पहले तो जानवरों से धान बचाना मुश्किल है और फिर नहर में पानी न आने से फसल सूख जाती है।

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