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लोकसभा चुनाव 2024

UP Lok Sabha Chunav Result 2024: फ्लाप कहे गए ‘लड़कों’ का हिट शो

UP Lok Sabha Chunav Result 2024: पूर्वांचल की नौ सीटों पर पिछले दस साल से अजेय भाजपा का किला इस बार हिल गया है। बस्ती, संतकबीरनगर और सलेमपुर की हार से भाजपाई स्तब्ध हैं। महराजगंज और बांसगांव में नजदीकी जीत से भी वे चिंतित हैं। गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर में पिछले चुनावों के मुकाबले तीन गुना कम मतों से मिली विजय भी सोचने पर विवश कर रही है। एक्जिट पोल के विपरीत आए परिणाम से सभी हैरान हैं।

UP Lok Sabha Chunav Result 2024

सपा की आंधी वाराणसी, प्रयागराज और आजमगढ़ मंडल की कई सीटें भले ही उड़ा ले गई हो, लेकिन गोरक्षपीठ के प्रभाव वाले गोरखपुर मंडल में नुकसान कम हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में भाजपा अपना दुर्ग ढहने से बचाने में कामयाब रही। अब बात करते हैं हारी सीटों की। बस्ती में भाजपा प्रत्याशी हरीश द्विवेदी को लेकर असंतोष, मोदी की जनसभा और योगी की रैलियों के बावजूद, शांत नहीं हो सका। इसका फायदा गठबंधन ने उठाया।

यादव-मुस्लिम समीकरण में कुर्मी नेता राम प्रसाद को उतारकर हरीश को उलझा दिया गया। कुछ ऐसा ही संतकबीरनगर में भी हुआ। भाजपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद की क्षेत्र में निष्क्रियता विरोध का कारण बनी। पिछली बार निषाद वोटों की बदौलत जीतने वाले प्रवीण को घेरने के लिए गठबंधन ने स्थानीय प्रत्याशी लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद को उतारकर उनके वोटबैंक में सेंध लगा दी।

सलेमपुर से सांसद रविंदर कुशवाहा के विरुद्ध गठबंधन ने रमाशंकर राजभर को उतारा। बसपा ने भीम राजभर को उतारकर घेराबंदी की, लेकिन रमाशंकर की विजय को रोक नहीं सके। रविंदर से सवर्ण मतदाताओं की नाराजगी भी हार का कारण बनी। रविंदर के समर्थकों के ऑडियो भी उनके विरुद्ध हवा बना गए।

भाजपा की जीती हुई सीटों में सर्वाधिक चर्चा महराजगंज की रही। पिछले चुनाव में 3.40 लाख मतों के भारी अंतर से जीतने वाले पंकज चौधरी को कांग्रेस के वीरेंद्र चौधरी ने मतगणना के पहले चरण से ही चुनौती दी, जो अंत तक बनी रही। 35 हजार वोटों से जीतने वाले पंकज की चौधराहट भले बरकरार रही, लेकिन वीरेंद्र ने किला हिला दिया।

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गोरक्षपीठ के प्रभाव वाली बांसगांव सीट से तीन बार के सांसद कमलेश पासवान को जनता की नाराजगी के कारण जीत के लिए अंत तक संघर्ष करना पड़ा। कांग्रेस प्रत्याशी सदल प्रसाद ने उन्हें कांटे की टक्कर दी। देवरिया में स्थानीय ब्राह्मण प्रत्याशी शशांक मणि को टिकट देकर सुरक्षित मान रही भाजपा कांग्रेस प्रत्याशी अखिलेश सिंह की चुनौती में फंसती नजर आई।

भाजपा ने 34 हजार मतों से जीत भले दर्ज की हो, लेकिन उम्मीद के मुताबिक विजय नहीं मिली। जातीय घेराबंदी के बावजूद गोरक्षपीठ की परंपरागत गोरखपुर सीट पर रवि किशन शुक्ल ने आसान जीत दर्ज की। अंतर जरूर कम हुआ, लेकिन एक लाख मतों से जीतने वाले वह इकलौते प्रत्याशी बने।

कुशीनगर में भाजपा के विजय दुबे भी सम्मानजनक अंतर से जीते। सारथी आरपीएन बने। कुर्मी मतों को सहेजकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि वह पूर्वांचल में कुर्मियों के प्रभावशाली नेता हैं।

डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल सबसे बड़े लड़ैया बनकर उभरे। मुस्लिम बहुल सीट पर सपा प्रत्याशी भीष्म शंकर तिवारी के पक्ष में बनी हवा को धता बताते हुए पाल ने चौथी बार जीत दर्ज की। उन्होंने पार्टी के उन नेताओं को चुप करा दिया जो उम्र के आधार पर टिकट को लेकर सवाल उठा रहे थे।

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