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Asteroid 2023 RL: धरती की ओर तेजी से आ रहा है हवाई जहाज जितना बड़ा Asteroid? जानिए कितना खतरनाक साबित होगा

नासा का कहना है कि Asteroid 2023 RL 9 सितंबर को पृथ्वी की कक्षा के बहुत करीब से गुजरेगा। यह जानने के लिए पढ़ें कि यह एस्टेरोइड वर्तमान में अंतरिक्ष के माध्यम से कितनी तेजी से यात्रा कर रहा है और इसके क्या प्रभाव होंगे।

इस एस्टेरोइड का नाम Asteroid 2023 RL है और इस क्षुद्रग्रह का आकार एक हवाई जहाज के आकार का है। नासा के वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि यह एस्टेरोइड धीरे-धीरे पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। 9 सितंबर को इस एस्टेरोइड की पृथ्वी की कक्षा के बहुत करीब से गुजरने की उम्मीद है।

अमेरिका स्थित सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (CNEOS) अंतरिक्ष में छोटे एस्टेरोइडस की निगरानी करता है। यह संगठन एस्टेरोइड 2023 आरएल की यात्रा पर भी लगातार नजर रख रहा है जो इस समय पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। CNEOS के खगोलविदों का कहना है कि इस एस्टेरोइड की गति 19021 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह एस्टेरोइड 9 सितंबर को पृथ्वी की कक्षा के करीब से गुजरेगा।

Asteroid 2023 RL पृथ्वी से 75000 किमी की दूरी से यात्रा करेगा। आपको बता दे यह एस्टेरोइड चंद्रमा से थोड़ी अधिक दूरी से गुजरेगा। पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 3 लाख 84,400 है। खगोलविदों का कहना है कि एस्टेरोइड की दूरी खगोलीय रूप से करीब है।

24 फुट का Asteroid 2023 RL एक हवाई जहाज के आकार का एस्टेरोइड है। यह पृथ्वी के निकट परिक्रमा करने वाले एस्टेरोइडस की ‘एटोन’ श्रेणी से संबंधित है।

इस एस्टेरोइड को नासा द्वारा ‘संभावित खतरनाक वस्तु (potentially hazardous object)’ के रूप में क्लासिफाइड नहीं किया गया है। जो एस्टेरोइड पृथ्वी से 750,000 किलोमीटर की दूरी से गुजरता है और 492 फीट से बड़ा होता है उसे इस खतरनाक माना जाता है।

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टेक

अंतरिक्ष में मरने वाले अंतरिक्ष यात्री के शरीर का क्या होता है?

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA द्वारा विभिन्न अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किए जाते हैं। नासा की योजना 2025 में चंद्रमा और मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की है। नासा पहले भी कई बार इंसानों को अंतरिक्ष में भेज चुकी है। लेकिन इंसानों को अंतरिक्ष में भेजना एक खतरनाक काम है. पिछले 60 वर्षों में 20 अंतरिक्ष यात्रियों की अंतरिक्ष में मृत्यु हो चुकी है।

1986 और 2003 के बीच, 20 अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई, जिनमें 14 नासा अंतरिक्ष यान दुर्घटनाओं में, 3 लोग 1967 में अपोलो लॉन्च पैड में आग लगने से और 3 लोग 1971 के सोयुज मिशन में मारे गए। हालाँकि, यदि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में, चंद्रमा पर या मंगल ग्रह पर मर जाते हैं, तो उनके शरीर का क्या होता है? नासा के ‘द ट्रांसलेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस हेल्थ’ के प्रोफेसर इमैनुएल उरक्विएटा (Emmanuel Urquieta) ने इस बारे में जानकारी दी है।

इमैनुएल उरक्विएटा ने कहा, “यदि किसी अंतरिक्ष यात्री की अंतरिक्ष में या पृथ्वी की निचली कक्षा में मृत्यु हो जाती है, तो शरीर को कैप्सूल द्वारा कुछ घंटों के भीतर पृथ्वी पर वापस लाया जा सकता है।”

“अगर चंद्रमा पर ऐसा हुआ, तो बाकी अंतरिक्ष यात्री कुछ दिनों में शव के साथ वापस आ सकते हैं। नासा ने इसके लिए प्रोटोकॉल विकसित किए हैं। कोई भी शव जल्दबाजी में धरती पर नहीं लाया जाता। इमैनुएल उरक्विएटा (Emmanuel Urquieta) ने कहा, “नासा की प्राथमिकता बाकी अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाना है।”

“मान लीजिए कि मंगल मिशन (300 मिलियन किमी) के रास्ते में एक अंतरिक्ष यात्री की मृत्यु हो जाती है, तो कहानी अलग होगी। फिर अंतरिक्ष यात्रियों के शवों को एक अलग कक्ष या बॉडी बैग में रखा जाता है, ”इमैनुएल उरक्विटा ने कहा। इस बारे में ‘एनडीटीवी वर्ल्ड’ ने खबर दी है.

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