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RBI MPC Meet Update: नहीं कम होगी लोन की EMI, Repo Rate 6.5 फीसदी पर बरकरार

RBI MPC Meet Update: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने तीन दिनों तक चली बैठक के बाद रेपो रेट को वर्तमान दर पर बरकरार रखने का फैसला किया है। दर निर्धारण समिति ने लगातार आठवीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो दर बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत की थी। रेपो रेट से बैंकों की ईएमआई जुड़ी होती है। ऐसे में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होने से यह तय हो गया है कि आपके बैंक लोन की ईएमआई में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा।

RBI MPC Meet Update: Repo Rate 6.5 फीसदी पर बरकरार

इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ब्याज दर निर्धारण समिति ने अगली मौद्रिक नीति तय करने के लिए बुधवार को तीन दिवसीय बैठक शुरू की। यह बैठक 5 जून से शुरू होकर 7 जून 2024 यानी आज तक चली। एमपीसी की बैठक में छह सदस्यों में से चार ब्याज दरों को स्थिर रखने के पक्ष में रहे।

RBI गवर्नर ने एमपीसी के फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2025 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2% रहने का अनुमान है, जो पिछले अनुमान 7% से अधिक है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में स्थिर खर्च के साथ निजी खपत में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि निवेश गतिविधियों में तेजी जारी है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि महंगाई में कमी लाने में एमपीसी की भूमिका अहम है। दास ने कहा कि वर्तमान में गर्मी के कारण सब्जियों की कीमतें बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को स्थायी आधार पर 4% के लक्ष्य पर वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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उन्होंने ईंधन की कीमतों में गिरावट के रुख के लिए एलपीजी कीमतों में कटौती को जिम्मेदार ठहराया। इसके अलावा, उन्होंने खाद्य कीमतों में वृद्धि की वैश्विक प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इससे व्यापक बाजार में बदलाव दिख सकता है। उन्होंने कहा कि खाद्य कीमतों में अनिश्चितता पर नजर बनाए रखने की जरूरत है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जरूरत के मुताबिक लिक्विडिटी पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोर महंगाई दर पर निगरानी रखने की जरूरत है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में रुपये में कम उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। FY25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.9% से बढ़ाकर 7.2% कर दिया गया है।

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RBI Report: भारतीयों लोगो की बचत घटी कर्ज बढ़ा, RBI ने की रिपोर्ट जारी

Household Saving India: भारत में बचत तेजी से कम हो रही है। आरबीआई के आंकड़ों (RBI Report) के मुताबिक 2022-23 में देश की नेट हाउसहोल्ड सेविंग की दरों में भरी गिरावट देखी गयी है. तो वही भारत में कर्ज की मात्रा बढ़ती जा रही है.

नई दिल्ली: हाउसहोल्ड एसेट और लायबिलिटीज का कहना है कि भारत में कमाई करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. साथ ही साथ लोगों की आय में भी वृद्धि हुई है. ओर प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) भी तेजी से बढ़ रही है. लेकिन जिस रफ़्तार से लोग कमा रहे है उसी तेजी से खर्च भी कर रहे है जिस वजह से हाउसहोल्ड एसेट रिपोर्ट्स के मुताबिक बचत में भारी गिरावट देखने को मिली है. भारत में घरेलू बचत (Household Saving) 50 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है यानी हम सेविंग के मामले में 50 साल पीछे पहुंच चुके है। रिजर्व बैंक की हालिया रिपोर्ट में यह मामला सामने आया है.

क्या कहते हैं RBI के आंकड़े?

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 के दौरान शुद्ध घरेलू बचत घटकर 5.1 प्रतिशत रह गई। इस साल जीडीपी के अनुसार भारत की शुद्ध बचत 13.77 लाख करोड़ पर आन टीकी है. जोकि पिछले पचास वर्षों में सबसे निचला स्तर है। बीते साल यह 7.2 फीसदी था. जिसके चलते भारत में लोगों की आमदनी में काफी गिरावट आई है। रिपोर्ट्स के अनुसार कोरोना के बाद से भारतीय लोगो ने सबसे ज्यादा खरीददारी की है जिस से कंजप्शन रेट में उछाल देखने को मिला। लोग बचने की बजाए उड़ने में ज्यादा व्यस्त हो गये है यह कहना है हाउसहोल्ड एसेट और लायबिलिटीज का।

कर्ज बढ़ता जा रहा है

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट से जुड़े एक अपडेट में यह बात सामने आई है कि लोगों की फाइनेंशियल लायबिलिटीज चिंताजनक दर से बढ़ रही हैं। यहाँ कुछ पॉइंट दिए गए हैं:

  • लोगो की फाइनेंशियल लायबिलिटीज (Financial Labilities) तेजी से बढ़ रही हैं, जिसके 2022-23 में जीडीपी के 5.8 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 3.8 प्रतिशत से पर थी।
  • फाइनेंसियल लायबिलिटीज की वृद्धि दर्शाती है कि लोग कंजप्शन परपस के लिए घरेलू खरीदारी से लेकर रियल एस्टेट निवेश (मकान, दुकान, जमीन) तक विभिन्न खर्चों के लिए लोन पर निर्भर हो रहे हैं।
  • विशेष रूप से, आज़ादी के बाद यह केवल दूसरा उदाहरण है, जब फाइनेंसियल लायबिलिटीज इतनी तेजी से बढ़ी हैं; पिछली बार 2006-07 में ऐसा हुआ था जब यह 6.7 प्रतिशत तक पहुंच गई थी।

नेट हाउसहोल्ड एसेट में तेजी से गिरावट

  • वर्ष 2020-21 भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान हुआ। इस समय के दौरान, परिवारों की नेट हाउसहोल्ड एसेट 22.8 लाख करोड़ रुपये रही।
  • लेकिन 2021-22 ने पूरी तरह से तस्वीर पलट गयी। नेट हाउसहोल्ड एसेट तेजी से घटकर 16.96 लाख करोड़ रुपये रह गई।
  • 2022-23 में गिरावट का सिलसिला नहीं रुका। इसके बजाय, नेट हाउसहोल्ड एसेट और घट गई और 13.76 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई।

फाइनेंशियल लायबिलिटीज का बढ़ना

जहाँ नेट हाउसहोल्ड एसेट में गिरावट आ रही थी, तो वहीं इसके विपरीत फाइनेंशियल लायबिलिटीज के मामले में उछाल देखा गया।

  • 2021-22 के दौरान घरेलू कर्ज जीडीपी का 36.9 फीसदी रहा. देश के आर्थिक उत्पादन का यह बड़ा हिस्सा कर्ज के कारण बताया जाना चिंता का कारण था, जो परिवारों पर बढ़ते वित्तीय बोझ की ओर इशारा करता है।
  • वर्ष 2022-23 में स्थिति और भी गंभीर हो गई, क्योंकि कंजप्शन रेट लगातार बढ़ता गया और जीडीपी के 37.6 प्रतिशत तक पहुंच गया।

इसके पीछे क्या है कारण

बढ़ती महंगाई के कारण लोगों को अपनी आय का अधिक हिस्सा खाने और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर खर्च करना पड़ रहा है। इससे उनकी बचत में कमी आ रही है। इसके अलावा, महंगाई के कारण लोग अपने भविष्य के लिए कम बचत कर रहे हैं। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत की अर्थव्यवस्था की तत्काल विकास क्षमता पर चिंता बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और कम बचत के कारण निजी उपभोग से अर्थव्यवस्था को मिलने वाला समर्थन कमजोर हो सकता है। बढ़ती महंगाई और कम बचत के कारण भारत की अर्थव्यवस्था की तत्काल विकास क्षमता पर चिंता बढ़ रही है।

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निष्कर्ष: यह रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। सरकार और केंद्रीय बैंक को महंगाई को नियंत्रित करने और लोगों की बचत को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।

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