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अंतरिक्ष में नया अध्याय: शुक्रयान मिशन को मिली हरी झंडी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पिछले कुछ वर्षों में कई सफल मिशन लॉन्च किए हैं। चंद्रयान और मंगलयान मिशन की सफलता के बाद अब भारत का लक्ष्य अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक विश्व नेता बनना है। इन नए मिशनों के साथ भारत इस दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ा रहा है।भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम नई ऊंचाइयों को छू रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इसरो के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों को मंजूरी दी हैं। इन मिशनों में चंद्रयान 4, वीनस ऑर्बिटर मिशन और भारतीय अंतरिक्ष केंद्र का निर्माण शामिल है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी मिली। कैबिनेट ने चंद्रयान 1, 2 और 3 के बाद अब चंद्रयान 4 मिशन को हरी झंडी दी है। इस मिशन का उद्देश्य चांद पर सफलतापूर्वक उतरने के बाद पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी के लिए आवश्यक तकनीक का विकास करना और चंद्रमा से नमूने लाकर उनका विश्लेषण करना है। चंद्रयान 4 का लक्ष्य वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की लैंडिंग और सुरक्षित वापसी के लिए आवश्यक तकनीकी क्षमताओं को हासिल करना है। इसके साथ ही, कैबिनेट ने चंद्रमा और मंगल के बाद अब शुक्र पर मिशन भेजने की मंजूरी भी दी है। इसके अलावा, गगनयान फॉलो ऑन मिशन और भारतीय अंतरिक्ष केंद्र के निर्माण को भी स्वीकृति प्रदान की गई है।

चंद्रयान 4 का महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट

चंद्रयान 4′ मिशन के लिए तकनीकी विकास के लिए कुल 2,104.06 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण की जिम्मेदारी इसरो के पास होगी। इस मिशन को उद्योग और शिक्षा जगत की भागीदारी के साथ 36 महीनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें डॉकिंग/अनडॉकिंग, लैंडिंग, पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी, और चंद्रमा से नमूने एकत्र कर उनका विश्लेषण करने के लिए आवश्यक तकनीक का विकास किया जाएगा। सरकार का कहना है कि चंद्रयान 3 के लैंडर की चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग ने कुछ महत्वपूर्ण तकनीकों को स्थापित किया है, जो केवल कुछ देशों के पास हैं। चंद्रमा से नमूने एकत्रित कर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता का प्रदर्शन, सफल लैंडिंग मिशन का अगला चरण होगा। यह मिशन भारत को मानवयुक्त अभियानों, चंद्रमा के नमूनों की वापसी, और उनके वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए आवश्यक मूलभूत तकनीकों में आत्मनिर्भर बनाएगा।

अब शुक्रयान बनाएगा भारत

कैबिनेट ने शुक्र ग्रह के अध्ययन और खोज के लिए ‘वीनस ऑर्बिटर मिशन (शुक्रयान)’ के विकास को मंजूरी दे दी है। इस मिशन के तहत, अंतरिक्ष विभाग द्वारा संचालित एक अंतरिक्ष यान को शुक्र ग्रह की कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जिससे उसकी सतह, उपसतह, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव को बेहतर तरीके से समझा जा सके।

भारत ने चंद्रमा और मंगल के बाद अब शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए विज्ञान संबंधी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इस मिशन के माध्यम से वैज्ञानिक जांच के जरिए शुक्र के वायुमंडल और भूविज्ञान को गहराई से समझने के साथ-साथ इसके घने वायुमंडल का अध्ययन करके महत्वपूर्ण डेटा एकत्र किया जाएगा। शुक्र, पृथ्वी का निकटतम ग्रह है, और इसे पृथ्वी जैसी परिस्थितियों में बनाने के लिए जाना जाता है, जिससे हमें ग्रहों के वातावरण के विकास के विभिन्न पहलुओं को समझने का अनूठा अवसर मिलता है।

अंतरिक्ष केंद्र के निर्माण की ओर बढ़े कदम

कैबिनेट ने गगनयान कार्यक्रम का दायरा बढ़ाते हुए भारतीय अंतरिक्ष केंद्र की पहली इकाई के निर्माण को मंजूरी दी है। इस फैसले के तहत, भारतीय अंतरिक्ष केंद्र के पहले मॉड्यूल (बीएएस 1) के विकास के साथ-साथ इसके निर्माण और संचालन के लिए आवश्यक तकनीकों का विकास और मान्यता देने के मिशन को भी स्वीकृति दी गई है

गगनयान कार्यक्रम के दायरे का विस्तार किया गया है ताकि नए विकास और पहले के मिशनों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। इसमें वर्तमान में चल रहे गगनयान कार्यक्रम के लिए एक अतिरिक्त मानव रहित मिशन और हार्डवेयर की अतिरिक्त जरूरतें भी शामिल की गई हैं।

इसरो को मिलेगी तीन गुना ताकतवर एनजीएलवी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए आंशिक रूप से पुन: प्रयोज्य अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) के विकास को मंजूरी दे दी है। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे देश का अंतरिक्ष कार्यक्रम और मजबूत होगा।। इसरो के लॉन्च व्हीकल मार्क-3 की तुलना में एनजीएलवी की पेलोड क्षमता तीन गुना अधिक है, यानी यह अधिक भार अंतरिक्ष में ले जा सकेगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए सरकार ने 8,240 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

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आज आधी रात से Chandrayaan 3 की चंद्रमा तक की यात्रा शुरू! आगे जानने के लिए पढ़ते रहिये है

12 जुलाई से chandrayaan 3 पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है और अपनी कक्षा का विस्तार कर रहा है, अब अंतरिक्ष यान चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू करेगा।

चंद्रयान 3 मिशन में एक अहम चरण आज रात से शुरू हो रहा है। रात 12:00 बजे से 1:00 बजे के बीच, वे अंतरिक्ष यान के इंजन को चालू करेंगे, जिससे इसे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण शक्ति को तोड़ते हुए चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू करने में मदद मिलेगी।

chandrayaan 3 को 14 जुलाई को इसरो (ISRO) के श्रीहरिकोट बेस से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। फिर चंद्रयान ने 173 किमी से 41 हजार 762 तक की दीर्घवृत्ताकार कक्षा में पृथ्वी की परिक्रमा शुरू की। चंद्रयान के इंजन सक्रिय हो गए और जैसे-जैसे इसने पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा पूरी की, इसकी कक्षा बढ़ती गई। फिलहाल चंद्रयान 236 किमी से एक लाख 27 हजार 609 किमी की कक्षा में पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है।

chandrayaan 3 का इंजन आज आधी रात को 25 मिनट से अधिक समय तक चालू रहेगा। इससे चंद्रयान की गति 10 किलोमीटर प्रति सेकंड तक बढ़ जाएगी और इसी गति के कारण चंद्रयान 3 पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल को तोड़कर चंद्रमा की ओर बढ़ेगा।

यह चंद्रमा की कक्षा में कब पहुंचेगा?

चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की औसत दूरी 384 हजार किलोमीटर है। फिलहाल चंद्रयान धरती से 1 लाख 27 हजार 609 किलोमीटर की दूरी पर है. फिर अंतरिक्ष यान को chandrayaan की कक्षा तक पहुंचने में दो दिन और लगेंगे।

Chandrayaan 3 चंद्रमा पर कब पहुंचेगा?

chandrayaan 3 को चंद्रमा के करीब पहुंचने के बाद उसे चंद्रमा की कक्षा तक सटीक तरीके से पहुंचना होगा। अगर कुछ भी गलत हुआ तो चंद्रयान या तो चंद्रमा से दूर चला जाएगा या उससे टकरा जाएगा। चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान 3 कुछ दिनों तक चंद्रमा की परिक्रमा करेगा और धीरे-धीरे कक्षा को कम करके 100 किमी की कक्षा में स्थापित हो जाएगा। इसके बाद यह चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर अलग से लैंडिंग करने की कोशिश करेगा। इसके लिए अगस्त का तीसरा सप्ताह शुरू होने की संभावना है।

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