ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी में इंटरेस्ट : गुजरात के गांधीनगर में आयोजित चौथे ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर्स मीट में दुनिया भर की 100 से अधिक कंपनियों ने भाग लिया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, जबकि समापन सत्र को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संबोधित किया था।
चौथे ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर्स मीट के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण धरती के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रिन्यूएल एनर्जी में निवेश अब सिर्फ एक विकल्प नहीं रह गया है, बल्कि यह दुनिया के लिए एक मजबूरी बन गई है। धनखड़ ने कहा कि हमें जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने होंगे।है
जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व कर रहा है। विश्व की लगभग 16 प्रतिशत आबादी भारत में निवास करती है,और प्रकृति के साथ हमारा सामंजस्य हमारी 5000 वर्ष पुरानी संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। हमारे वेद और उपनिषद विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत में दृढ़ता से विश्वास करते हैं। भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने कभी विस्तारवादी नीति नहीं अपनाई। हम मानते हैं कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि बातचीत और कूटनीति ही सभी मुद्दों का समाधान है।
हरेक को निभानी होगी भूमिका
उपराष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन के खतरों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह हमारी पृथ्वी के लिए एक संकट है। उन्होंने कहा कि हमें इस संकट से निपटने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा। भारत ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सौर गठबंधन जैसी वैश्विक पहल की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा का कुशल उपयोग और सतत विकास ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है। भारत का विकास न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद होगा।
नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस अवसर पर बताया कि भारत अब नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व नेता के रूप में उभर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए और अब प्रधानमंत्री के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। देश के सभी राज्यों ने मिलकर 2030 तक 540 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य रखा है। साथ ही, वित्तीय संस्थानों ने 2030 तक हरी ऊर्जा में बदलाव के लिए 386 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने से न केवल देश को ऊर्जा सुरक्षा मिलेगी बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। अनुमान है कि इस क्षेत्र में लगभग 82 लाख नौकरियां सृजित होंगी।