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Gyanvapi Survey: अयोध्या की तरह काशी के ज्ञानवापी में भी मिला मंदिर का ढांचा, हिंदू पक्ष का दावा मजबूत

Gyanvapi Survey: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट गुरुवार की देर शाम को जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने सार्वजनिक कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला है। इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई है। उनका कहना है कि बाबा मिल गए हैं। सर्वे रिपोर्ट से सब कुछ साफ हो गया। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई, यह भी पता चल गया। अब हिंदुओं को पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए। दूसरी तरफ से मुस्लिम पक्ष ने कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने का एलान किया है।

एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी परिसर में जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के शिलालेख मिले हैं। रिपोर्ट में महामुक्ति मंडप लिखा है। एएसआई का कहना है कि यह मजबूत संकेत है।

Gyanvapi Survey: अयोध्या की तरह काशी के ज्ञानवापी में भी मिला मंदिर का ढांचा

एएसआई ने सर्वे के दौरान एक पत्थर पाया जो टूटा हुआ था। ऐसे में जदूनाथ सरकार की फाइंडिंग को सही पाया। 1669 में 2 सितंबर को मंदिर ढहाया गया था। जो पिलर थे पहले के मंदिर के उनका इस्तेमाल मस्जिद के लिए किया गया। जो तहखाना S2 है, उसमें हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां थी। एएसआई कहता है कि पश्चिमी दीवार एक हिंदू मंदिर का हिस्सा है। उसे आसानी से पहचाना जा सकता है। 17वीं शताब्दी में मंदिर तोड़ा गया था। इसके बाद इसे मस्जिद के लिए इस्तेमाल किया गया। एएसआई कह रहा है कि यहां मस्जिद से पहले हिंदू मंदिर का स्ट्रक्चर था। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन का कहना है कि अब सील वजूखाना की एएसआई सर्वे की मांग सुप्रीम कोर्ट से करेंगे।

गुरुवार को ज्ञानवापी मामले से जुड़े पांच लोगों को एएसआई की रिपोर्ट की हार्ड कॉपी मिली है। बता दें कि दोपहर में पक्षकारों ने इसके लिए प्राथना पत्र देकर आवेदन किया। इसके बाद से ही फोटो स्टेट की प्रक्रिया शुरू हुई। देर रात नौ बजे के बाद सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने होटल में प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि रिपोर्ट के मुताबिक मंंदिर का ढांचा मिला है।

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मंदिर तोड़ कर बनाई गई मस्जिद अदालत ने सर्वे रिपोर्ट की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने से साफ इन्कार कर दिया। यह मांग अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से की गई थी। दूसरी तरफ मसाजिद कमेटी की सर्वे रिपोर्ट ई-मेल पर उपलब्ध कराने की मांग भी खारिज कर दी गई। दरअसल, जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 23 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया था। इसी आधार पर एएसआई की टीम ने सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर के सर्वे किया, फिर सीलबंद रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर दिया।

ज्ञानवापी से संबंधित मां शृंगार गौरी मूल वाद की सुनवाई 14 जुलाई को पूरी कर ली थी। इसके बाद पत्रावली को आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया था। जिला जज की अदालत ने 23 जुलाई को आदेश सुनाया। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की मौजूदगी में अदालत ने रडार तकनीक एएसआई से सर्वे कराने का आवेदन मंजूर किया था। साथ ही, एएसआई के निदेशक को सर्वे कराने के लिए आदेशित किया था।

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Ram Mandir: नौ अग्निकुंड… 60 घंटे पूजा, 5.50 लाख मंत्र; प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में सात दिन क्या हुआ, जानें

Ram Mandir: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान कई मायनों में अद्भुत रहा। एक सात दिवसीय अनुष्ठान के दौरान, 5.50 लाख मंत्रों का जाप रामजन्मभूमि परिसर में किया गया। इन सभी मंत्रों को रामनगरी के पौराणिक ग्रंथों से लिया गया। पुराण, श्रीमद्भागवत, और वाल्मीकि रामायण के मंत्रों का जप भी किया गया। इस अनुष्ठान में काशी समेत पूरे देश से आए 121 वैदिक कर्मकांडी ब्राह्मणों ने इन मंत्रों का पाठ किया।

सात दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की शुरुआत 16 जनवरी को प्रायश्चित पूजन व कर्मकुटी पूजन से हुई थी। इस अनुष्ठान का समापन 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ हुआ। शुभ मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा नदियप प्रजामे गोपाया अमृतत्वया जीवते, जातांच निश्यामानांच, अमृते सत्ये प्रतिष्ठिताम्… मंत्र के जप से की गई।

इस मंत्र का अर्थ है, “प्रभु, यहां पर प्रतिष्ठित होकर पूरी सृष्टि का संचालन करना है। धर्म की रक्षा के लिए आप प्रतिष्ठित हो जाइए।” अनुष्ठान में शामिल आचार्य मृत्युंजय ने बताया कि सबसे प्राचीन और पहले वेद, ऋग्वेद के सबसे बड़े देवता इंद्र हैं। वेदों के एक चौथाई हिस्से में इंद्र देव हैं।

Ram Mandir: नौ अग्निकुंड… 60 घंटे पूजा, 5.50 लाख मंत्र;

इंद्रदेव के लिए 2500 मंत्र हैं। दूसरे स्थान पर अग्नि हैं, उनके दो हजार मंत्र हैं। अनुष्ठान के रामजन्मभूमि परिसर में दो यज्ञमंडप व नौ हवन कुंड बनाए गए थे। अनुष्ठान के क्रम में पूरे सात दिन तक नौ हवन कुंडों में कुल 60 घंटे तक करीब 5़ 50 लाख मंत्रों का वाचन किया गया। इसमें चारों वेद, 13 उपनिषद, 18 पुराणों, वाल्मीकि रामायण, तुलसीदास की रामचरित मानस, श्रीमद्भागवतत और ब्राह्मण ग्रंथों के मंत्र, श्लोक, छंद, दोहे, सोरठा और चौपाईयां पढ़ी गईं।

इसके अलावा गणेश भगवान का जप, भैरव जप, अंबिका, नवग्रह, वास्तुहोम और इसके बाद भगवान राम का प्रिय मंत्र पुरुष सूक्त का भी वाचन किया गया। इसी पुरु सूक्त के मंत्र से नौ अगिनकुंडों में 21 जनवरी की शाम को हवन हुआ। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान पढ़ा गया मंत्र:

“नदियप प्रजामे गोपाया अमृतत्वया जीवते, जातांच निश्यामानांच, अमृते सत्ये प्रतिष्ठिताम्।”

इसका अर्थ है, “प्रभु, यहां पर प्रतिष्ठित होकर पूरी सृष्टि का संचालन करना है। धर्म की रक्षा के लिए आप प्रतिष्ठित हो जाइए।” धर्मग्रंथों में मंत्रों की संख्या:

– पुराण – चार लाख सात सौ मंत्र

– श्रीमद्भागवत – एक लाख मंत्र

– ऋग्वेद – 10,552

– यजुर्वेद – 3988

– सामवेद – 1875

– अथर्ववेद – 5987

– वाल्मीकि रामायण – 24,000

– रामचरित मानस – 6002 श्लोक, दोहा, चौपाई, सोरठा, छंद आदि

– उपनिषद – 1441

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Ram Lala: कृष्ण शैली में मूर्ति, श्यामल रंग, आभामंडल में दशावतार, जानें रामलला की मूर्ति की विशेषताएं

Ram Lala: अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी आ चुकी है। यहां विधियों और अनुष्ठानों का क्रम पहले ही शुरू हो गया है। प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के चौथे दिन शुक्रवार को सुबह नौ बजे अरणी मंथन से अग्नि प्रकट की गई। अग्नि प्रकट के साथ चौथे दिन का अनुष्ठान शुरू हो गया है। इसी बीच रामलला की मूर्ति की बेहद खास तस्वीर सामने आई है। इस तस्वीर में उनके पूरे स्वरूप को देखा जा सकता है। तस्वीर में रामलला माथे पर तिलक लगाए बेहद सौम्य मुद्रा में दिख रहे हैं। हालांकि, रामलला की यह तस्वीर गर्भ गृह में लाने से पहले की है। अभी भगवान की आंखों में पट्टी बंधी हुई है।

Ram Lala: रामलला की मूर्ति की क्या विशेषता है?

भगवान राम के बाल रूप की मूर्ति को गर्भ गृह में स्थापित कर दिया गया है। मूर्ति पर भगवान राम की आंखों पर पट्टी बंधी है। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी मूर्ति की पट्टी हटाकर प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। वायरल तस्वीर में भगवान राम के पूरे स्वरूप को देखा जा सकता है। तस्वीर में रामलला माथे पर तिलक लगाए बेहद सौम्य मुद्रा में दिख रहे हैं। राम लला के चेहरे पर भक्तों का मन मोह लेने वाली मुस्कान दिखाई दे रही है।

मूर्ति करीब 200 किलोग्राम वजनी तो ऊंचाई 4.24 फीट

मूर्ति की विशेषताएं देखें तो इसमें कई तरह की खूबियां हैं। मूर्ति श्याम शिला से बनाई गई है जिसकी आयु हजारों साल होती है। मूर्ति को जल से कोई नुकसान नहीं होगा। चंदन, रोली आदि लगाने से भी मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। इसकी कुल ऊंचाई 4.24 फीट, जबकि चौड़ाई तीन फीट है। कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर और धनुष है। कृष्ण शैली में मूर्ति बनाई गई है। और क्या खास है?

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मूर्ति के ऊपर स्वास्तिक, ॐ, चक्र, गदा, सूर्य भगवान विराजमान हैं। रामलला के चारों ओर आभामंडल है। श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं। मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य है। भगवान राम का दाहिना हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतार दिखाई दे रहे हैं। मूर्ति नीचे एक ओर भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी तो दूसरी ओर गरुड़ जी को उकेरा गया है।

मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलक रही है। मूर्ति को मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अधिकारियों का कहना था कि जिस मूर्ति का चयन हुआ उसमें बालत्व, देवत्व और एक राजकुमार तीनों की छवि दिखाई दे रही है।

कठिन था मूर्ति का चयन

अयोध्या के श्रीराम मंदिर में तीन मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा, जिसमें से एक मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। इनके बनने के बाद सबसे बड़ा सवाल तो यह था कि गर्भ गृह में किस रूप में राम लला विराजमान होंगे। मूर्तिकारों ने तीनों मूर्तियों को इतना सुंदर बनाया कि चयन करना कठिन हो रहा था कौन सी सुंदर है और कौन सी उतनी नहीं है। अंततः बाल रूप वाली मूर्ति को राम मंदिर के गर्भ गृह में विराजने का फैसला लिया गया।

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Ram Mandir: प्रभु श्रीराम के विभिन्न रूपों पर आधारित 800 टिकट डाक टिकटों पर जारी किए जा रहे हैं।

Ram Mandir: प्रभु श्रीराम के विविध रूपों पर डाक टिकट प्राप्त किए जा सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान राम पर पांच रुपये के डाक टिकट जारी करने के बाद, संगम नगरी के प्रमुख डाक घर में आठ सौ टिकट मांगे गए हैं। इन टिकटों की बिक्री 22 जनवरी से शुरू होगी, जो प्राण-प्रतिष्ठा वाले दिन है। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी जोरों पर है, और इस मौके पर डाक विभाग ने टिकटों पर राम कथा को विशेष स्थान दिया है।

Ram Mandir: डाक टिकटों पर मिलेंगे प्रभु श्रीराम के विविध रूप

टिकटों पर राम की लीलाओं के विभिन्न प्रसंगों पर आधारित चित्र होंगे। इसमें राम दरबार, धनुर्धर राम, जय श्री राम, शबरी गाथा, सीता स्वयंवर, केवट प्रसंग, रावण वध की छाप टिकटों पर अंकित की गई है। इन विभिन्न रूपों वाले डाक टिकटों का मूल्य पांच से 15 रुपये तक होगा, जबकि राज्याभिषेक वाला टिकट 65 रुपये में मिलेगा। इन टिकटों के माध्यम से लोग नए रामयुग का अनुभव कर सकेंगे और इसे एक विशेष तोहफा मान सकते हैं।

शिव धनुष तोड़ते हुए श्रीराम की छवि, राम-भरत मिलाप, नाव से गंगा पार करते राम, सीता और लक्ष्मण को टिकटों पर दर्शाया जाएगा। जटायु को गोद में लेकर बैठे राम, हनुमान के चित्रण को टिकटों पर देखा जा सकेगा। भगवान राम दरबार, शबरी संवाद, केवट प्रसंग, सीता स्वयंवर, राम वनवास भी इस टिकटों पर अंकित किया गया है।

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डाक विभाग ने राम पर आधारित टिकटों को सुंदर और दर्शनीय बनाया है, जो 22 जनवरी से उपलब्ध होंगे।

राम पर आधारित टिकट, जिन्हें देखने में काफी सुंदर और दर्शनीय बनाया गया है, डाक विभाग द्वारा जारी किए जा रहे हैं। इन टिकटों को संग्रह करने वालों के लिए यह भावनात्मक भी होगा, और इन्हें 22 जनवरी से उपलब्ध कराया जाएगा। – सीनियर पोस्टमास्टर, राजेश कुमार श्रीवास्तव

22 जनवरी को डाक विभाग ने तैयारियों में जुट जाने का एलान किया है। रामलला के जन्मभूमि पर उनके आगमन को पुनः रेखांकित करने के साथ ही, प्राण-प्रतिष्ठा के साथ राम पर आधारित डाक टिकट भी उपलब्ध कराए जाएंगे। – नेशनल फिलेटिलिक और न्यूमिस्मैटिक्स ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी, महेश प्रताप सिंह

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Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर में पुजारी के रूप में सेवा करने का सुनहरा अवसर, मंदिर ट्रस्ट ने अधिसूचना जारी की

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में भव्य राम मंदिर जल्द ही देश भर के लाखों भक्तों के लिए दर्शन के लिए खुला रहेगा। इससे पहले श्रीराम मंदिर ट्रस्ट ने पुजारी पद के लिए भर्ती जारी की है. तो बहुतों का राम मंदिर में सेवा करने का सपना पूरा होगा.

Ayodhya October 23, 2023: दुनिया भर के पुजारी चाहेंगे कि उन्हें अयोध्या में राम मंदिर में सेवा करने का अवसर मिले। अयोध्या राम मंदिर हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण पूजा स्थल है। इसलिए, कई लोग इस स्थान पर पुजारी के रूप में सेवा करने का अवसर पाने के लिए संघर्ष करेंगे। अयोध्या में श्रीराम मंदिर ट्रस्ट को भी अच्छे पुजारियों की जरूरत है. इसलिए राम मंदिर ट्रस्ट ने पुजारियों की ऑनलाइन भर्ती की है. इसलिए पुजारी ऑनलाइन आवेदन कर राम मंदिर में सेवा करने का सुनहरा मौका पा सकेंगे.

अयोध्या में श्री राम का भव्य मंदिर बन रहा है. यह मंदिर बहुत बड़ा और भव्य होने वाला है. इस मंदिर का निर्माण अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। तीन महीने बाद 22 जनवरी को अयोध्या में नए राम मंदिर में श्रीराम की मूर्ति स्थापित की जाएगी. इस कार्यक्रम में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे. नए मंदिर का उद्घाटन उनके द्वारा किया जाएगा. इस बीच, मंदिर के बढ़ते विस्तार और भक्तों की बढ़ती भीड़ को ध्यान में रखते हुए, मंदिर ट्रस्ट द्वारा पूजा और अन्य चीजों के लिए पुजारियों की भर्ती की जा रही है। इस संबंध में मंदिर ट्रस्ट की ओर से आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी गई है.

अयोध्या में श्री राम का भव्य मंदिर बन रहा है. इस मंदिर में नए पुजारियों की नियुक्ति की जाएगी. दिलचस्प बात यह है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने इच्छुक लोगों से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा इस भव्य मंदिर में स्थापित करने से पहले आवेदन करने की अपील की है। इस भर्ती में कुशल पुजारियों को प्राथमिकता दी जाएगी. इसके पीछे की वजह भी वही है. अयोध्या में राम मंदिर देश भर के हिंदू भक्तों के लिए आस्था का एक बड़ा स्थान बनने जा रहा है। अत: अपेक्षा की जाती है कि समान योग्यता वाले बुद्धिमान पुजारी हों।

पुजारी पद के लिए सटीक मानदंड क्या है?

बताया गया है कि पुजारी पद के लिए आवेदन की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर 2023 है. इस नौकरी को पाने के लिए उम्मीदवारों को एक प्रवेश परीक्षा देनी होगी। इसके बाद उन्हें 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी. विशेष प्रशिक्षण के बाद उम्मीदवारों को मंदिर में पुजारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान उम्मीदवारों को प्रति माह 2000 रुपये का भुगतान किया जाएगा।

रामलला की पूजा रामानंदीय परंपरा में की जाती है। इस प्रकार पूजा करने का ज्ञान रखने वाले अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी। उम्मीदवारों को गुरुकुल से शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए और रामानंदीय परंपरा में दीक्षित होना चाहिए। प्रशिक्षण के बाद अभ्यर्थी का अंतिम चयन किया जायेगा.

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Indian Dishes For Diwali: दिवाली पर बनाएं ये पारंपरिक आसान और स्वादिष्ट व्यंजन

Indian Dishes For Diwali: दिवाली बस कुछ ही दिन दूर है, रोशनी के इस त्योहार का ख्याल आते ही मन में मिठाइयां और व्यंजन आ जाते हैं। हालाँकि आधुनिक समय में दिवाली का स्वरूप बदल गया है, लेकिन कुछ परंपराएँ अभी भी कायम हैं। कुछ ऐसे पारंपरिक व्यंजन (दिवाली पारंपरिक व्यंजन) हैं जिनके बिना दिवाली का त्योहार अधूरा है। ये व्यंजन हर घर में दादी-नानी बनाती रही हैं। तो आइए आज हम आपको ऐसे ही कुछ व्यंजन और उनकी रेसिपी बताते हैं।

ये पारंपरिक व्यंजन बनाएंगे दिवाली को खास

1. शकरपारेः ( Shakarpare )

आटे को सामान्य पानी से गूथ लीजिये. इसे 20 से 30 मिनट तक गीले सूती कपड़े से ढककर रखें। – अब इसकी बड़ी लोई बनाकर बड़ी रोटी के आकार में बेल लें या आप इसे चौकोर भी बेल सकते हैं. – अब एक चाकू लें और इसे चौकोर या बर्फी के आकार में काट लें. – अब एक पैन में पानी के साथ गुड़ या चीनी डालें और इसकी चाशनी तैयार करें. इसमें भुना हुआ गन्ना डालकर चाशनी में मिला दीजिये, इस प्रकार गन्ना तैयार किया जा सकता है.

2. मठरी या नमकीन खुरमेः 

आटे में अजवाइन और नमक मिला दीजिये, अब तेल डाल कर आटे को अच्छी तरह मसल लीजिये. – अब गर्म पानी लें और उसमें आटा मिलाएं. आटे को गीले कपड़े से ढक दीजिये ताकि आटा सूखे या फटे नहीं. – अब छोटी-छोटी लोइयां लें, उन्हें बेल लें और चाकू या चम्मच की मदद से उनमें छेद कर दें. अब आप सभी मठरियों को एक-एक करके गरम तेल में तल कर निकाल लीजिये.

3.मूंग दाल का हलवाः

दूध गर्म करें और उसमें केसर डालकर एक तरफ रख दें. – इसके बाद एक पैन में घी गर्म करें और उसमें मूंग डालकर धीमी आंच पर सुनहरा होने तक भून लें. इस बात का ध्यान रखना होगा कि दाल तले में न लगे. जब दाल सुनहरी हो जाए और घी छोड़ने लगे तो इसमें केसर वाला दूध डालें. जब दूध पूरी तरह से दाल में समा जाए तो इसमें चीनी और किशमिश डालें और हलवा तैयार है. परोसते समय आप काजू, बादाम और पिस्ता भी डाल सकते हैं.

4. गुजियाः

मैदे में घी डालकर मिला लीजिए और पानी डालकर थोड़ा सख्त आटा गूंथ लीजिए. – अब एक पैन में घी गर्म करें और उसमें रवा भून लें. जब रवा अच्छे से भुन जाए तो इसे एक तरफ रख दें. – अब उसी पैन में ड्राई फ्रूट्स भून लें. इसी तरह नारियल का बुरादा भी भून लीजिए. – अब एक पैन में मावा को हल्का सुनहरा होने तक भून लें. – अब सभी चीजों को मिला लें, इलायची और चीनी भी डाल दें. आटे को छान लीजिए, इसमें राव और मावा का मिश्रण डालकर पानी से ढक दीजिए. – अब तेल गर्म करें और गुजिया तलें. इसे दिवाली के त्योहार पर या आम दिनों में भी बनाया जा सकता है.

5. कुरकुरी बाकरवडी

खसखस, चीनी, नींबू और 2 चम्मच नमक मिलाकर अलग रख दें. – आलू को डीप फ्राई करें और हरा धनियां डालें. – एक पैन में 1 टेबलस्पून तेल गर्म करें और उसमें सफेद तिल, नारियल डालकर 2-3 मिनट तक भूनें. इस मसाले को तले हुए आलू में मिला दीजिये. हरी मिर्च डालें.

चने के आटे और आटे को मिला लीजिये, इसमें डेढ़ चम्मच तेल, नमक और हल्दी डाल कर अच्छी तरह मसल लीजिये. इसे चकले पर कूट लीजिए, अब इसकी लोई बनाकर पतला बेल लीजिए.

गरम मसाला को पानी में गाढ़ा-गाढ़ा मिला लीजिये. – बेली हुई पूरी पर थोड़ा सा गरम मसाला छिड़कें और ऊपर से आलू-धनिया मसाला फैला दें. खत्म करो। किनारों को हाथ से दबा कर चिपका दीजिये. रोल पर 1 इंच की दूरी पर चाकू से निशान लगाएं। – तेल गर्म करें और धीमी आंच पर बादाम तल लें. – इसे उल्टा न करें बल्कि छलनी से तेल ऊपर डालें. फिर इसे निशान पर काटें और कुरकुरी बकवाराडी परोसें।

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Dussehra 2023 Date: 23 या 24 अक्टूबर भारत में कब मनाई जाएगी विजयादशमी, जानिए दशहरा का इतिहास और महत्व

Dussehra 2023 Date: दशहरा नवरात्रि के 9 दिनों के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। इसी दिन विजयादशमी भी पड़ती है. दशहरे के दिन रावण दहन किया जाता है। दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, असत्य पर सत्य की जीत और अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है।

पंचांग के अनुसार हर वर्ष दशहरा का त्योहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। लेकिन लोग इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि इस साल कौन सा दिवस मनाया जाएगा. कुछ लोग कहते हैं कि दशहरा 23 तारीख को है तो कुछ लोग कहते हैं कि 24 अक्टूबर को है.

23 या 24 अक्टूबर कब है दशहरा (Dussehra 2023 Date)

पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि 23 अक्टूबर को शाम 05:44 बजे शुरू होगी और 24 अक्टूबर को दोपहर 03:24 बजे समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार दशहरा और विजयादशमी का त्योहार 24 अक्टूबर 2023 को ही मनाया जाएगा.

क्या है दशहरा 2023 का महत्व (Dussehra 2023 Importance)

दशहरे के दिन रावण दहन किया जाता है। इस दिन रावण, उसके भाई कुम्भकर्ण और पुत्र मेघनाथ के पुतले बनाकर जलाये जाते हैं। दशहरे पर रावण दहन बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन कई जगहों पर शस्त्र पूजन भी किया जाता है।

दशहरा 2023 का इतिहास क्या है  (Dussehra 2023 History)

दशहरा उत्सव से जुड़ी दो किंवदंतियाँ हैं। सबसे पहले शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन मां दुर्गा ने चंडी का रूप धारण किया और राक्षस महिषासुर का वध किया। इसी दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। आइए जानते हैं इन दोनों कहानियों के बारे में.

श्री राम द्वारा रावण का वध: धार्मिक ग्रंथ रामायण के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र भगवान राम 14 वर्ष तक वनवास में रहे। इसी दौरान उनकी पत्नी माता सीता का लंका के राजा रावण ने अपहरण कर लिया था। तब रामजी ने वानर सेना तैयार की और माता सीता को रावण से मुक्त कराने के लिए लंका पहुंचे। लंका पहुंचकर भगवान राम ने अपने भाई कुंभकर्ण के साथ मिलकर रावण का वध किया और फिर माता सीता को अपने साथ ले आए।

कहा जाता है कि लंका पर चढ़ाई करने से पहले रामजी ने 9 दिनों तक महाशक्ति की पूजा की और दसवें दिन रावण का वध किया. इसलिए जिस दिन रावण का वध हुआ उस दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है और 9 दिनों तक भगवान राम की पूजा करने के दिन को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

मां दुर्गा ने किया था महिषासुर राक्षस  का वध: पौराणिक कथाओं के अनुसार विजयादशमी के दिन दशहरा मनाने की कथा मां दुर्गा से संबंधित है। ऐसा कहा जाता है कि दसवें दिन मां दुर्गा ने चंडी का रूप धारण किया और राक्षस महिषासुर का वध किया। महिषासुर और उसकी राक्षसी सेना ने देवताओं को बहुत परेशान किया। इसके बाद मां दुर्गा ने लगातार नौ दिनों तक महिषासुर और उसकी सेना से युद्ध किया और 10वें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इसलिए आश्विन माह में शारदीय नवरात्रि के 9वें दिन के बाद 10वें दिन दशहरा मनाने की परंपरा है।

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Diwali Wishes In Hindi दिवाली की शुभकामनाएं प्यार और खुशियों से भरा एक संदेश.

Diwali or Deepawali 2023 Kab Hai: दिवाली या दीपावली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह दिवस या रोशनी का त्यौहार है। दिवाली का त्योहार भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद अपने राज्य अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इतना ही नहीं, यह त्योहार समृद्धि की देवी लक्ष्मी और बुद्धि के देवता और बाधाओं को दूर करने वाले गणेश से भी जुड़ा है।

दिवाली पांच दिवसीय त्यौहार है- Diwali is a five day festival

दिवाली का त्योहार गोवर्धन पूजा से शुरू होता है और भाईदूज के दिन समाप्त होता है। यह पांच दिवसीय उत्सव है। जिसमें धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे त्योहार मनाए जाते हैं।

दिवाली या दीपावली 2023 कब है- When is Diwali or Deepawali 2023?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल दिवाली या दीपावली कार्तक माह के 15वें दिन अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस साल देशभर में दिवाली 12 नवंबर 2023, रविवार को मनाई जाएगी. इस साल गणेश-लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम 06:11 से 08:15 बजे तक रहेगा.

Diwali Wishes In Hindi: दिवाली पर अपनों को प्यार से भरे भेजें ये चुनिंदा मैसेज व इमेज, कहें- ‘शुभ दीपावली’

 

  • दीप जगमगाते रहें,
    सबके घर झिलमिलाते रहें,
    साथ हों सब अपने,
    सब यूं ही मुस्कुराते रहें।
    शुभ दिवाली 2023
  • जगमग जले ये सुंदर दीप,
    चारों तरफ रौशनी ही रोशनी हो,
    मेरी है यही दुआ, इस दिवाली पर
    होठों पर आपके बस हंसी ही हंसी हो।
    शुभ दिवाली 2023
  • खुशियों का पर्व है दिवाली,
    मस्ती की फुहार है दिवाली,
    लक्ष्मी पूजन का दिन है दिवाली,
    अपनों का प्यार है दिवाली।
    दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं।
  • दिये की रौशनी से सब अंधेरा दूर हो जाये,
    दुआ है की जो चाहो आप वो खुशी मंजूर हो जाये।
    शुभ दिवाली 2023
  • दिवाली त्योहार दीप का, मिलकर दीप जलायेंगे।
    सजा रंगोली से आंगन को, सबका मन हर्षायेंगे।
    बम-पटाखे भी फोड़ेंगे, खूब मिठाई खायेंगे।
    दिवाली त्योहार मिलन का, घर-घर मिलने जायेंगे।
    शुभ दिवाली
  • मुस्कुराते हंसते दीप तुम जलाना,
    जीवन में नई खुशियों को लाना,
    दुःख दर्द अपने भूल कर, सबको गले लगाना।
    शुभ दिवाली
  • खुशियों का पर्व है दिवाली,
    मस्ती की फुहार है दिवाली,
    लक्ष्मी पूजन का दिन है दिवाली,
    अपनों का प्यार है दिवाली।
    दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं
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Dussehra 2023: इस साल कब है दशहरा, 23 या 24 अक्तूबर को? जानें तिथि और रावण दहन का मुहूर्त

Dussehra 2023 Date And Ravan Dahan Muhurat: हर साल दशहरा का त्योहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में इसी दिन अयोध्या के राजा प्रभु श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था और माता सीता को उसके चंगुल से मुक्त कराया था। तब से यह त्यौहार हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। दशहरा यानि विजयदशमी के दिन लोग रावण का पुतला जलाते हैं। इस साल विजयादशमी की सही तारीख और रावण दहन के शुभ समय को लेकर लोग असमंजस में हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल विजयादशमी यानी दशहरा 23 अक्टूबर को है या 24 अक्टूबर को?

दशहरा 2023 कब है? When is Dussehra 2023?

इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि 23 अक्टूबर को शाम 05:44 बजे से शुरू हो रही है। इसका समापन 24 अक्टूबर को दोपहर 03:14 बजे होगा. 24 अक्टूबर को उदया तिथि होने के कारण दशहरा यानी विजयादशमी का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

दशहरा 2023 पर रावण दहन का मुहूर्त Auspicious time of Ravana Dahan on Dussehra 2023

दशहरे के दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में रावण का पुतला जलाया जाता है। इस साल रावण दहन 24 अक्टूबर को शाम 5.43 बजे से किया जाएगा.

विजयादशमी 2023 शस्त्र पूजा मुहूर्त Vijayadashami 2023 Shastra Puja Muhurta

विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजन किया जाता है। इस दिन विजय मुहूर्त में शस्त्रपूजन किया जाएगा। 24 अक्टूबर को विजय मुहूर्त दोपहर 01:58 बजे से 02:43 बजे तक है. इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त या दिन का शुभ समय सुबह 11:43 बजे से 12:28 बजे तक है।

क्यों मनाया जाता है दशहरा? Why is Dussehra celebrated?
हिंदू धर्म में दशहरा यानी विजयादशमी का विशेष महत्व है। यह त्यौहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर बुराई का अंत किया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने 9 दिनों के युद्ध के बाद महिषासुर का वध किया था. इसलिए यह त्यौहार हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
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Navratri fasting rules 2023: 9 दिनों के उपवास के दौरान जानिए क्या करें और क्या न करें

Navratri fasting rules 2023: शारदीय नवरात्रि का नौ दिवसीय त्योहार आ गया है और मां दुर्गा के भक्त व्रत की तैयारियों में व्यस्त हैं, चाहे वह घटस्थापना के लिए कलश खरीदना हो, व्रत के लिए उपयुक्त अनाज और नाश्ता या अन्य पूजा सामग्री खरीदना हो। देशभर में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है नवरात्रि।

चाहे वह गुजरात में गरबा और डांडिया के रंगीन और जीवंत स्थल हों, पश्चिम बंगाल में मां दुर्गा के लिए भव्य पंडाल हों या दक्षिण भारत में गोलू में गुड़ियों और मूर्तियों का उत्सव प्रदर्शन, नवरात्रि निश्चित रूप से देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है।

उत्तर भारत में नवरात्रि व्रत बहुत लोकप्रिय है और पहले दिन कलश स्थापित करने के बाद, भक्त अपनी पारिवारिक परंपराओं के अनुसार नौ दिनों का उपवास या पहला और आखिरी व्रत रखते हैं। नवरात्रि पारण नौवें दिन कन्या पूजा के साथ मनाया जाता है, जिसमें छोटी लड़कियों को हलवा पुरी का आनंद लेने और कंजक के रूप में पूजा करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।

नवरात्रि व्रत के नियमों और परंपराओं को समझना जरूरी है। चाहे यह आपका पहला नवरात्रि व्रत हो या आप नौ दिनों की पूजा के बारे में अधिक जानना चाहते हों, हमने आपको कवर कर लिया है।

जो लोग व्रत नहीं रखते उनके लिए नवरात्रि व्रत नियम
कई लोग त्योहार के दौरान मां दुर्गा और उनके विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं लेकिन उन्हें उपवास करना पसंद नहीं है या वे अपने खराब स्वास्थ्य के कारण उपवास नहीं कर सकते हैं। जब आप उपवास नहीं कर रहे हों तो पालन करने योग्य नियमों की एक सूची यहां दी गई है।

प्याज और लहसुन छोड़ें
इन्हें और कुछ अन्य सब्जियां जैसे मशरूम, लीक, शैलोट्स को नवरात्रि के दौरान खाने से बचना चाहिए। त्योहार के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करने की सलाह दी जाती है जो आपको भक्ति से भर देता है और आपके सिस्टम को डिटॉक्सीफाई भी करता है।

सात्विक एवं व्रत अनुकूल भोजन
नवरात्रि के दौरान गेहूं, चावल, प्रसंस्कृत नमक और बैंगन, भिंडी, मशरूम जैसी अधिकांश सब्जियों से परहेज किया जाता है। व्रत के लिए उपयुक्त अनाज जैसे रागी, सामक चावल, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, फराली का आटा, आंवला और फल जैसे केला, सेब, संतरा आदि खाने की सलाह दी जाती है। आप नियमित प्रोसेस्ड नमक की जगह सेंधा नमक खा सकते हैं।

सुबह-शाम आरती करें
नवरात्रि के दौरान अखंड दीपक जलाने की सलाह दी जाती है, लेकिन अगर संभव न हो तो आप मां दुर्गा और उनके विभिन्न अवतारों की सुबह और शाम आरती भी कर सकते हैं। शक्ति के नौ रूप हैं जैसे मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री आदि।

कटौती के नियम
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या घटस्थापना की जाती है। यह त्योहार के महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है और इसे तब किया जाना चाहिए जब प्रतिपदा प्रचलित हो।

मां दुर्गा को लाल फूल और लाल पोशाक
नवरात्रि के दौरान हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग अवतारों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के सभी अवतारों को पूजा के दौरान लाल कपड़े पहनने और लाल फूल चढ़ाने की सलाह दी जाती है।

शेव न करें या नाखून न काटें
माना जाता है कि नवरात्रि एक शुभ अवसर है और इस दौरान नाखून काटना और शेव करना वर्जित है क्योंकि इससे दुर्भाग्य आ सकता है।

शराब और मांसाहारी भोजन का सेवन न करें
नवरात्रि के दौरान शराब और मांसाहारी भोजन की अनुमति नहीं है क्योंकि ये तामसिक भोजन की श्रेणी में आते हैं।

गपशप मत करो
नवरात्रि के दौरान न केवल भोजन और परिवेश की शुद्धता जरूरी है, बल्कि विचारों की शुद्धता भी महत्वपूर्ण है। दूसरों के बारे में नकारात्मक बातें करने, सोचने और गपशप करने से बचना चाहिए।

नवरात्रि व्रत के नियम
इस बार व्रत करने वालों के लिए नवरात्रि के नियम इस प्रकार हैं।

नवरात्रि के दौरान खाने योग्य खाद्य पदार्थ और परहेज
-संवत चावल या गेहूं का आटा, गेहूं का आटा या कुट्टू का आटा, साबूदाना या साबूदाना, राजगिरा, सिंघाड़े का आटा या सिंघाड़े का आटा।

-आलू, शकरकंद, गुड़, तारो, कद्दू, पालक, गुड़, खीरा और गाजर।

-प्याज, लहसुन, भिंडी, बैंगन, मशरूम, गेहूं, चावल, सूजी, आटा, मक्के का आटा, बीन्स और दालें कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनका सेवन लोगों को व्रत के दौरान नहीं करना चाहिए।

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