UP Electricity: पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने ट्रांस हिंडन के क्षेत्रों में जमीन ढूंढने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया था, लेकिन जमीन नहीं मिलने के कारण बिजलीघरों के निर्माण की योजना अटक गई है।
UP Electricity: 10 नए बिजलीघर बनाने की योजना
इस वर्ष भी यहां के लोगों को निर्बाध बिजली नहीं मिल सकेगी। यदि अधिकारी इसी तरह लेटलतीफी करते रहे, तो अगले वर्ष मार्च तक भी बिजलीघरों का निर्माण होना मुश्किल हो जाएगा। जनवरी में ट्रांस हिंडन में बिजली कटौती की समस्या खत्म करने के लिए 10 नए बिजलीघर बनाने की योजना बनाई गई थी, जिसके लिए सभी क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया था।
UP Electricity: बिजलीघरों की क्षमता में कमी
सर्वेक्षण में सबसे अधिक बिजली कटौती, ट्रिपिंग और लो-वोल्टेज की समस्या वैशाली सेक्टर-एक, यूपीएसआइडीसी महाराजपुर, सूर्यनगर, खोड़ा, नूरनगर, अटौर, इंदिरापुरम के वैभव खंड और साहिबाबाद साइट-चार औद्योगिक क्षेत्र में पाई गई थी। इसका अर्थ है कि यहां जरूरत के अनुसार बिजलीघरों की क्षमता नहीं थी।
इन क्षेत्रों में ओवरलोड, ट्रिपिंग और कटौती जैसी समस्याएं आम हैं। यहां का लोड कम करने के लिए इस वर्ष बिजलीघरों का निर्माण होना था, लेकिन अधिकारियों को निर्माण के लिए जमीन नहीं मिल रही है। दावा किया गया है कि संबंधित विभागों के साथ मिलकर जमीन की तलाश की जा रही है।
UP Electricity: निर्माण की योजना की विशेषताएँ
आरडीएसएस (रिनोवेशन एंड माडर्नाइजेशन) योजना के तहत मुख्यालय को बिजलीघर बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था। बिजलीघरों की क्षमता 20-20 एमवीए (मेगावाट एंपियर) निर्धारित की गई है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि जमीन मिलने के बाद ही डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार की जाएगी।
UP Electricity: नो ट्रिपिंग जोन में कटौती
शहर को नो ट्रिपिंग जोन में रखा गया है, जिसमें 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का रोस्टर निर्धारित किया गया है। इसके बावजूद चार से छह घंटे तक कटौती की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। फॉल्ट होने पर आपूर्ति सामान्य होने में पूरा दिन लग जाता है, और तमाम शिकायतों के बावजूद कोई समाधान नहीं हो रहा है।
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उपभोक्ताओं और जिम्मेदारों की राय
मनमोहन वालिया, उपभोक्ता: “रोजाना अंधाधुंध बिजली कटौती से जूझना पड़ रहा है। अगर बिजलीघरों का निर्माण हो जाता तो कटौती में राहत मिलती। विद्युत व्यवस्था में सुधार की जरूरत है।”
अनिल भारद्वाज, उपभोक्ता: “आबादी लगातार बढ़ रही है, लेकिन संसाधन पुराने हैं। यही कारण है कि रोजाना की कटौती से जूझना पड़ता है। शिकायत पर अधिकारी समाधान नहीं कर पाते हैं।”
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