Gorakhpur Flood: राप्ती नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी ने स्थानीय लोगों में चिंता पैदा कर दी है। बुधवार शाम चार बजे बर्डघाट पर Rapti Nadi खतरे के निशान से 82 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी, जिसके कारण कैंपियरगंज से लेकर बड़हलगंज तक समस्याएं बढ़ गई हैं। सहजनवां क्षेत्र में आमी नदी भी बाढ़ का कहर बरपा रही है।
Gorakhpur Flood: प्रभावित गांवों की स्थिति
कई गांवों को मैरूंड घोषित किया जा चुका है। राहत की बात यह है कि रोहिन नदी का जलस्तर घटने लगा है। बुधवार को रोहिन नदी के जलस्तर में चार सेंटीमीटर की कमी आई, लेकिन यह अभी भी खतरे के निशान से 87 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। सरयू नदी में जल स्तर घट रहा है, जबकि कुआनो नदी मुखलिसपुर में खतरे के निशान के नीचे बह रही है।
सहजनवां और पाली ब्लाक
सहजनवां ब्लाक में आमी नदी के पानी से गहिरा और चक चोहरा गांव प्रभावित हो चुके हैं। अन्य प्रभावित गांवों में सुथनी, कोडरी कला और तेलियाडीह शामिल हैं। पाली ब्लाक में भी आमी नदी की बाढ़ से भुआ शहीद गांव प्रभावित हुआ है, जबकि पिपरौली में बनौड़ा, रखौना, कटका और जरलही गांव पानी में घिरे हुए हैं।
प्रशासनिक स्थिति
बाढ़ प्रभावित गांवों में राहत सामग्री और स्वास्थ्य टीमों का अभाव है। राप्ती नदी के पानी से कुसम्हा कला और अमसार गांव पूरी तरह घिरे हुए हैं। एसडीएम दीपक गुप्ता ने बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों में नाव लगाने के साथ-साथ फसलों के नुकसान की रिपोर्ट लेखपालों से मांगी गई है।
विद्यालयों पर प्रभाव
आदर्श जनता इंटर कालेज नौसढ़ परिसर में जलभराव के कारण पठन-पाठन दो दिन से बंद है। प्रधानाचार्य उदय प्रकाश यादव ने बताया कि जलाशय का पानी कालेज में आ रहा है, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
कटान की समस्या
पटनाघाट क्षेत्र के बगहा देवार गांव में सरयू नदी की कटान से एक विशाल वट वृक्ष नदी में समाहित हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि कटान इसी तरह जारी रहा, तो उन्हें गांव छोड़ना पड़ेगा। कटान पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि बाढ़ खंड के अधिकारी बचाव कार्य में मनमानी कर रहे हैं।
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मछुआरों की मनमानी
मछुआरों की लापरवाही से राप्ती नदी का पानी खेतों में घुस गया है, जिसके कारण दर्जनों एकड़ फसलें डूब गई हैं। किसान फसल खराब होने की आशंका से परेशान हैं। मछुआरों ने मिरिहिरिया फ्लापर को खोल दिया, जिससे पानी खेतों में भर गया है। सिंचाई विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
बाढ़ के हालात और प्रशासन की लापरवाही के चलते स्थानीय लोगों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। उचित राहत और बचाव कार्य की आवश्यकता है ताकि प्रभावित गांवों के लोगों को जल्द ही सहायता मिल सके।
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