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चंद्रमा के बाद इसरो का “Aditya L1” करेगा सूर्य को नमस्कार, 1.5 लाख किलोमीटर की यात्रा की जाएगी आदित्य एल-1

Aditya L1 Mission: सफल चंद्रयान-3 मिशन के बाद भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) अब सूर्य की ओर छलांग लगा रहा है। सूर्य का अध्ययन करने के लिए ‘Aditya L1‘ अंतरिक्ष यान आज (2 सितंबर) सुबह 11 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। प्रक्षेपण के 127 दिन बाद एल-1 सटीक कक्षा में पहुंच जाएगा। इसरो ने कहा है कि इसके बाद सूर्य के अध्ययन से आकाशगंगा और अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में काफी जानकारी मिल सकती है।

शक्तिशाली वाहक ‘PSLV C57’ अंतरिक्ष यान ‘आदित्य L1’ को अंतरिक्ष में ले जाएगा। Aditya L1 को पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा और सूर्य के प्रभामंडल का दूर से निरीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

ऐसे पांच बिंदु (लैग्रेंजियन बिंदु) हैं जिन पर पृथ्वी और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्तियाँ संतुलित होती हैं। उन बिन्दुओं से सूर्य का अध्ययन करना विशेष एवं महत्वपूर्ण है। बिंदु ‘L1’ का उपयोग ‘Aditya L1‘ अभियान में किया जाएगा. अनेक विस्फोट सूर्य के कारण होते हैं। यह सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित करता है। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि ऐसी विस्फोटक सौर घटनाओं के पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष में विभिन्न परिणाम हो सकते हैं।

2008 में इसरो द्वारा सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक मिशन की घोषणा की गई थी। अब तक नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी जैसे कुछ देशों के अनुसंधान संस्थानों ने अंतरिक्ष में सौर मिशन को अंजाम दिया है।

जानकारी के लिए आपको बता दे, सूर्य के बाहरी भाग, प्रकाशमंडल में तापमान 5500 डिग्री सेल्सियस होता है। तो वही सूर्य के केंद्र का तापमान 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस है। परिणामस्वरूप कोई भी अंतरिक्ष यान सूर्य के निकट नहीं जा सकता।

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