Gyanvapi Case: तस्वीरें और संस्कृत में लिखे शब्द बता रहे हैं ज्ञानवापी का सच

Image Source - Google

ज्ञानवापी मामला: वाराणसी के ग्यारहवें सदी के पुरातात्विक स्थल में हिन्दू मंदिर की पहचान को लेकर एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में आई ग्यारहवें सदी के पुरातात्विक स्थल में हिन्दू मंदिर की पहचान को लेकर एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में आई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के सर्वेक्षण में स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। न्यायालय के आदेश पर, गुरुवार को सभी प्रतिभागियों को 839 पृष्ठों की रिपोर्ट की प्रिंटेड कॉपी पहुंचाई गई। मंदिर पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद इसकी 20 पृष्ठों की फाइंडिंग रिपोर्ट के आधार पर प्रेस वार्ता की।

Image Source - Google

Image Source - Google

ज्ञानवापी की दीवारों पर उकेरी गई हिंदू धर्म से संबंधित तस्वीरें और लिखे गए शब्द स्पष्ट रूप से इस संकेत को दिखा रहे हैं कि यहां पूर्व में एक विशाल मंदिर स्थित था। एएसआइ की सर्वेक्षण रिपोर्ट में इस विवरण का उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, एक बीम पर नागरी लिपि में 'कासी' लिखा हुआ है, जिससे साफ होता है कि यह 17वीं शताब्दी का है। इसमें इसकी तस्वीरें भी शामिल हैं।

Image Source - Google

एक खास स्थान पर संस्कृत में श्रीमच्छा, पा भृगुवास, वद्विजातिश्च, आय अर्जानी, णरायै परोप, जातिभि: धर्मज्ञ: इस लेख से संबंधित हैं। एएसआइ ने इसे 16वीं शताब्दी का विशेष धारित बताया है। इसी तरह, एक लिंटेल बीम पर संस्कृत में 'यो न मा महाचद' लिखा हुआ मिलता है। एक अन्य दीवार पर संस्कृत में 'रुद्राद्या व श्रावना' अंकित हैं।

Image Source - Google

इन सभी शब्दों का संस्कृत में लिखा जाना, ज्ञानवापी के प्राचीन इतिहास को प्रदर्शित कर रहा है। एक दीवार पर चार पंक्तियां गायब हो गई हैं, लेकिन एक शब्द 'ग' स्पष्ट रूप से दिख रहा है। इनकी अन्य पंक्तियों के मिटने की वजह से इनका खंडित होना बताया गया है।

Image Source - Google

इसी रूप में, मुख्य द्वार पर उत्तरी दिशा में तेलुगु में कई शब्दों का उल्लेख है। इन शब्दों का रिपोर्ट में अनुवाद भी दिखाया गया है। महा, (शि). न दीपनु, कुनु, हद.म, मवि (रति), डुहच्च, र आदि का उल्लेख किया गया है। इसी तरह स्याकस्य, लये, कान्होलषुम, देशोकुंकाल, मंड, ल्यांकला, ला आदि शब्दों को भी लिखा गया है।

Image Source - Google

विष्णु शंकर जैन ने बताया कि एएसआई सर्वे के दौरान ज्ञानवापी में कई शिलालेख देखे गए हैं। रिपोर्ट में सर्वेक्षण के दौरान 34 ऐसे शिलालेखों के मिलने की बात कही गई है जो पहले से मौजूद हिंदू मंदिरों के हैं और जिनका मौजूदा ढांचे के निर्माण और मरम्मत के दौरान फिर से उपयोग किया गया है। इनमें देवनागरी, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों के शिलालेख भी शामिल हैं।

Image Source - Google

संरचना में पहले के शिलालेखों के पुनः उपयोग से स्पष्ट होता है कि पूर्व में की गई संरचनाओं को नष्ट कर दिया गया था और उनके अंशों को मौजूदा संरचना के निर्माण में पुनः से उपयोग किया गया। इन शिलालेखों में देवताओं के तीन नाम जैसे जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर पाए जाते हैं। इनमें देवनागरी, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों के शिलालेख भी शामिल हैं।

Stories

More

अडानी को पछाड़ मुकेश अंबानी बने सबसे अमीर भारतीय, साइरस पूनावाला तीसरे स्थान पर

Thanks For Watching www.buzztidings.in