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गदर की कहानी सनी देओल, अमीषा पटेल और उनके बेटे उत्कर्ष शर्मा की है. जो शांति से अपना जीवन जी रहे हैं. लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव है. ऐसे में तारा सिंह यानी सनी देओल को किसी काम से जाना पड़ता है
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फिर कुछ ऐसा होता है कि बेटे जीते यानी उत्कर्ष को भी एक मिशन पर निकलना पड़ता है. लेकिन हालात कुछ ऐसे बन जाते हैं कि सनी देओल को एक बार फिर पाकिस्तानी जनरल से टकराना पड़ता है जो एक पुरानी रंजिश पाले हुए है.
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इस तरह फिल्म कहानी काफी कच्ची लगती है. फिल्म की लेंथ काफी लंबी है और जिन्होंने गदर देखी होगी, वह समझ जाएंगे कि गदर 2 में ऐसे मौके बहुत ही कम हैं, जिन्हें देखकर रोंगटे खड़े हो जाएं
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कुल मिलाकर अनिल शर्मा ने कहानी के मोर्चे पर कुछ भी नया करने की कोशिश नहीं की है. गदर जैसी कल्ट फिल्म के लिए गदर 2 जैसा सीक्वल थोड़ा निराश करता है.
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अनिल शर्मा कहानी और डायरेक्शन दोनों ही मामले में चूक गए हैं. सीन काफी पुराने टाइप के लगते हैं. एक्शन भी बहुत ही औसत दर्जे का है
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एक बार फिर तारा सिंह पाकिस्तान जाता है सबकुछ बहुत ही बनावटी और देखा हुआ सा लगता है. कई सीन तो गले ही नहीं उतरते हैं. इस तरह सनी देओल के फैन्स को ये फिल्म जरूर पसंद आ सकती है, जिन्होंने गदर देखी हुई है, उन्हें जरूर निराशा हो सकती है.
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गदर 2 में अगर कोई एक्टर फुलफॉर्म हैं तो वह सनी देओल हैं. वह तारा सिंह के किरदार को परदे पर उतारने के लिए हर वह काम करते हैं जो कर सकते हैं. 66 साल की उम्र में उनकी फिटनेस वाकई कमाल है.
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लेकिन बाकी सितारे अमीषा पटेल, उत्कर्ष शर्मा और मनीष वाधवा उनका साथ देने में कामयाब नहीं रहते हैं. कुल मिलाकर फिल्म बहुत ही एवरेज साबित होती है. गदर 2 वर्डिक्ट