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देश में बहुत जल्द ही भारतीय मानकों के मुताबिक जूता मिलने लगेगा और आपको यूके-यूएस नंबर के फुटवियर पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। बता दें, अभी तक बाजार में फुटवियर खरीदने के लिए कोई भारतीय मानक साइज़ मौजूद नहीं है। इस परिस्थिति में, अब साल 2025 तक 'भा' कोड लागू कर दिया जाएगा, जो कि भारत का अपना 'आत्मनिर्भर' शू साइजिंग सिस्टम (Indian Shoe Sizing System) होगा।
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काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च द्वारा डेवलप किए गए इस 'Bha' मानक का मतलब 'Bharat' से है। दरअसल, साल 2021 से 2022 के बीच एक सर्वे किया गया था, जिसमें 3D टेक्नोलॉजी की मदद से अलग-अलग जगहों पर रहने वाले एक लाख से ज्यादा भारतीयों के पैरों की माप ली गई थी।
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सर्वे में पाया गया कि एक औसत भारतीय महिला के पैर के आकार में बदलाव 11 साल की उम्र में चरम पर होता है जबकि एक भारतीय पुरुष के पैर के आकार में बदलाव लगभग 15 या 16 साल में होता है। नतीजों से खुलासा हुआ कि मौजूदा साइजिंग सिस्टम और भारतीय फुटवियर साइज की मॉर्फोलॉजी में काफी असमानताएं हैं। पश्चिमी देशों के लोगों की तुलना में भारतीयों के पैर ज्यादा चौड़े होते हैं, ऐसे में उन्हें या तो ढीले या फिर ज्यादा टाइट जूते पहनने पर मजबूर होना पड़ता है, जिसके कारण पैरों से जुड़ी कई समस्याएं भी होती हैं।
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भारत फुटवियर का एक बड़ा बाजार है, जहां हर भारतीय के पास औसतन 1.5 जूते होते हैं। आलम यह है कि ऑनलाइन खरीदारों में से 50 प्रतिशत लोग जूते-चप्पल को सही साइज़ में पाने में सफल नहीं होते और उन्हें इन्हें वापस लौटाना पड़ता है। इस परिस्थिति में, अब नए 'Bha' सिस्टम के तहत कंपनियों को 10 की बजाय 8 साइज में ही फुटवियर बनाने होंगे, जो कि भारतीय मानक पर आधारित होंगे और फिट और आरामदायक होने के कारण इससे लोगों को पैरों से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा भी मिलेगा। अब आइए आपको बताते हैं कि इस नई व्यवस्था में किन साइज़ का प्रस्ताव दिया गया है।
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