Categories
दिल्ली एनसीआर

Monika Yadav Case: दो साल बाद कांस्टेबल मोनिका हत्याकांड की सुलझी गुत्थी, कैसे सबको चकमा देता रहा आरोपी

Monika Yadav Case, दिल्ली: क्राइम ब्रांच द्वारा दिल्ली में पूर्व महिला कांस्टेबल की हत्या का दो साल बाद खुलासा हो गया. उन्होंने बताया यह हत्या एक तरफा प्यार हुई थी। इस हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस ने अपने ही एक हेड कांस्टेबल समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. मोनिका यादव (Monika Yadav) करीब दो साल से लापता थी. फर्जी दस्तावेजों और फर्जी ऑडियो क्लिप से घटना का खुलासा हुआ।

दो साल पहले हुई दिल्ली में महिला कांस्टेबल मोनिका यादव की हत्या (Monika Yadav Case) की गुत्थी सुलझी गयी है। जाँच से पता चलता है की मोनिका की हत्या गक्ला घोटकर की गयी थी। इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपी को गुरफ्तार किया है जिसमे सुरेंद्र सिंह राणा (42), सुरेंद्र का साला रवीन (26), और एक दोस्त शामिल थे। मोनिका की लाश को उत्तरी दिल्ली बुराड़ी पुस्ता के नाले में फेंक दिया गया था। जहाँ से पुलिस को कंकाल मिला और उसे DNA चेकिंग के लिए आगे भेजा गया। यह हत्या एक तरफ़ा प्यार के चलते सुरेंद्र द्वारा की गयी थी। जिस दौरान सुरेंद्र ने अगले दो सालो तक झूठा षड्यंत्र रचा और मोनिका यादव (Monika Yadav) के परिवार को गुमराह करता रहा। आगे पढ़िए, दिल दहला देने वाली सीरियल किलर मर्डर मिस्ट्री।

हत्या की गई महिला की पहचान कांस्टेबल मोनिका यादव (उम्र 28) के रूप में हुई है। आरोपी का नाम हेड कांस्टेबल सुरेंद्र सिंह राणा (उम्र 42) है। आरोपी मोना से प्यार करता था। और शादी करना चाहता था। उसने मोनिका से अपने प्यार का इजहार किया. लेकिन मोनिका यादव (Monika Yadav) ने इनकार कर दिया और जिसके चलते राणा ने उसे मार डाला। राणा ने बड़ी चालाकी से पुलिस और महिला कांस्टेबल के परिवार को दो साल तक गुमराह किया और बताया कि वह भाग गई है। इसके लिए उन्होंने एक मास्टर प्लान बनाया. दो साल के भीतर उन्होंने मोना के परिवार को आश्वस्त कर दिया कि वह जिन्दा है और भाग गई है। इस दौरान उन्होंने उसकी आवाज़ की रिकॉर्डिंग का उपयोग करके उसके परिवार से उसकी बात भी कराई।

मोनिका सुरेंद्र को पिता की तरह मानती थी

दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल सुरेंद्र सिंह राणा का परिचय मोना से हुआ। मोना सुरेंद्र को दादा कहती थी. लेकिन, सुरेंद्र की उस पर बुरी नजर थी. वह मोना से प्यार करता था. उन्होंने मोना से अपने प्यार का इजहार किया. हालाँकि, जब उसने इनकार कर दिया, तो सुरेंद्र ने गुस्से में उसका गला घोंट दिया। सुरेंद्र के साले रविन (उम्र 26 वर्ष) और राजपाल (उम्र 33 वर्ष) ने मोना के शव को छिपाने में सुरेंद्र की मदद की।

मोनिका यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर बन गईं

मृतक मोना आरोपी सुरेंद्र राणा के दो साल बाद 2014 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुई थी। दोनों दिल्ली पुलिस के कंट्रोल रूम में तैनात थे. इसी बीच मोना को यूपी पुलिस में सब-इंस्पेक्टर की नौकरी मिल जाती है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़ दी और दिल्ली के मुखर्जी नगर में रहने लगीं, जहां वह यूपीएससी (UPSC) की तैयारी कर रही थीं।

पुलिस के मुताबिक, नौकरी छोड़ने के बाद भी सुरेंद्र की मोना पर बुरी नजर थी. ये बात जैसे ही मोना को समझ आई तो उसने विरोध किया. 8 सितंबर 2021 को दोनों के बीच बहस हुई. इसके बाद सुरेंद्र ने मोना को मिलने के लिए बुलाया. वह उसे बुराड़ी पुस्ता पर ले गया और जहाँ उसने मोनिका की गला घोंटकर हत्या कर दी। जिसके बाद मोनिका के शव को नाले में फेंक दिया. उसने इसे पत्थरों से भी ढक दिया ताकि कोई इसे देख न सके।

मोनिका यादव के परिवार को करता रहा गुमराह

मोनिका यादव (Monika Yadav) को मारने के बाद सुरेंद्र ने प्लान बनाया। वह मोना के परिवार को फोन करता है और उन्हें बताता है कि वह किसी के साथ भाग गयी है। वह मोना के परिवार के संपर्क में रहाऔर उसे ढूंढने का नाटक करता है। सुरेंद्र (आरोपी) कई बार मोना के परिवार के साथ थाने भी गया। परिवार को यह विश्वास दिलाने के लिए कि मोना जीवित है। इसी बीच कोरोना काल के वक़्त सुरेंद्र एक महिला को कोरोना का टीका लगवाता है और मोनिका के नाम का सर्टिफिकेट बनवा लेता है।

यह भी पढ़ें: कैसे एक IRS अधिकारी बन गया कैंसर पीड़ित पत्नी का हत्यारा? जानिए दिल्ली में महिला वकील की हत्या वाले दिन क्या हुआ?

उसने सर्टिफिकेट का उपयोग यह दिखाने के लिए किया कि मोनिका जिन्दा है। साथ ही उसके के बैंक अकाउंट का भी इस्तेमाल करता रहा और हेलमेट लगाकर ATM से पैसे निकलता रहा। और मोनिका के परिवार को गुमराह करने के लिए पुराणी रिकॉर्डिंग सुनाता रहा। मोनिका यादव (Monika Yadav) को ढूंढने का बहाना बनाने के लिए उसके परिवार के साथ पांच अलग अलग राज्यों की यात्राएं भी की। इतना ही नहीं, सुरेंद्र ने इस साजिश में अपने साले रवीन को भी शामिल कर रखा था. उसने खुद को मोना का बॉयफ्रेंड अरविंद बताकर मोनिका के परिवार से संपर्क किया.

साले से मोना का प्रेमी बनकर बात कराई

एक बार फोन पर बातचीत के दौरान ‘अरविंद’ बने रवीन ने मोना के परिवार को बताया कि वे दोनों गुड़गांव में हैं और शादीशुदा हैं। उन्होंने कहा कि उनके परिवार वालों से उनकी जान को खतरा है. इसलिए हम भाग गये हैं. फिलहाल हम पंजाब जा रहे हैं और रोहतक पहुंच गए हैं.’ हम 10 से 15 दिन में घर आ जायेंगे. जब मोना के परिवार ने कहा कि वे उससे बात करना चाहते हैं, तो उसने डरने का नाटक किया और वह बात करने के मूड में नहीं है।

मोनिका के कागजात जानबूझ कर होटल छोड़े

दिल्ली क्राइम ब्रांच के विशेष पुलिस अधिकारी रवींद्र यादव ने कहा, “पुलिस और पीड़ित परिवार को धोखा देने के लिए, रवीन कॉल गर्ल्स के साथ हरियाणा, देहरादून, ऋषिकेश और मसूरी के होटलों में रुका। रवीन मोनिका यादव (Monika Yadav) के फ़र्ज़ी डाक्यूमेंट्स का इस्तेमाल करता था। उन डाक्यूमेंट्स को होटलों में देता था। ताकि जब पुलिस होटल जाए तो वह दस्तावेज देखकर मोनिका को जिंदा समझे। और जिससे पुलिस को लगे की मोनिका अपने परिजनों से मिला चाहती।

सच का कैसे हुआ खुलासा

मामला जब दिल्ली पुलिस से नहीं सम्भला तो वह सके क्राइम ब्रांच को हैंडओवर करदिया गया जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने मामले के जाँच शुरू से की। सबसे पहले अधिकारियों ने उस मोबाइल नंबर का पता लगाया, जिसका इस्तेमाल रवीन ‘अरविंद’ के रूप में मोना के परिवार से बात करने में करता था। जांच करने पर पता चला कि यह नंबर किसी राजपाल का है. जिसने यह नंबर रवीन को बेचा था। जिसके बाद पुलिस ने रवीन को धार दबोचा और उसने सुरेंद्र राणा का नाम लिया जिसके बाद पुलिस ने सुरेंद्र को हिरासत में लिया और सुरेंद्र ने सब उगल दिया।

मोनिका एक बुद्धिमान लड़की थी जो उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर में रहती थी। वह अपनी क्लास की टॉपर थी. उसके पास बी.एड. डिग्री भी थी है। साथ ही वह आईपीएस बनना चाहती थीं। वहीं, सुरेंद्र राणा पहले से शादीशुदा थे और उनका 12 साल का बेटा भी है. हालाँकि, मोनिका सुरेंद्र को अपने पिता समान मानती थी। लेकिन प्यार के इज़हार के इंकार होने से नाराज सुरेंद्र ने मोनिका की हत्या कर दी और उसके शव को एक नाले के फेंक दिया।

Exit mobile version