Bad Newz Review: फ्रेंचाइजी को आगे बढ़ाने का दौर चल रहा है और इसी दौड़ में शामिल है, 2019 में रिलीज हुई फिल्म ‘गुड न्यूज’ की फ्रेंचाइजी फिल्म ‘Bad Newz’। ‘गुड न्यूज’ में अक्षय कुमार, करीना कपूर, दिलजीत दोसांझ और कियारा आडवाणी ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। वहीं, ‘बैड न्यूज’ में विक्की कौशल, तृप्ति डिमरी और एमी विर्क पर फिल्म की जिम्मेदारी है।
Bad Newz Review: फिल्म की कहानी क्या है?
कहानी दिल्ली की है, जहां सलोनी बग्गा (तृप्ति डिमरी) की बायोपिक में काम करने के लिए अनन्या पांडे बेहद उत्सुक हैं। बायोपिक इसलिए बन रही है क्योंकि सलोनी उन करोड़ों में से एक हैं, जो गर्भवती हो जाती हैं, लेकिन उनके गर्भ में पल रहे जुड़वां बच्चों के दो पिता हैं।
इस स्थिति को मेडिकल टर्म में हेट्रोपैटरनल सुपरफेकंडेशन (Heteropaternal Superfecundation) कहा जाता है। बच्चे का एक पिता सलोनी का एक्स हसबैंड अखिल चड्ढा (विक्की कौशल) है और दूसरा गुरबीर पन्नू (एमी विर्क), जिसके होटल में सलोनी हेड शेफ है और मेराकी स्टार शेफ (शेफ का सबसे बड़ा अवार्ड माना जाता है) बनने की ख्वाहिश रखती है। इसी ख्वाहिश के पूरा ना होने के कारण उसने अखिल से तलाक लिया है। अब वह उन दोनों में से उसे जीवनसाथी बनाना चाहती है जो उसके दोनों बच्चों का ख्याल रखने के काबिल हो।
कितनी गुड, कितनी बैड है फिल्म?
फिल्म में एक डायलॉग है कि हाथ चलाकर लड़ाई जीती जाती है और दिमाग चलाकर दिल जीते जाते हैं। अगर आप चाहते हैं कि फिल्म दिल जीत ले तो देखते वक्त दिमाग का प्रयोग बिल्कुल ना करें, क्योंकि फिर सारी कमियां नजर आने लगेंगी।
‘बंदिश बैंडिट्स’ और ‘लव पर स्क्वायर फुट’ जैसी शानदार वेब सीरीज का निर्देशन कर चुके आनंद तिवारी की बतौर अभिनेता कॉमिक टाइमिंग कमाल है। बतौर निर्देशक भी उन्होंने अपना वह अनुभव इस अनोखे कॉन्सेप्ट के साथ फिल्म में डालने का प्रयास किया है, लेकिन कई जगह वह कॉमेडी बिल्कुल सपाट चली जाती है, खासकर इंटरवल के बाद।
इंटरवल से पहले वन-लाइनर्स और जिन सिचुएशंस पर फिल्म हंसाती है, इशिता मोइत्रा और तरुण डुडेजा की लिखी कहानी उसके बाद उतनी ही ऊबाऊ हो जाती है। ना जोक्स पर हंसी आती है, ना सिचुएशन पर। हेट्रोपैटरनल सुपरफेकंडेशन के बारे में कॉमिक अंदाज में ही सही, लेकिन गहराई से बात करने की जरूरत थी। कई सीन्स में विरोधाभास भी है, जैसे सलोनी के साथ बदतमीजी से बात करने वाले को वह चपेट लगा देती है, लेकिन जब पता चलता है कि उसकी पूर्व पत्नी ने उसके अलावा किसी और के साथ भी शारीरिक संबंध बनाया है, उस पर उसे गुस्सा नहीं आता, वह भावुक हो जाता है।
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डॉक्टर का डिलीवरी के सातवें-आठवें महीने में यह कहना कि गर्भ में पल रहे एक बच्चे का विकास सही से नहीं हुआ है, जबकि दूसरा स्वस्थ है, अखरता है, क्योंकि तकनीकी तौर पर मेडिकल के क्षेत्र में इतना विकास तो हुआ है कि शुरुआती कुछ महीनों में पता चल जाता है कि बच्चे का विकास कैसा हो रहा है।
कॉमेडी के लिए बीच में अखिल के मामा को डिटेक्टिव बनाकर लाना का पूरा प्रसंग गैरजरूरी लगता है। सलोनी को इम्प्रेस करने और बेहतर पिता का टैग लेने के लिए गुरबीर और अखिल के प्रयासों में कोई नयापन नहीं है, हालांकि दोनों एक-दूसरे को पछाड़ने के लिए जब आमने-सामने आते हैं तो हंसी की सिचुएशन बनती है।
करण जौहर का टच फिल्म में गानों के जरिए दिखता है। पुराने गानों को कॉमिक सीन्स में फिट करने का आइडिया काम करता है। फिल्म की जान है अमर मोहिले का बैकग्राउंड स्कोर, जिसके कारण ही कॉमेडी में वजन आता है।
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