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बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए मनमोहन सरकार MNREGA योजना लेकर आई थी, जिस के तहत साल भर में 100 दिनों का रोजगार और हर दिन 100 रुपये न्यूनतम मजदूरी तय की गई. इसकी शुरुआत 2006 हुई और 1 अप्रैल 2008 तक इसे पुरे भारत में लागु कर दिया गया।
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देश में भुखमरी आज भी बड़ी चुनौती है, यूपीए सरकार में 10 सितम्बर 2013 को इससे निपटने के लिए खाद्य सुरक्षा कानून लागू किया. जिसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 75 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 50 फीसदी आबादी को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा गया। जिसका आज भी लोगों को फायदा मिल रहा है
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1 जनवरी 2013 को सब्सिडी को गलत हाथों में जाने से बचाने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम (DBT) की शुरुआत की थी. इसका मुख्य लक्ष्य बढ़ाते हुए सब्सिडी वितरण में होने वाली धांधलियों को रोकना था। इस योजना के तहत सरकार विभिन्न प्रकार की सब्सिडी, पेंशन, लोन और अन्य वित्तीय लाभ को लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर करती है।
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1991 में वित्त मंत्री के रूप में डॉ. सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को उदार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिसमे लाइसेंस राज प्रणाली को खत्म करना और प्रमुख क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोलना शामिल था। जिससे भारत की आर्थिक वृद्धि और वैश्वीकरण को गति मिले।
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डॉ. मनमोहन सिंह की विदेश नीति पहल भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता थी, जिसे अक्सर 123 समझौते के रूप में जाना जाता है। यह ऐतिहासिक समझौता 2005 में हुआ था इस दौरान मनमोहन सिंह और जॉर्ज वी बुश ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
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भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता