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ज्ञानवापी परिसर के व्यासजी के ठहराने में पूजा करने का अधिकार कोर्ट द्वारा स्वीकृत किया गया है। कोर्ट ने जिला अधिकारी को एक सप्ताह के भीतर इस आदेश का पालन करने का आदेश दिया है।
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ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की बड़ी जीत हुई है। 31 साल बाद अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यासजी के ठहराने में पूजा करने की अनुमति दे दी है। व्यासजी का ठहराना वर्ष 1993 से बंद था।
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नंदी के मुख के सामने स्थित ज्ञानवापी में, वर्ष 1551 से व्यास पीठ स्थापित रहा। इस व्यास पीठ से मां शृंगार गौरी की पूजा, भोग, और आरती की जाती रही। वर्ष 1993 में, राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने मौखिक आदेश के माध्यम से पूजा-पाठ और परंपराओं को बंद करा दिया था।
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ज्ञानवापी परिसर के चारों ओर लोहे की बैरिकेडिंग भी की गई थी। दिसंबर 1993 में, तत्कालीन जिलाधिकारी ने व्यास पीठ के पूर्व पुजारी पंडित सोमनाथ व्यास के प्रवेश पर पूजा-पाठ पर प्रतिबंध लगाया। तहखाने में भी ताला लगा दिया गया था।
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1996 में दायर आदिविश्वेश्वर बनाम राज्य सरकार के वकील आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में तहखाने के एक ताले की दो चाबियों का उल्लेख किया था। तत्कालीन जिलाधिकारी ने ताला खोलने से मना करने के बाद, व्यास पीठ के पंडित सोमनाथ व्यास ने एक चाबी का उपयोग करके ताला खोला था। इसके बाद, ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे के दौरान नंदी जी के सामने स्थित इस तहखाने का दरवाजा खुला हो गया था।
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