सनातन धर्म में सभी एकादशियों में से Nirjala Ekadashi व्रत को सबसे कठिन माना जाता है। इस व्रत में अन्न के साथ-साथ जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है। यह एकादशी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह व्रत 18 जून को रखा जाएगा। इस विशेष अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही, सभी पापों को दूर करने के लिए व्रत भी किया जाता है।
Nirjala Ekadashi पर क्या करें?
- ब्रह्मचर्य का पालन: निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए।
- मंत्र जप: भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जप करें।
- व्रत रखना: एकादशी का व्रत रखना शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के लिए उपवास जरूर रखें।
- दान-पुण्य: व्रत का पारण करने के बाद श्रद्धानुसार गरीब लोगों में अन्न, धन, भोजन और वस्त्र का दान करें।
- तुलसी पूजा: तुलसी में जल अर्पित करें और परिक्रमा लगाएं।
- भजन-कीर्तन: इस दिन भजन-कीर्तन करना चाहिए।
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Nirjala Ekadashi पर क्या न करें?
- चावल का सेवन: निर्जला एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चावल खाने से व्यक्ति को अगला जन्म रेंगने वाले जीव की श्रेणी में मिलता है।
- अन्य वर्जित खाद्य पदार्थ: मांस, प्याज और लहसुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इनसे मन में नकारात्मक विचार आते हैं।
- नाखून और बाल कटवाना: एकादशी के दिन नाखून या बाल नहीं कटवाने चाहिए, इन कार्यों को करने से जीवन में समस्याएं आ सकती हैं।
- दिन में सोना: निर्जला एकादशी के दिन सुबह की पूजा-अर्चना करने के बाद दिन में नहीं सोना चाहिए।
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