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आस्था का केंद्र और धन का भंडार! Tirumala Tirupati Temple से सरकार को कितना फायदा होता है? आंकड़े जानकर आप हैरान रह जाएंगे!

Tirumala Tirupati Temple देवस्थानम, दुनिया का सबसे धनी मंदिर, इन दिनों लड्डू प्रसाद को लेकर विवाद में घिर गया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू में मिलावट की गई थी। नायडू का यह आरोप राजनीतिक गलियारों में हलचल का कारण बना हुआ है और भक्तों में भी चिंता पैदा कर रहा है।

आंध्र प्रदेश का प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर इन दिनों लड्डू प्रसाद को लेकर सुर्खियों में है। राज्य की मौजूदा सरकार ने पिछली सरकार पर मंदिर के प्रसाद में मिलावट का गंभीर आरोप लगाया है। दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में शुमार तिरुपति बालाजी मंदिर को भक्तों का अपार समर्थन मिलता है। सोने की बढ़ती कीमतों के बावजूद, पिछले साल (2023) में भक्तों ने मंदिर को 1,031 किलो सोना चढ़ाया था, जिसकी कीमत करीब 773 करोड़ रुपये है। मंदिर के पास कुल 11,329 किलो सोना है, जिसकी कीमत लगभग 8,496 करोड़ रुपये आंकी गई है। इतनी बड़ी संपत्ति होने के बावजूद, मंदिर से सरकार को क्या लाभ होता है, यह एक महत्वपूर्ण सवाल है।

Tirumala Tirupati Temple देवस्थानम ने अपने विशाल सोने के भंडार का अधिकतम लाभ उठाने के लिए गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम का सहारा लिया है। मंदिर में आने वाले भक्तों द्वारा चढ़ाए गए सोने को विभिन्न बैंकों में जमा किया गया है। इसके अलावा, भक्तों द्वारा चढ़ाए गए नकद धन को भी बैंकों में एफडी के रूप में जमा किया जाता है। वर्तमान में, ट्रस्ट के पास 13,287 करोड़ रुपये की एफडी है जो सालाना 1,600 करोड़ रुपये का ब्याज देती है। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2024 तक ट्रस्ट के पास 18,817 करोड़ रुपये का नकद बैलेंस है। यह राशि पिछले कई वर्षों में सबसे अधिक है। ट्रस्ट ने इस साल 1,161 करोड़ रुपये की नई एफडी कराई है जो पिछले 12 वर्षों में सबसे अधिक है।


5,000 करोड़ से अधिक का बजट

पिछले बारह सालों के आंकड़े बताते हैं कि ट्रस्ट द्वारा की गई एफडी की रकम आम तौर पर 500 करोड़ रुपये से अधिक रही है। सिर्फ तीन साल ऐसे रहे जब यह रकम इस सीमा से कम रही। हालाँकि, साल 2021 और 2022 में कोरोना महामारी के कारण मंदिर की आय प्रभावित हुई थी। इसके बावजूद, ट्रस्ट ने 2024-25 के लिए 5,141.74 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है, जो कि ट्रस्ट का अब तक का सबसे बड़ा बजट है। यह वृद्धि मुख्य रूप से प्रसादम की बिक्री (600 करोड़ रुपये), दर्शन टिकट (338 करोड़ रुपये) और कर्मचारियों को दिए गए ऋण एवं अग्रिम (246.39 करोड़ रुपये) से होने वाली आय के कारण है

ट्रस्ट को आगामी वर्ष में विभिन्न स्रोतों से कुल 3,364.75 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान है। इन स्रोतों में अन्य पूंजी प्राप्तियाँ (129 करोड़), अर्जित सेवा टिकट (150 करोड़), कल्याणकत्ता रिसीट (151.5 करोड़), कल्याण मंडपम रिसीट (147 करोड़), ट्रस्ट रिसीट (85 करोड़), किराया, बिजली आदि (60 करोड़), टोल फी कलेक्शन (74.5 करोड़), प्रकाशन रिसीट (35.25 करोड़) और चढ़ावे (1,611 करोड़) शामिल हैं।


सरकार को कितना फायदा

बजट के अनुसार, ट्रस्ट विभिन्न परियोजनाओं और गतिविधियों पर कुल 5.543 अरब रुपये खर्च करेगा। इनमें से सबसे बड़ा खर्च एचआर पेमेंट्स पर होगा, जिसके लिए 1,733 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह राशि पूरे साल के हुंडी कलेक्शन से 122 करोड़ रुपये अधिक है। इसके अलावा, ट्रस्ट 751 करोड़ रुपये मटीरियल्स की खरीद पर, 750 करोड़ रुपये कॉर्पस और अन्य निवेश पर, 350 करोड़ रुपये इंजीनियरिंग वर्क्स पर, 53 करोड़ रुपये श्रीनिवास सेतु पर, 60 करोड़ रुपये एसवीआईएमएस हॉस्पिटल में इंजीनियरिंग के काम पर, 80 करोड़ रुपये एसवीआईएमएस हॉस्पिटल को अनुदान के रूप में, 190 करोड़ रुपये इंजीनियरिंग मेंटनेंस पर और 80 करोड़ रुपये फैसिलिटी मैनेजमेंट सर्विसेज पर खर्च करेगा।

टीटीडी ने अपने बजट में विभिन्न मदों के लिए 552.13 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इसमें 113.5 करोड़ रुपये विभिन्न संस्थानों को अनुदान, 108.5 करोड़ रुपये हिंदू धर्म प्रचार परिषद को, 166.63 करोड़ रुपये लोन और एडवांस, 100 करोड़ रुपये पेंशन और ईएचएस फंड, 62 करोड़ रुपये बिजली खर्च, 10 करोड़ रुपये प्रकाशन और विज्ञापन, और 50 करोड़ रुपये राज्य सरकार को अनुदान शामिल है। राज्य सरकार को दिया जाने वाला अनुदान ट्रस्ट के कुल बजट का लगभग एक प्रतिशत है।

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