Kota Factory 3 Trailer: नये ज्ञान और जुनून के साथ ‘जीतू भैया’ ने किया बवाल

Kota Factory 3 Trailer: देश में जेईई (JEE) और नीट (NEET) की तैयारी सबसे मुश्किल मानी जाती है। लाखों बच्चे कोटा (राजस्थान में स्थित) जाकर जेईई और नीट की तैयारियां करते हैं। IIT में जाने के लिए बच्चे दिन-रात पढ़ाई करते हैं, जिनमें से कुछ पास होते हैं और कुछ फेल। 'कोटा फैक्ट्री' (Kota Factory) आईआईटी जाने की तैयारी कर रहे छात्रों पर आधारित एक वेब सीरीज है।

Kota Factory 3 Trailer: देश में जेईई (JEE) और नीट (NEET) की तैयारी सबसे मुश्किल मानी जाती है। लाखों बच्चे कोटा (राजस्थान में स्थित) जाकर जेईई और नीट की तैयारियां करते हैं। IIT में जाने के लिए बच्चे दिन-रात पढ़ाई करते हैं, जिनमें से कुछ पास होते हैं और कुछ फेल। ‘कोटा फैक्ट्री’ (Kota Factory) आईआईटी जाने की तैयारी कर रहे छात्रों पर आधारित एक वेब सीरीज है।

साल 2019 में आया ‘Kota Factory’ का पहला सीजन जबरदस्त हिट हुआ था। दर्शकों ने खुद को इस सीरीज से बहुत रिलेट किया था। इसके बाद दूसरा सीजन भी काफी सफल रहा। अब तीसरे सीजन को लेकर जबरदस्त क्रेज बना हुआ है। कुछ दिन पहले ‘कोटा फैक्ट्री 3’ (Kota Factory 3) की रिलीज डेट का एलान किया गया था और अब इसका ट्रेलर भी आउट हो गया है।

Kota Factory 3 Trailer आउट

‘Kota Factory’ के तीसरे सीजन में जीतू भैया (जीतेंद्र कुमार) सिर्फ जेईई की सिलेक्शन को ही नहीं, बल्कि तैयारी को भी सेलिब्रेट करेंगे। “तैयारी ही जीत है…” से शुरू होने वाला ट्रेलर लोगों के मन में जोश भरने के लिए काफी है। जीतू कोटा के बेस्ट टीचर हैं, जो स्टूडेंट्स के बीच ‘जीतू भैया’ के नाम से मशहूर हैं।

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जीतू सर नहीं संभाल पाएंगे जिम्मेदारी

जब उनसे पूछा जाता है, “जीतू भैया क्यों? जीतू सर क्यों नहीं?” तब जीतेंद्र कोटा में आने वाले छात्रों की मानसिक स्थिति के बारे में बताते हैं। वह कहते हैं कि ये बच्चे सिर्फ जेईई अभ्यर्थी नहीं हैं, बल्कि 15-16 साल के नाजुक उम्र के बच्चे हैं। उनमें दुनियाभर की असुरक्षाएं हैं। अगर टीचर डांट दे तो बुरा मान जाते हैं, दोस्त ने कुछ कहा तो वह भी उन्हें बुरा लग जाता है। ये बच्चे हर चीज को बहुत गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने कहा कि इनकी जिम्मेदारी लेना बहुत बड़ी बात है, जो ‘जीतू सर’ नहीं संभाल पाएंगे, इसलिए ‘जीतू भैया’ बनकर रहना ही सही है।

फिलॉसफी पर अटके जीतू भैया

टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन को लेकर स्टूडेंट्स के बीच गुस्सा, DPP (डेली प्रैक्टिस प्रॉब्लम) न करने की समस्या, टेस्ट सीरीज की टेंशन, रैंक का प्रेशर… बच्चों को तराशने वाला कोटा अब एक फैक्ट्री बन गया है। हर फैक्ट्री में रेस लगी है और हर किसी को रैंक से मतलब है, लेकिन यह जीतू भैया की फिलॉसफी नहीं है। उन्हें छात्रों की परवाह है, ना कि रैंक की। आखिर में एक लाइन है, “सपना नहीं, लक्ष्य बोलो। सपना देखा जाता है और लक्ष्य हासिल किया जाता है।” सीरीज 20 जून को नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी।

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