Chandrayaan 3: Pragyan Rover ने चांद पर फिर किया कमाल

भारत का Chandrayaan 3 मिशन, सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद भी नए-नए चमत्कार कर रहा है। इस मिशन के प्रज्ञान रोवर ने चांद पर एक नई खोज की है, जो विज्ञान की दुनिया में काफी खास मानी जा रही है। दरअसल, रोवर ने अपने लैंडिंग स्टेशन के पास चांद पर 160 किलोमीटर चौड़ा एक गड्ढा खोजा है, जो महत्वपूर्ण वैज्ञानिक जानकारी प्रदान कर सकता है।

भारत का Chandrayaan 3 मिशन, सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद भी नए-नए चमत्कार कर रहा है। इस मिशन के Pragyan Rover ने चांद पर एक नई खोज की है, जो विज्ञान की दुनिया में काफी खास मानी जा रही है। दरअसल, रोवर ने अपने लैंडिंग स्टेशन के पास चांद पर 160 किलोमीटर चौड़ा एक गड्ढा खोजा है, जो महत्वपूर्ण वैज्ञानिक जानकारी प्रदान कर सकता है।

Chandrayaan 3: चांद पर नई खोज: 160 किलोमीटर चौड़ा गड्ढा

Pragyan Rover द्वारा चांद की सतह पर की गई इस नई खोज को अहमदाबाद की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने साइंस डायरेक्ट के नवीनतम अंक में प्रकाशित किया है। चंद्रमा पर रोवर द्वारा भेजे गए डेटा के आधार पर यह गड्ढा खोजा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रज्ञान रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में लगातार सतह की खोज कर रहा है और इस दौरान यह महत्वपूर्ण खोज सामने आई है।

यह खोज क्यों है खास?

Pragyan Rover के डेटा ने चांद पर एक नई साइट की पहचान की है। जब रोवर ऐटकेन बेसिन से लगभग 350 किलोमीटर दूर एक ऊंचाई वाले क्षेत्र से गुजरा, तब उसे चांद पर यह विशाल और पुराना प्रभाव गड्ढा मिला। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस गड्ढे पर धूल और चट्टानों की परत चांद के शुरुआती भूवैज्ञानिक विकास को समझने में मदद करेगी। यही कारण है कि यह खोज बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास पर पड़ेगा असर

प्रज्ञान रोवर ने अपने ऑप्टिकल कैमरों से इस प्राचीन गड्ढे की हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें ली हैं। इन तस्वीरों से इस गड्ढे की संरचना और इसके निर्माण के बारे में अहम जानकारी मिल सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस गड्ढे की उम्र और संरचना से चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण संकेत मिलेंगे।

यह भी पढ़े: THOMSON के नए साउंडबार: सस्ते में घर पर DJ पार्टी का मज़ा, RGB लाइट्स के साथ

चांद पर पिछले प्रभावों की जानकारी

यह गड्ढा चांद पर हुए पिछले कई प्रभावों की एकत्रित सामग्री को समेटे हुए है। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि यह गड्ढा ऐटकेन बेसिन के निर्माण से पहले बना था। इसकी उम्र के कारण यह गड्ढा बाद के प्रभावों से बने मलबे के नीचे दब गया है और समय के साथ इसका क्षरण हो गया है।

यह खोज चंद्रमा की सतह पर सबसे पुरानी भूवैज्ञानिक संरचनाओं में से एक मानी जा रही है और इससे चांद के भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।

For Tech & Business Updates Click Here