Friday, October 4, 2024
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आज मनाई जाएगी अनंत चतुर्दशी और विश्वकर्मा जयंती: जानें महत्व और पूजा विधि

आज मनाई जाएगी अनंत चतुर्दशी और विश्वकर्मा जयंती: जानें महत्व और पूजा विधि और अधिक जांनकारी के लिए इसे पढ़े

आज अनंत चतुर्दशी का पावन पर्व है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। भक्तजन बिना नमक खाए व्रत रखते हैं और 14 गाठों वाला अनंत सूत्र धारण करते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, आज विश्वकर्मा जयंती भी मनाई जा रही है। इस दिन सभी कारीगर अपने औजारों की पूजा करते हैं और भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद लेते हैं।

आज, मंगलवार को, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर अनंत चतुर्दशी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। भक्तजन बिना नमक खाए व्रत रखते हैं और 14 गाठों वाला पीले-नारंगी रंग का अनंत सूत्र धारण करते हैं। मान्यता है कि ये 14 गाठें ब्रह्मांड के 14 लोकों का प्रतिनिधित्व करती हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

सभी समस्याएं होंगी दूर

ज्योतिषाचार्य एस.एस. नागापाल के अनुसार, चतुर्दशी तिथि सोमवार दोपहर 3:10 बजे से शुरू होकर मंगलवार सुबह 11:44 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, अनंत चतुर्दशी का व्रत मंगलवार को रखा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन की सभी समस्याओं का निवारण होता है। अनंत सूत्र धारण करने और कथा सुनने से भक्तों को मन की शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

14 लोक की रचना की

शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों – तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य और मह – की रचना की थी। इन सभी लोकों की रक्षा और पालन के लिए भगवान विष्णु स्वयं चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, इसीलिए उन्हें अनंत कहा जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के इन अनंत रूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से सभी पापों का नाश होता है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।


आदि शिल्पी विश्वकर्मा देव की जयंती आज

आज, मंगलवार को, देव शिल्पी विश्वकर्मा की जयंती मनाई जा रही है। एक अनूठी बात यह है कि विश्वकर्मा जयंति की तिथि अन्य त्योहारों की तरह निश्चित नहीं होती। यह हर साल 17 सितंबर को ही मनाई जाती है, भाद्रपद मास में सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश करने के बाद। विश्वकर्मा जी को आदि शिल्पी माना जाता है। मान्यता है कि उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की द्वारिकापुरी, भगवान जगन्नाथ का मंदिर और कई अन्य पौराणिक स्थलों का निर्माण किया था।

वास्तु के पुत्र हैं विश्वकर्मा

अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष केंद्र के आचार्य एसएस नागपाल के अनुसार, सूर्य ने सोमवार शाम 7:53 पर कन्या राशि में प्रवेश कर लिया है। इस अवसर पर विश्वकर्मा जयंती मनाई जा रही है। इस दिन सभी कारीगर, जैसे कि राज मिस्त्री, मोटर मैकेनिक, और फेब्रीकेटर, अपने औजारों की पूजा करते हुए भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद लेते हैं। कारखाने भी बंद रहते हैं। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, विश्वकर्मा जी ब्रह्मा जी के पुत्र धर्म की सातवीं संतान वास्तु के पुत्र थे

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