Friday, October 18, 2024
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Monsoon 2024: मानसून को समझने में कहां चूक रहा IMD

Monsoon 2024: संसाधनों की कमी कहें या आंकलन में खामी या फिर प्रकृति की माया… मौसम विभाग Monsoon से पार नहीं पा रहा है। इस सीजन के लिए जारी पूर्वानुमानों में वह जब-तब गच्चा खा रहा है। अलर्ट भी अक्सर बदलने पड़ते हैं। आलम यह है कि हाल फिलहाल यह विभाग जनता के सवालों एवं अविश्वास दोनों के ही कठघरे में खड़ा हुआ है।

Monsoon 2024: संसाधनों की कमी कहें या आंकलन में खामी या फिर प्रकृति की माया… मौसम विभाग Monsoon से पार नहीं पा रहा है। इस सीजन के लिए जारी पूर्वानुमानों में वह जब-तब गच्चा खा रहा है। अलर्ट भी अक्सर बदलने पड़ते हैं। आलम यह है कि हाल फिलहाल यह विभाग जनता के सवालों एवं अविश्वास दोनों के ही कठघरे में खड़ा हुआ है।

वैसे तो हर साल Monsoon के पूर्वानुमानों में मौसम विभाग की किरकिरी होती है, लेकिन इस साल कुछ ज्यादा ही हो रही है। 28 जून को राजधानी में Monsoon की दस्तक वाले दिन ही रिकॉर्ड वर्षा ने विभाग के दावों की पोल खोल दी थी। इसके बाद भी बार-बार ऐसा होता रहा है कि कभी वर्षा का पूर्वानुमान बदलना पड़ता है तो कभी ग्रीन, यलो और आरेंज अलर्ट को।

मौसम विभाग ने जून तक अपने पूर्वानुमानों की सटीकता को लेकर जो एक विश्लेषण जारी किया है, वह भी पुष्टि करता है कि पहले के मुकाबले मानसून के पूर्वानुमान कम सटीक साबित हो रहे हैं।

2011 से लेकर 2024 तक के 14 सालों में केवल 2022 ही ऐसा साल रहा है जब मानसून के पूर्वानुमान 96 प्रतिशत तक सही साबित हुए थे। इस बार तो अभी तक यह आंकड़ा केवल 77 प्रतिशत ही है।

Monsoon 2024: एक ही शहर में दिख रहे दो अलग ट्रेंड

मानसून के रुख में हुए परिवर्तन के चलते एक ही शहर में दो अलग-अलग तरह के ट्रेंड देखने को मिल रहे हैं। किसी हिस्से में तो बहुत ज्यादा वर्षा हो जाती है, तो कुछ हिस्सों को हल्की-फुल्की बरसात से ही संतोष करना पड़ रहा है। इस तरह की वर्षा को “पैची रेन” कहा जाता है।

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जलवायु परिवर्तन का भी दिख रहा है असर

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि दुनिया भर में ही मौसम पर जलवायु परिवर्तन का खासा असर दिख रहा है। लेकिन, भारत जैसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इसका असर सबसे अधिक नजर आ रहा है।

उष्णकटिबंधीय से अभिप्राय यह है कि हिमालय पर्वत एशिया की ठंडी हवा को उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों तक पहुंचने से रोककर मानसून को भी रोक लेता है, जो पूरे देश में बरसात लाता है। हालांकि, इसके बावजूद विभाग नए मॉडल, राडार और रेन गेज के सहारे भविष्य में बरसात और मानसून के पूर्वानुमान अधिक सटीक बनाने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है।

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